Monday, December 23, 2024
spot_img
Homeअध्यात्म गंगामंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने का अधिकार केवल हिंदुओं को ही...

मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने का अधिकार केवल हिंदुओं को ही है – ओशो

यदि तुम किसी हिंदू मंदिर में गए हो तो वहां तुमने गर्भ—गृह का नाम सुना होगा। मंदिर के अंतरस्थ भाग को गर्भ कहते हैं। शायद तुमने ध्यान न दिया हो कि उसे गर्भ क्यों कहते हैं। अगर तुम मंदिर की ध्वनि का उच्चार करोगे—हरेक मंदिर की अपनी ध्वनि है, अपना मंत्र है, अपना इष्ट—देवता है और उस इष्ट—देवता से संबंधित मंत्र है—अगर उस ध्वनि का उच्चार करोगे तो पाओगे कि उससे वहां वही ऊष्णता पैदा होती है जो मा के गर्भ में पाई जाती है। यही कारण है कि मंदिर के गर्भ को मां के गर्भ जैसा गोल और बंद, करीब—करीब बंद बनाया जाता है। उसमें एक ही छोटा सा द्वार रहता है।

जब ईसाई पहली बार भारत आए और उन्होंने हिंदू मंदिरों को देखा तो उन्हें लगा कि ये मंदिर तो बहुत अस्वास्थ्यकर हैं; उनमें खिड़कियां नहीं हैं, सिर्फ एक छोटा सा दरवाजा है। लेकिन मां के गर्भ में भी तो एक ही द्वार होता है और उसमें भी हवा के आने—जाने की व्यवस्था नहीं रहती। यही वजह है कि मंदिर को ठीक मां के पेट जैसा बनाया जाता है; उसमें एक ही दरवाजा रखा जाता है। अगर तुम उसकी ध्वनि का उच्चार करते हो तो गर्भ सजीव हो उठता है। और इसे इसलिए भी गर्भ कहा जाता है क्योंकि वहां तुम नया जन्म ग्रहण कर सकते हो, तुम नया मनुष्य बन सकते हो।

अगर तुम किसी ऐसी ध्वनि का उच्चार करो जो तुम्हें प्रीतिकर है, जिसके लिए तुम्हारे हृदय में भाव है, तो तुम अपने चारों ओर एक ध्वनि—गर्भ निर्मित कर लोगे। अत: इसे खुले आकाश के नीचे करना अच्छा नहीं है। तुम बहुत कमजोर हो; तुम अपनी ध्वनि से पूरे आकाश को नहीं भर सकते। एक छोटा कमरा इसके लिए अच्छा रहेगा। और अगर वह कमरा तुम्हारी ध्वनि को तरंगायित कर सके तो और भी अच्छा। उससे तुम्हें मदद मिलेगी। और एक ही स्थान पर रोज—रोज साधना करो तो वह और भी अच्छा रहेगा। वह स्थान आविष्ट हो जाएगा। अगर एक ही ध्वनि रोज—रोज दोहराई जाए तो उस स्थान का प्रत्येक कण, वह पूरा स्थान एक विशेष तरंग से भर जाएगा; वहां एक अलग वातावरण, एक अलग माहौल बन जाएगा।

यही कारण है कि मंदिरों में अन्य धर्मों के लोगों को प्रवेश नहीं मिलता। अगर कोई मुसलमान नहीं है तो उसे मक्का में प्रवेश नहीं मिल सकता है। और यह ठीक है। इसमें कोई भूल नहीं है। इसका कारण यह है कि मक्का एक विशेष विज्ञान का स्थान है। जो व्‍यक्‍ति मुसलमान नहीं है वह वहां ऐसी तरंग लेकर जाएगा जो पूरे वातावरण के लिए उपद्रव हो सकती है। अगर किसी मुसलमान को हिंदू मंदिर में प्रवेश नहीं मिलता है तो यह अपमानजनक नहीं है। जो सुधारक मंदिरों के संबंध में, धर्म और गुह्य विज्ञान के संबंध में कुछ भी नहीं जानते हैं और व्यर्थ के नारे लगाते हैं, वे सिर्फ उपद्रव पैदा करते हैं।

हिंदू मंदिर केवल हिंदुओं के लिए हैं, क्योंकि हिंदू मंदिर एक विशेष स्थान है, विशेष उद्देश्य से निर्मित हुआ है। सदियों—सदियों से वे इस प्रयत्न में लगे रहे हैं कि कैसे जीवंत मंदिर बनाएं; और कोई भी व्यक्ति उसमें उपद्रव पैदा कर सकता है। और यह उपद्रव खतरनाक सिद्ध हो सकता है। मंदिर कोई सार्वजनिक स्थान नहीं है। वह एक विशेष उद्देश्य से और विशेष लोगों के लिए बनाया गया है। वह आम दर्शकों के लिए नहीं है।

यही कारण है कि पुराने दिनों में आम दर्शकों को वहां प्रवेश नहीं मिलता था। अब सब को जाने दिया जाता है; क्योंकि हम नहीं जानते हैं कि हम क्या कर रहे हैं। दर्शकों को नहीं जाने दिया जाना चाहिए; यह कोई खेल—तमाशे का स्थान नहीं है। यह स्थान विशेष तरंगों से तरंगायित है, विशेष उद्देश्य के लिए निर्मित हुआ है।

अगर यह राम का मंदिर है और अगर तुम उस परिवार में पैदा हुए हो जहां राम का नाम पूज्य रहा है, प्रिय रहा है, तो जब तुम उस मंदिर में प्रवेश करते हो जो सदा राम के नाम से तरंगायित है तो वहां जाकर तुम अनजाने, अनायास जाप करने लगोगे। वहां का माहौल तुम्हें राम—नाम जपने को मजबूर कर देगा। वहां की तरंगें तुम पर चोट करेंगी और तुम्हारे अंतस से नाम—जप उठने लगेगा।

तंत्र सूत्र, प्रवचन-29, ओशो

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार