आप घर ही दूध से दही जमाने के लिए या तो छाछ का प्रयोग करते होंगे या फिर दूध में थोड़ा जमान डालकर दही जमाते हैं। लेकिन राजस्थान के इस गांव में लोगों का दूध से दही जमाने का अंदाज कुछ अलग है। जैसलमेर जिला मुख्यालय से 50 किमी दूर स्थित हाबूर गांव में लोग पत्थर से दही जमाते हैं। यह एक ऐसा अनोखा पत्थर है जो कि दूध को जमाकर दही में बदल देता है। यहां के लोग सैकड़ों सालों से इस चमत्कारी पत्थर का उपयोग करते आ रहे हैं। दूध में इस पत्थर को डालने के 14 घंटे बाद दूध, दही में बदल जाता है।
हाबूर गांव अब पूनमनगर के नाम से पहचाना जाता है। यहां के इस पत्थर को स्थानीय भाषा में ‘हाबूरिया भाटा’ भी कहा जाता है। इस पत्थर के संपर्क में आते ही दूध जम जाता है। यह पत्थर अपनी इस विशेष खूबी के कारण पत्थर देश-विदेश में काफी लोकप्रिय है। यहां आने वाले सैलानी हाबूर पत्थर के बने बर्तन भी ले जाते हैं। इस पत्थर से बने बर्तनों की डिमांड हमेशा ही बनी रहती है।
शोधकर्ताओं ने भी इसे प्रमाणित किया है। शोध में साबित हुआ है की इस पत्थर में दही जमाने वाले रासायनिक गुण मौजूद हैं। इस पत्थर में एमिनो एसिड, फिनायल एलिनिया, रिफ्टाफेन टायरोसिन हैं जो कि दूध से दही जमाने में सहायक होते हैं। इन बर्तनों में जमा दही और उससे बनने वाली लस्सी के देश-विदेश के पर्यटक दीवाने हैं। आपको बस हाबूर पत्थर के बर्तनों में दूध रखकर छोड़ दीजिए, सुबह तक शानदार दही तैयार हो जाता है जो स्वाद में मीठा और सौंधी खुश्बू वाला होता है। इस पत्थर में कई खनिज व अन्य जीवाश्मों की भरमार है जो इसे चमत्कारी बनाते हैं।
यह पत्थर हल्का सुनहरा और पीले रंग का होता है। गांव में मिलने वाले इस स्टोन से बर्तन, मूर्ति और खिलौने बनाए जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि हजारों साल पहले ये जगह समुद्र से घिरी हुई थी। धीरे-धीरे समुद्र सूख जाने के कारण यहां मौजूद समुद्री जीवाश्म में बदल गए। फिर यहां पहाड़ों का निर्माण होने लगा। फिर पत्थरों से खनिजों का निर्णा भी शुरू होने लगा।
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