मध्यप्रदेश हमेशा से टेक्सटाईल इंडस्ट्री में देश के प्रमुख केन्द्रों में गिना जाता रहा है। मध्यप्रदेश की कपड़ा मिलें विशेषकर मालवा की कपड़ा मिलों की ख्याति देश भर में रही है। यहाँ की चंदेरी, महेश्वर की साड़ियाँ दुनिया भर में अपनी अलग पहचान रखती हैं। टेक्सटाईल इंडस्ट्री में पिछले दशकों में टेक्नॉलाजी में परिवर्तन के कारण प्रदेश की कपड़ा मिलों पर बुरा असर पड़ा और मालवा अंचल की कई कपड़ा मिले इस कारण बंद भी हो गई।
ऐसी स्थिति में पिछले एक दशक में राज्य सरकार ने प्रदेश की टेक्सटाईल इण्डस्ट्री के पुनर्जीवन का बीड़ा उठाया। आकर्षक निवेश नीति बनी जिससे प्रदेश की टेक्सटाइल इण्डस्ट्री का पिछले सालों में तेजी से विकास हुआ। इसकी एक वजह कुशल श्रम और राज्य की प्रगतिशील नीति रही। एक दशक में मध्यप्रदेश देश में टेक्सटाईल इण्डस्ट्री के मुख्य केन्द्र के रूप में दोबारा से उभरा है। आज वर्द्धमान, ग्रेसिम, रेमण्ड जैसी प्रमुख कम्पनियों की यूनिट मध्यप्रदेश में काम कर रही हैं। हाल के वर्षों में देश की प्रमुख टेक्सटाईल कम्पनियों ने मध्यप्रदेश में निवेश किया है। टेक्सटाईल उद्योग में निवेश से प्रदेश के निर्यात को प्रोत्साहन मिला और कई सारे लोगों को रोजगार भी मिला है।
ट्रॉयडेंट ग्रुप
प्रदेश के सीहोर जिले की बुधनी तहसील में ट्रायॅडेंट ग्रुप द्वारा लगाये गये टेरीटावल मेन्युफेक्चरिंग प्लांट की गिनती आज दुनिया के सबसे बड़े प्लांट के रूप में होती है। ट्रॉयडेंट ग्रुप मूलत: पंजाब में कृषि आधारित निर्माण इकाई के रूप में जुड़ा हुआ है। यह ग्रुप आज अपने उत्पादन का निर्यात 100 देश में कर रहा है। ट्रॉयडेंट ग्रुप ने टेरीटावल के ग्लोबल मार्केट में अपनी पहुँच बनाने के लिये कॉटन यार्न का उत्पादन शुरू किया था। इसके बाद ग्रुप ने मध्यप्रदेश में निवेशकों के अनुकूल नीतियों के माहौल के कारण बुधनी में टेरीटावल मेन्युफेक्चरिंग यूनिट लगाने का निर्णय लिया। वर्ष 2009 में ट्रायॅडेंट ने बुधनी में 4000 करोड़ के निवेश से दुनिया का सबसे बड़ा मॉडर्न मेन्युफेक्चरिंग प्लांट 850 एकड़ में लगाया। आज इस प्लांट में करीब 30 हजार लोगों को रोजगार मिला हुआ है।
प्रदेश में टेक्सटाईल इण्डस्ट्री को प्रोत्साहन के लिये प्रदेश सरकार ने निवेशकों को आकर्षक पैकेज दिये। इनमें 5 साल की इंटरेस्ट सबसिडी, 7 प्रतिशत की कम्पोजिट सबसिडी टेक्सटाईल प्रोजेक्ट के लिये प्रमुख रूप से दी जा रही है। इसके अलावा निवेशकों को राज्य सरकार ने प्रवेश कर में छूट के साथ वेट और सीएसटी में भी विशेष सुविधाएँ उपलब्ध करवायी हैं।
टेक्सटाईल इण्डस्ट्री के माध्यम से प्रदेश में रोजगार को अधिक से अधिक बढ़ाया जा सकता है। प्रदेश में कपास उत्पादक किसानों की संख्या भी काफी है। प्रदेश का कपास उत्पादन वर्ष 2014-15 में 17 लाख 50 हजार गठान का था। इस दौरान प्रदेश के टेक्सटाईल उद्योग में 518.3 मिलियन किलोग्राम कपास का उपयोग किया जा रहा था।
प्रदेश में वर्तमान में 65 टेक्सटाईल मिल, 4203 लूम्स, 53 हजार 43 पॉवर लूम्स, 33 हजार 888 रोटर्स, 24 हजार 78 हजार 80 के करीब स्पिंडल्स और 49 स्पिनिंग यूनिट काम कर रही हैं। केन्द्र सरकार के वस्त्र मंत्रालय द्वारा शुरू किये गये कार्यक्रम के जरिये 25 हजार युवा को टेक्सटाईल टेक्नालॉजी और प्रोसेसिंग की ट्रेनिंग दिलवायी गयी। प्रदेश ने टेक्सटाईल क्षेत्र में वर्धमान, सेल, एसआरएफ और वेकमेट इण्डिया कम्पनी को भी अपनी टेक्सटाईल यूनिट लगाने के लिये आकर्षित किया है।