Monday, December 23, 2024
spot_img
Homeसोशल मीडिया सेमुंबई के ऑटो वाले को उ.प्र. के आईजी का सलाम

मुंबई के ऑटो वाले को उ.प्र. के आईजी का सलाम

[blockquote](श्री नवनीत सेकेरा भारतीय अफसरों की प्रजाति में उन अफसरों में हैं जो सरकार या प्रशासन में बंधे बंधाए ढर्रे पर न चलते हुए आम आदमी के साथ इंसानियत का रिश्ता बनाकर चलते हैं। वे अपने फेसबुक पोस्ट पर हिन्दी में हर बार कुछ न कुछ रोचक, लीक से हटकर, दिल को छूने वाले वाकये अपने प्रशंसकों तक पहुँचाते हैं जिनको पढ़ना अपने आपमें सुकुनदायक तो होता ही है, यह उम्मीद भी जगाता है कि भारतीय पुलिस और प्रशासनिक सेवाओं में ऐसे अफसर हैं जिनकी वजह से सरकारी अफसरों और सरकारी कामकाज के प्रति लोगों का विश्वास बना रहेगा। अपनी मुंबई यात्रा को लेकर उन्होंने बेहद प्रेरक घटनाक्रम अपने फेसबुक पर पोस्ट किया है। )[/blockquote]

अभी हाल में ही मेरी मुंबई यात्रा के दौरान एक रोमांचक अनुभव हुआ जिसे में आप सभी के साथ शेयर करना चाहता हूँ । हुआ ये कि मैं एक मित्र से मिलने जा रहा था लेकिन हमारी कार बीच रास्ते में ही ख़राब हो गई । बड़ी कोशिशों के बाद भी कार जब ठीक नहीं हुई तो टैक्सी से जाने का सोचा , लेकिन जाना CST था जो मुंबई के दूसरे छोर पर है , फिर ये तय हुआ कि अब घर वापस चला जाये और अगले दिन का प्रोग्राम बनाया जाये । इधर काफी देर से टैक्सी भी नहीं मिली तो मैंने कहा कि कोई ऑटो रुकवा लो , मैं घर निकल जाता हूँ , पर वोह लोग टैक्सी से ही घर भेजना चाह रहे थे । थोड़ी देर में मैंने खुद ही ऑटो रुकवाया और बैठ गया और घर की तरफ चल दिया । 15-20 मिनट में घर आ गया , मैंने फ्लैट का नंबर सिक्योरिटी को नोट कराया और मैं वापस फ्लैट पर ।

करीब एक घण्टे बाद डोरबैल बजी, भतीजे ने बाहर जाकर पुछा कौन है , फिर वह पलट कर आया और मुझसे पुछा की चाचू ऑटो में कुछ भूल तो नहीं आये , सहसा तो मुझे याद नहीं आया, लेकिन तुरंत याद आया कि मैंने कार से उतरते समय ipad साथ ले लिया था । यकीं मानिये प्राण सूख गए, एक तो इतना महगा आइटम ऊपर से इतना महत्वपूर्ण डेटा जो पिछले दो वर्षो में इकठ्ठा किया था सब गया । मैं लपककर बाहर गया , मैंने देखा कि ऑटो ड्राइवर मेरा ipad लिए खड़ा था । अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था कि क्या ऐसा हो सकता है की ये सच है । मैं सोच रहा था की काश हमारे उप्र में भी ऐसा संभव होता । मैं समझ नहीं पा रहा था की अब कैसे उसको शुक्रिया अदा करुँ । मैंने उसे अंदर बुलाया अपने साथ बिठाया , चाय पिलाई और उसके बारे में , उसके परिवार के बारे में पुछा ।

सच बता रहा हूँ मेरा सीना गर्व से फूल गया जब उसने बताया कि वोह इलाहाबाद का रहने वाला है और पिछले आठ साल से मुंबई में ऑटो चलाकर अपनी आजीविका चला रहा है । मैंने तुरंत अपना विजिटिंग कार्ड उसे दिया और अपना पर्सनल नंबर भी दिया , उसका फ़ोन नंबर उसके फोटो के साथ अपने मोबाइल में सेव किया । ( मैं सिर्फ ये सोच रहा था कि ये व्यक्ति अपने पूरे जीवन काल में शायद ही मुझे कॉल करे , मैं चाहता था कि इसकी कॉल हर हालत में अटेंड करुँ और हर संभव मदद करूँ ) जब उसको पता लगा कि मैं पुलिस का आईजी हूँ तो वह उठकर खड़ा हो गया और बड़े विस्मय से मुझे देखने लगा । मैंने उसे फिर से अपने साथ सोफे पर बिठाया और बात चीत का सिलसिला चलता रहा । जाते समय मैंने उसको कुछ रूपये देने की कोशिश की मुझे पता था वोह मना कर देगा , लेकिन मैंने कहा कि आज अपने बच्चों को बाहर खाना खिलाने ले जाना , अब मैं उप्र का हूँ तो मेरा हक बनता है । जाते समय उसकी आँखों में झांक कर देखा , शायद उसको बिलकुल यकीन नहीं हो रहा था ।

मैं सोच रहा था कि उसकी जगह कोई बड़ा आदमी होता तो क्या करता , ipad को किसी को दे देता , फेंक देता या कुछ भी करता लेकिन वापस आकर फ्लैट नहीं ढूंढ़ता
इंसानियत के लिए बड़ा होना जरूरी नहीं बड़े दिल वाला होना जरूरी है दिनेश चंद्र केशरवानी, सोनई बस स्टॉप तहसील मेजा इलाहबाद , तेरी ईमानदारी को मेरा सलाम
‪#‎honesty‬ ‪#‎Allahabad‬

साभार- https://www.facebook.com/navsekera/ से

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार