जबसे अमरीकी सरकार के नासा ने मंगल ग्रह पर मंगल यान भेजकर वहाँ से तरह तरह के फोटो मंगवाना शुरु किए हैं, कई वैज्ञानिकों ने मंगल से मिले इन फोटो की असलियत पर ही सवाल उठा दिए हैं। विरोध करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि मंगल पर पानी, झील, तालाब आदि के जो फोटो आ रहे हैं वो मंगल ग्रह के नहीं बल्कि भारत की सड़कों पर है। इन वैज्ञानिकों का दावा है कि मंगल यान भटक गया है और वह गलत फोटो भेज रहा है। नासा के वैज्ञानिक उसे सही फोटो समझ कर खुश हो रहे हैं।
एक अमरीकी वैज्ञानिक ने जब सबसे पहले मंगल से आए फोटो पर आपत्ति जताई तो बाकी वैज्ञानिकों को हैरानी हुई, उनका कहना था कि जो हालत मंगल पर है वो भारत की सड़कों पर कैसे हो सकती है। लेकिन जब वैज्ञानिकों ने भारतीय सड़कों पर बने गड्ढे, झील, तालाब और लबालब भरे पानी के मनोरम दृश्य देखे तो वो भी हैरान रह गए। उनको लगा कि कहीं मंगल यान मंगल की जगह भारत में किसी हाईवे के फोटो भेजकर बेवकूफ तो नहीं बना रहा है। वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह से आए फोटो और भारतीय सड़कों के फोटो का मिलान किया तो हैरान रह गए कि दोनों जगहों के फोटो में रत्ती भर भी अंतर नहीं है। अब नासा के कई वैज्ञानिकों को भी शक होने लगा है कि मंगल यान मंगल पर पहुँचा भी है कि कहीं इधर उधर भटक गया है और भारतीय सड़कों की फोटो भेजे जा रहा हो।
नासा के वैज्ञानकों को अब अपने ऊपर ही शक होने लगा है और इस शक को दूर करने के लिए विशेषज्ञ वैज्ञानिकों का एक दल भारत आएगा। यह दल मंगल ग्रह से मिले फोटो और भारत की सड़कों से लिए गए फोटो का मिलान कर उन स्थानों पर जाएगा और पता लगाएगा कि असली फोटो कहाँ के हैं।
कई अमरीकी वैज्ञानिक भारतीय इंजीनियरिंग के इस कमाल से भी हैरान हैं कि जिस मंगल मिशन के लिए उन्होंने अरबों रूपये खर्च किए वह मंगल मिशन भटक कर भारत की सड़कों के फोटो ले रहा है। इन वैज्ञानिकों का मानना है कि भारत के इंजीनियरों द्वारा बनाई जाने वाली सड़कों का विस्तृत अध्ययन करना चाहिए कि वे ऐसा कमाल सड़क पर कैसे दिखा पाते हैं। इधर भारत के मंत्री, सड़क विभाग के इंजीनियर, अधिकारी सब इस बात से खुश हैं कि उनके काम को देखने और उसकी तारीफ करने के लिए अमरीका के नासा जैसे संस्थान के वैज्ञानिक खुद आ रहे हैं। भारत सरकार भी इनके आगमन को लेकर इतनी उत्सुक है कि उसने सड़कों पर बने गड्ढों, तालाबों और झीलों को भरने की जो मुहिम चलाने का आदेश दिया थ उसे रद्द कर दिया है, अब अमरीकी वैज्ञानिकों को ये दिखाए जाने के बाद ही इन पर काम शुरु होगा।