*मीडिया चौपाल के नौवें संस्करण का चंड़ीगढ़ में भव्य शुभारंभ, वक्ताओं ने ‘अमृतकाल में संचार-शिक्षा : भारतीय दृष्टि’ पर चर्चा*
*प्रो. रामेश्वर मिश्र पंकज, प्रो. केजी सुरेश, प्रो. बलदेव भाई शर्मा, प्रो. कुसुमलता केडिया ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया शुभारम्भ*
*ले.जे. (डॉ.) राज नंदन सिंह, गोलोक बिहारी राय, रेशमा सिंह, अशोक मालिक, प्रो. अनिल सौमित्र आदि का मिला मार्गदर्शन*
चंडीगढ़। ‘अमृतकाल में भारत अभ्युदय : चुनौतियाँ और संकल्प’ विषय पर तीन दिवसीय ‘मीडिया चौपाल 2022’ का नौवा संस्करण चंड़ीगढ़ के एनआईटीटीटीआर परिसर में आयोजित किया गया। मीडिया चौपाल के नोवें संस्करण के उद्घाटन सत्र का विषय ‘अमृतकाल में संचार-शिक्षा : भारतीय दृष्टि’ रहा। उद्घाटन सत्र में सभाध्यक्ष के तौर पर प्रो. रामेश्वर मिश्र पंकज, वक्ता के तौर पर प्रो. केजी सुरेश, प्रो. बलदेव भाई शर्मा, प्रो. कुसुमलता केडिया मौजूद रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। सभी अतिथियों का परम्परागत तरीके से तुलसी का पौधा भेंटकर तथा अंगवस्त्र पहनाकर स्वागत किया गया।
इस मौके पर राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष ले.जे. (डॉ.) राज नंदन सिंह, राष्ट्रीय महामंत्री गोलोक बिहारी राय, राष्ट्रीय महामंत्री रेशमा सिंह, आयोजन समिति के अध्यक्ष अशोक मालिक, प्रोफेसर अनिल सौमित्र सहित विभिन्न लोगों की गरिमामय उपस्थित रही। स्वतंत्र लेखक एवं अखिल भारतीय राष्ट्रवादी लेखक संघ के कोषाध्यक्ष मेजर सरस त्रिपाठी ने सभी का स्वागत किया और संक्षिप्त में मीडिया चौपाल के संकल्प के बारे में बताया। मंच संचालन डॉ. कुंजन आचार्य ने किया। वहीं, आभार प्रदर्शन अशोक मलिक ने किया। एनटीटीटीआर के निदेशक प्रो. श्याम सुन्दर पटनायक ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि चंडीगढ़ का चयन इस कार्यक्रम में किया जाना हमारे लिए गर्व की बात है।
वक्ता के तौर पर प्रो. कुसुमलता केडिया ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि हमें पहले इस बात को समझना होगा कि हम किस भारत की बात कर रहे हैं। 1947 के बाद के भारत की, 1922 वाले भारत या 1850 के भारत की। उन्होंने अपने व्याख्यान में राजनीतिक भारत को चर्चा के केंद्र में रखा। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बलदेव भाई शर्मा ने कहा कि शिक्षक और पत्रकार किसी भी राष्ट्र के चैतन्य के प्रतीक होते हैं। इसलिए पत्रकार और मीडियाकर्मी होने के नाते हमारे सोचने के दृष्टि, सोचने की क्षमता, अध्ययनशीलता बढ़नी चाहिए। भारत के अभ्युदय की बात के साथ-साथ पत्रकारिता के अभ्युदय की बात करने से ही पूरे भारत का अभ्युदय होगा। भारत की पत्रकारिता में राष्ट्र का अभ्युदय नजर आता है।
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि नागरिक पत्रकारिता आजकल ट्रेंड में है, लेकिन क्या यह शब्द प्रयोग सही है? जब सिटीजन डॉक्टर, सिटीजन इंजीनियर नहीं हो सकता तो सिटीजन पत्रकार कैसे सम्भव है? हमें पहले मीडिया में हस्तक्षेप करने की योग्यता निर्धारित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सिविल सर्विसेस में जनसंचार को एक विषय के रुप में शामिल किया जाना चाहिए, तभी यह अमृतकाल पूर्ण हो पाएगा। कार्यक्रम के सभाध्यक्ष प्रो. रामेश्वर मिश्र पंकज ने कहा कि यह कार्यक्रम वर्तमान परिपेक्ष्य में बहुत ही प्रसांगिक है। ‘अमृतकाल’ शब्द अकेले पूरे परिदृष्य को बदल देता है। ज्ञान का स्रोत औपचारिक और अनौपचारिक तरीके से शिक्षा से प्राप्त होता है। उन्होंने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में भारत के प्रति मीडिया की दृष्टि को भारतोन्मुखी बनाने पर जोर दिया।
उद्घाटन सत्र के बाद विभिन्न विषयों पर तीन तकनीकी सत्र आयोजित किये गये, जिसमें शिक्षाविद्, शोधार्थी, मीडिया जगत के विशेषज्ञों ने शोधपत्र प्रस्तुत किये। पहले तकनीकी सत्र का विषय ‘भारत के उत्कर्ष में संचार की भूमिका’ रहा, जिसमें सत्र अध्यक्ष के तौर पर प्रोफेसर बलदेव भाई शर्मा और सह-अध्यक्ष डॉ. आनन्द पाटील रहे। वहीं, सत्र का संचालन डॉ. राविया गुप्ता तथा आभार प्रस्तुति आकांक्षा सिंह ने किया। इस सत्र में 8 शोधपत्र प्रस्तुत किये गये। दूसरा तकनीकी सत्र ‘स्वत्व और आत्मनिर्भरता की अवधारणा : संचार माध्यमों का विशेष संदर्भ’ विषय पर रहा, जिसमें सत्र अध्यक्ष के तौर पर रेशमा सिंह और सह-अध्यक्ष डॉ. अजय सिंह रहे। सत्र का संचालन डॉ. प्रवीण कुमार झा और आभार प्रस्तुति डॉ. शिवानन्द पांडे ने किया। इस सत्र में कुल 7 शोधपत्र प्रस्तुत किये गये।
तीसरे तकनीकी सत्र का विषय ‘नई शिक्षा नीति और संचार-शिक्षण’ रहा, जिसमें सत्र अध्यक्ष के तौर पर प्रो. केजी सुरेश और सह-अध्यक्ष डॉ. बच्चा बाबू रहे। सत्र का संचालन अंशुला गर्ग और आभार प्रस्तुति डॉ. अर्चना कुमारी ने किया। इस सत्र में 7 शोधपत्र प्रस्तुत किये गये। इसी के साथ पहले दिन के सत्र समाप्त हुए। विदित हो कि यह चौपाल 3 और 4 दिसम्बर तक जारी रहेगा और दूसरे दिन भी देश के विभिन्न क्षेत्रों से पत्रकार, संचारविद, शिक्षाविद, शोधार्थी इत्यादि सहभागी होंगे और कई विषयों पर पैनल डिस्कशन होंगे।