नशीले पदार्थों और शराब के इस्तेमाल को बढ़ावा देने वाले गानों के प्रसारण पर अब दिल्ली हाईकोर्ट सतर्क नजर आ रही है। ऐसे गानों के प्रसारण को रोकने पर कोर्ट ने सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है क्या इसे रोकने का कोई तरीका है?
मुख्य न्यायाधीश जी. रोहिणी और न्यायमूर्ति आरएस एंडलॉ की पीठ ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से यह सवाल किया। इससे पहले मंत्रालय ने अदालत को सूचित किया कि सवालों के घेरे में जो गाने रहते हैं उसे मंजूरी दिए जाने के बाद उसके पास केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के फैसले की समीक्षा का अधिकार नहीं है। हालांकि अदालत ने कहा कि फिल्मों में इस तरह के गानों के चलन पर वह चिंतित है और मामले पर विचार करने की जरूरत है। पीठ ने कहा कि हमारी मुख्य चिंता गानों में शराब के इस्तेमाल को बढ़ावा देने पर है। इस पर विचार होना चाहिए।
पीठ ने पूछा कि क्या इस तरह के गानों का प्रसारण रोकने का कोई तरीका है? मंत्रालय से 4 सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश गया है। मामले की अगली सुनवाई 12 अगस्त को मुकर्रर की गई है। अदालत ने मंत्रालय से यह भी स्पष्ट करने को कहा कि टीवी चैनलों पर ऐसे गानों का प्रसारण रोकने के लिए क्या कोई अलग से ऐसा तंत्र है।
गौरतलब है कि वकील विजय दहिया और अंकुर कुमार मिश्रा की ओर से दाखिल जनहित याचिका में ‘चार बोतल वोदका’ और ‘मैं अल्कोहलिक हूं’ और इस तरह के अन्य गानों पर रोक के लिए मंत्रालय को निर्देश देने का अनुरोध किया है।