बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को एनडीटीवी (NDTV) के प्रमोटर्स प्रणय रॉय और राधिका रॉय की एक याचिका को खारिज कर दिया। अपनी इस याचिका में रॉय दंपत्ति की ओर से मांग की गई थी कि सेबी (SEBI) द्वारा आंतरिक व्यापार नियमों के कथित उल्लंघन को लेकर जारी किया गया कारण बताओ नोटिस रद्द किया जाए। साथ ही यह भी मांग की गई थी कि सेबी को उन्हें नोटिस से संबंधित सभी दस्तावेजों का निरीक्षण करने की अनुमति दी जाए, जिसके आधार पर सेबी ने उन्हें नोटिस जारी किया है।
न्यायमूर्ति एस. सी. धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति आर.आई. चागला की खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता नोटिस का जवाब दे सकते हैं और प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण की सुनवाई में उपस्थित हो सकते हैं। लिहाजा ऐसा नहीं है कि याचिकाकर्ता पंचाट के समक्ष उपस्थित नहीं हो सकते। वे न्यायाधिकरण के समक्ष सुनवाई में हिस्सा ले सकते हैं।
हालांकि इसके पहले गुरुवार को जब याचिका दायर की गई थी, तब न्यायमूर्ति एस. सी. धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति आर.आई. चागला की खंडपीठ ने रॉय दंपत्ति की याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा था कि रॉय दंपत्ति को नोटिस का सामना करना चाहिए और सेबी के समक्ष सुनवाई में उपस्थित रहना चाहिए। यदि उनके खिलाफ कोई सामग्री नहीं है तो नोटिस विफल हो जाएंगे, जिसके बाद इस मामले में आदेश सुनाने की तारीख 6 जनवरी तय की थी।
बता दें कि रॉय दंपत्ति ने आंतरिक व्यापार नियमों के कथित उल्लंघन के मामले में ट्राई द्वारा 10 साल बाद जारी किए गए नोटिस की वैधता को चुनौती दी थी।
रॉय दंपत्ति की ओर से तर्क दिया गया था कि कंपनी को अभी तक तीन साल से अधिक समय तक संबंधित रिकॉर्ड्स को बनाए रखने की जरूरत ही नहीं पड़ी और फिर ऐसी स्थिति में 10 साल पहले के रिकॉर्ड को ढूंढना संभव नहीं है। उनकी याचिका में कहा गया था कि चूंकि कथित लेनदेन से 10 साल बाद सेबी ने नोटिस जारी किया है, इसलिए संबंधित रिकॉर्ड उनके पास उपलब्ध नहीं हैं और इसलिए यह नोटिस मनमाना, अनुचित और शक्ति के घोर दुरुपयोग में जारी किया गया है और याचिकाकर्ता को प्रतिबंध, खतरे, पूर्वाग्रह और कठिनाई में डालता है।
गौरतलब है कि सेबी ने 31 अगस्त, 2018 को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। सेबी द्वारा जारी किए इस नोटिस में रॉय दंपत्ति पर आरोप लगाया था कि इन्होंने ‘अप्रकाशित मूल्य संवेदनशील जानकारी’ (UPSI) रखते हुए NDTV के शेयरों का कारोबार किया था। ऐसा करने पर सेबी ने उन्हें भेदिया कारोबार निषेध नियमन के उल्लंघन का दोषी ठहराया।
रॉय दंपत्ति ने उन सभी दस्तावेजों, रिकॉर्डों और आंतरिक फाइलों और नोटिंग्स का निरीक्षण करने की भी मांग की है, जिन्हें सेबी ने नोटिस जारी करने के लिए बनाया है। हालांकि, प्रणय रॉय और राधिका रॉय ने अपनी याचिका में नोटिस को मनमाना, अतार्किक और सत्ता के दुरुपयोग वाला बताया था।
साभार- https://www.samachar4media.com/ से