मुंबई। रविवार 9 जुलाई 2023 को ‘चित्र नगरी संवाद मंच’ में कला-साहित्य के सुपरिचित समीक्षक प्रो सत्यदेव त्रिपाठी की पशु संस्मरण पर आयी नयी पुस्तक ‘मूक मुखर प्रिय सहचर मोरे’ पर चर्चा हुई। प्रमुख वक्ता डॉ मधुबाला शुक्ला ने कहा- “विषय के मुताबिक़ यह किताब लोक शब्दावली से समृद्ध है। सधी भाषा में पशुओं से जुड़ी यादें ऐसे जीवंत होती हैं गोया हम उन जीवों को देख ही नहीं, महसूस भी कर रहे हैं। पुस्तक में समाहित कुल दस पशुओं (तीन बेल, एक-एक गाय-बिल्ली व चूहे तथा चार कुत्ते) में निहित मनुष्यता हम तक यूँ पहुँचती है कि हमें भी बहुत हद तक बेहतर मनुष्य बना जाती है और यही इस पुस्तक की सबसे बड़ी ख़ासियत है।”
भारतीय भाषा केंद्र, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष प्रो रामबक्ष जाट ने कहा कि सत्यदेव त्रिपाठी की पुस्तक ‘मूक मुखर प्रिय सहचर मोरे’ महादेवी वर्मा के लेखन का विस्तार है। ये पशु यादें जितनी सच्ची है, उतनी खाँटी भी। इन्हें तो कॉलेज यूनिवर्सिटी में पढ़ाया जाना चाहिए कि पशु में निहित यह मनुष्यता नयी पीढ़ी तक पहुँचे जिसका इस यांत्रिक युग में बहुत ह्रास होता जा रहा है
कार्यक्रम के संचालक देवमणि पांडेय ने कहा कि इस पुस्तक में सम्वेदना के धरातल पर मूक जानवरों के साथ इंसानी रिश्तों की अद्भुत दास्तान पेश की गई है। शुरुआत में लेखक डॉ सत्यदेव त्रिपाठी ने पुस्तक के परिचय में अपनी दो पृष्ठ की भूमिका ‘यादों के गलियारे से’ का पाठ किया।
नाट्य व सिनेमा के नामचीन कलाकार विजय कुमार ने करियवा व उजरका बैलों पर लिखे आलेख का ऐसा सरस पाठ किया कि दोनों बैल अपनी सूरत-सीरत व भाव-स्वाभाव में हुबहू साकार हो उठे।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में पं.किरण मिश्र स्मृति काव्य संध्या में गीतकार रासबिहारी पांडेय और राजू मिश्र कविरा ने पं किरण मिश्र के गीत सुनाए। कुछ लब्ध प्रतिष्ठित कवियों ने भी काव्य पाठ किया।