मुंबई के प्रसिद्ध छत्रपति शिवाजी टर्मिनस में तैनात रेलवे पुलिस बल की अफसर रेखा मिश्रा ने अपनी ड्यूटी करते हुए सैकड़ों बच्चों की ज़िंदगी बचाई है। स्टेशन पर ड्यूटी करते हुए उन्होने ऐसे कई बच्चों को रेस्क्यू करने का काम किया है, जिन्हे अगर बचाया न गया होता तो उन बच्चों की ज़िंदगी पूरी तरह बर्बाद भी हो सकती थी। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद की निवासी रेखा मिश्रा को उनके उत्कृष्ट काम के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के हाथों सम्मान भी मिल चुका है, इतना ही नहीं साल 2018 में महाराष्ट्र सरकार ने 10वीं के पाठ्यक्रम में रेखा की कहानी को जोड़ने का फैसला भी किया था।
फेसबुक पेज ‘हयूमन्स ऑफ बॉम्बे’ (Humans of Bombay) से बात करते हुए रेखा मिश्रा ने बताया कि उनके पिता सेना में थे और उन्ही से प्रेरणा लेकर वह पुलिस सेवा जॉइन करना चाहती थीं। वह बताती हैं कि युवा अवस्था में वो सुबह जल्दी उठकर व्यायाम और पढ़ाई किया करती थीं। अपने इंटरव्यू में उन्होने बताया कि साल 2015 में रेलवे पुलिस की नौकरी मिलने के बाद उनके पिता ने उन्हे सैल्यूट किया और उन्हे कहा कि वो हमेशा अच्छाई के लिए काम करें, ना कि तालियों के लिए। रेखा ने अपने इंटरव्यू में बताया है कि किस तरह उनके पिता उन्हे बचपन से ही नेक काम करने के लिए प्रेरित किया करते थे।
मिश्रा को मुंबई के छत्रपत्रि शिवाजी टर्मिनस में तैनात किया गया था, जहां उन्हे महिलाओं और बच्चों की तस्करी रोकने का प्रभार दिया गया था। रेखा मिश्रा ने इस दौरान सैकड़ों की संख्या में घर से भागे हुए, अपहृत हुए, बेसहारा और लापता बच्चों को बचाने का काम बड़ी सूझबूझ के साथ किया है। महिला सशक्तिकरण को लेकर उनके द्वारा किए गए इस सराहनीय काम को देखते हुए उन्हें साल 2017 में राष्ट्रपति के हाथों नारी शक्ति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। रेखा मिश्रा ने बताया है कि साल 2015 से अब तक उन्होंने इस तरह के करीब 950 बच्चों को रेस्क्यू किया है।