प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भोपाल के लाल परेड ग्राउड पर आयोजित किए गए विश्व हिंदी सम्मेलन का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री सुबह 9.45 बजे भोपाल एयरपोर्ट पहुंचे जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने उनका स्वागत किया। इसके बाद उन्होंने एयरपोर्ट पर ही आयोजित पार्टी कार्यकर्ताओं के कार्यक्रम को संबोधित किया। यहां से प्रधानमंत्री 10.30 बजे लाल परेड ग्राउंड पहुंचे और सम्मेलन का शुभारंभ किया।
इस सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद, गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी, गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा, झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास, मॉरीशस की शिक्षा मंत्री लीला देवी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शामिल हुए।
देश-विदेश के 5000 से ज्यादा विद्वान और मेहमान सम्मेलन में हिस्सेदारी करेंगे। महानायक अमिताभ बच्चन और गृह मंत्री राजनाथ सिंह समापन समारोह को संबोधित करेंगे। दसवें विश्व हिंदी सम्मेलन की थीम ‘हिंदी जगत : विस्तार एवं संभावनाएं” रखी गई है। तीन दिन तक समानांतर सत्रों में विद्वान और प्रतिभागी 12 विषयों पर अपने विचार रखेंगे। इनकी रिपोर्ट बाद के सत्रों में रखी जाएगी। सत्र विषयों पर दी गई अनुशंसाएं 12 सितंबर को समापन समारोह में रखी जाएंगी।
पीएम ने सुषमा स्वराज का समर्थन करते हुए कहा कि, जब भाषा होती है तो उसकी ताकत का हमें अंदाजा नहीं होता लेकिन जब वो लुप्त होती है और सदियों बाद किसी के हाथ आती है तो उसे जानने में लग जाते हैं। आज पत्थरों पर कुछ लिखा होता है पुरातत्व विभाग उसे जानने में लग जाते हैं। भाषा लुप्त होने के बाद उसका महत्व पता चलता है।’
उन्होंने कहा कि, संस्कृत पर ध्यान नहीं देने की वजह से आज उसके जानने वालों की कमी हो गई है। यह आज की पीढ़ी की जिम्मेवारी है कि वो भाषा को सहेंजे और उसके आगे की पीढ़ी तक पहुंचाए। मैं गुजरात में पैदा हुआ और अगर मुझे हिंदी नहीं आती तो मेंरा क्या होता। मैं लोगों तक कैसे पहुंचता या उन्हें कैसे समझता। मैं भाषा की ताकत से अच्छी तरह अवगत हूं।’
उन्होंने कहा कि, भाषा पत्थर की तरह जड़ नहीं हो सकती, उसमें भी चेतना है। भाषा मचलता हुआ हवा का झौंका है जो जहां से गुजरता है वहां से सुगंध लेते हुए चलता है। हमारे लिए उस चेतना की अनुभुती आवश्यक है।
पीएम ने आगे कहा कि, भाषा को समृद्ध करने की जरूरत है, हम देश में बोली जाने वाली अन्य भाषाओं से नए और ज्यादा उपयोग किए जाने वाले शब्दों को लेकर हिंदी को समृद्ध करें। भाषा में बड़ी ताकत होती है यदि आप किसी प्रदेश में जाकर उनकी भाषा में बात करते हैं तो वहां रहने वाले खुश हो जाते हैं।’
उन्होंने कहा कि, ‘मैं गुजरात से हूं लेकिन लोग आश्चर्य करते हैं कि मुझे इतनी अच्छी हिंदी कैसे आती है। लोग मुझसे पूछते हैं तो मैं कहता हूं कि मैंने चाय बेचते-बेचते हिंदी सीखी, यूपी के भैंसवालों से भी सीखी।
उन्होंने कहा, मैं विदेशों में जहां भी जाता हूं, वहां लोग बेहद उत्साह के साथ हिन्दी को सुनते और समझते हैं। साहित्य वर्तमान का दर्पण होता है और साथ ही वह अपने समय के बारे में पूरी जानकारी देता है। अगर प्रेमचंद, फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ और जयशंकर प्रसाद न होते तो हमें कैसे पता चलता कि उस समय की समाज व्यवस्था और मुश्किलें क्या थीं।
पीएम ने कहा कि भाषाओं को जोड़ने की कोशिश होनी चाहिए और हिन्दी इस में सूत्रधार बन सकती है। इस मौके पर उन्होंने कहा कि हिन्दी का बड़ा बाजार भी है और उसके लिए जरूरी है कि हम हिन्दी को आगे बढ़ाएं। संस्कृत भाषा लुप्त होती जा रही है, हमें उसके लिए भी सोचना चाहिए।
इससे पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने प्रधानमंत्री का स्वागत किया। इसके बाद मुख्यमंत्री ने स्वागत भाषण दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं केवल शब्दों नहीं भाव से स्वागत करता हूं। मध्य प्रदेश कवियों, साहित्यकारों की भूमि है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए कहा कि हमने उनके नाम पर हिंदी विश्वविद्यालय की स्थापना की है जहां विज्ञान और वाणिज्य जैसे विषय हिंदी में पढ़ाए जाते हैं।
उनके बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मैं प्रधानमंत्री जी का आभार व्यक्ति करती हूं कि उन्होंने यह सम्मेलन भोपाल में अयोजित करने की अनुमति दी। भारत में यह तीसरा हिंदी सम्मेलन है और हमने पिछले 9 सम्मेलनों के मुकाबले कुछ परिवर्तन किए हैं। पहले के सम्मेलनों में होने वाले सत्रों में केवल चर्चा होती थी लेकिन अब भाषा पर चर्चा के बाद रिपोर्ट भी दी जाएगी और सम्मेलन में चार सत्रों की अध्यक्षता केंद्रीय मंत्री करेंगे।’
- पीएम के संबोधन के मुख्य अंश –
सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा हिन्दी
भोपाल में हिन्दी का ये महाकुंभ हो रहा है
भाषा में ज्ञान का भंडार
हिन्दी की विरासत को सुरक्षित रखने का दायित्व
हिन्दी की ताकत का अंदाजा है मुझे
अगर मैं हिन्दी न जानता तो लोगों तक नहीं पहुंच सकता था
भाषा लोगों को जोड़ते हुए आगे बढ़ती है।
भाषा एक मचलता हुआ हवा का झोंका
जैसे जीवन में चेतना, वैसे भाषा में भी
विदेशों में भी हिन्दी की किताबों का प्रदर्शन
संस्कृत भाषा लुप्त होती जा रही है
चाय बेचते-बेचते हिन्दी सीखने का मौका मिला, भाषा सरलता से सीखी जा सकती है
भाषाओं को जोड़ने की कोशिश होनी चाहिए, हिन्दी बन सकती है सूत्रधार
हमारी भाषा कई देशों में पहुंची हुई है
दूसरी भाषा के अच्छे शब्दों को अपनाना चाहिए
हिन्दी में बोलने पर दम वाला व्यक्ति समझा जाता है
चीन में गया था, वहां हिन्दी भाषा जानने वाले का अलग कार्यक्रम हुआ, वे बहुत बढ़िया जानते थे
मंगोलिया में भी हिन्दी भाषा जानने वाले लोग नजर आए
रूस में हिन्दी भाषा पर बहुत काम हो रहा है
फिल्म इंडस्ट्री ने भी विदेशों में हिन्दी पहुंचाने का बहुत बड़ा काम किया है
भाषा के रूप में आने वाले दिनों में हिन्दी का महत्व बढ़ेगा
भाषा शास्त्रियों का मत है कि दुनिया में करीब 6000 भाषाएं
अर्थशास्त्रियों ने 21वीं सदी के अंत तक इसमें से 90 प्रतिशत भाषाएं लुप्त होने की बात की
ये चेतावनी हम न समझे और हमारी भाषा को ध्य़ान नहीं रखा तो रोना पड़ सकता है
भाषा के दरवाजे बंद नहीं किए जा सकता
इन दिनों दुनिया के जिन भी देशों में जाता हूं, वे हिन्दी में बोलते हैं, ‘सबका साथ, सबका विकास’
ओबामा और पुतिन भी हिन्दी में बोलते हैं, ‘सबका साथ, सबका विकास’
फणीश्वर नाथ रेणु, प्रेमचंद और जयशंकर प्रसाद न होते समाज को कैसे समझते
जो टेक्नोलॉजी के जानकार हैं, उनका कहना है कि डिजीटल वर्ल्ड में तीन ही भाषाओं का दबदबा होगा, अंग्रेजी, चीनी और हिन्दी