नारियल की खोल ने दिखाई पैसे कमाने की राह

लखपति बनने के लिए मेहनत और तैयारी लगती है। आज हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बता रहे हैं जिसने कचरे के रूप में फेंके गए नारियल की खोल से आय का एक नया साधन खोजा।

इस महिला का नाम मारिया कुरियाकोस है।

मारिया ने 2019 में ठेंगा कोको नामक एक कंपनी की स्थापना की। यह कंपनी नारियल शील्ड से टिकाऊ, पर्यावरण के अनुकूल हस्तनिर्मित आइटम बनाती है। केरल में महिला नेतृत्व वाले इस उद्योग ने कई लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान किए हैं।

2019 में मारिया कुरियाकोस ने केरल के त्रिशूर जिले में नारियल कवच इकट्ठा करना शुरू किया था। मारिया ने इसको एक अच्छा साफ किया। उसके बाद उस पर सैंडपेपर का उपयोग करके उसकी सतह चिकनी बना दी।

नारियल कवच का उपयोग कचरे के लिए टिकाऊ, पर्यावरण की दृष्टि से अच्छा और हस्तनिर्मित घर-निर्मित उत्पाद के लिए किया गया था। मारिया ने इस व्यवसाय का नाम ठेगा कोको रखा है। मल्लयालम भाषा में ठेंगा शब्द का अर्थ है नारियल।नारियल का पेड़ खास है। इसे कल्पना वृक्ष भी कहा जाता है। इस पेड़ का हर भाग उपयोगी है। मारिया ने 2016 में सेंट जेवियर्स कॉलेज, मुंबई से अर्थशास्त्र में डिग्री की पढ़ाई की। फिर वह आगे की शिक्षा के लिए स्पेन चली गई।

मारिया ने 2017 में एओन हेविट, मुंबई में एक सलाहकार के रूप में काम किया। उसका दिमाग हमेशा उसके दिमाग में था कि नौकरी से बेहतर व्यापार है। उनके दिमाग में कुछ अलग करना था जिससे पर्यावरण और समाज को लाभ मिले। उसके बाद, एक साल में, मारिया ने एक अच्छी कमाई वाली नौकरी छोड़ दी और मैना महिला फाउंडेशन शुरू किया।

मारिया द्वारा शुरू किए गए उद्योग में केरल के विभिन्न क्षेत्रों के किसानों और कुशल श्रमिकों का नेटवर्क है। इसमें कोट्टायम, कोंडुगल्लूर, मेटुपालयम और एलीपी शामिल हैं। इनकी कंपनी में 30 से ज्यादा लोग काम करते हैं जिनमें 80% महिलाएं हैं।

इन महिला श्रमिकों को है 20 से 25 हजार प्रति माह वेतन मारिया के कंपनी के उत्पादों की मांग चेन्नई, हैदराबाद, मुंबई, अहमदाबाद, कोलकाता और दिल्ली जैसे शहरों में होती है। इसके अलावा डेनमार्क, स्पेन, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन जैसे देशों में काफी मांग है। हाल ही में देश में मांग से ज्यादा विदेश में मांग बढ़ी है।