कोलकोता। यह सत्य है कि बंगाल के कानून और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश दिनांक १६-११-९४ के अनुसार “बकरीद पर गौवंश की कुर्बानी गैर कानूनी है।“ और आदेश दिनांक २६-१०-२००५ के अनुसार “गौरक्षा संवैधानिक कर्तव्य है और गौहत्या संवैधानिक अपराध है।” उच्च न्यायालय ने भी अनेक आदेश दिये है। अपना ईमेल sms कर आदेशों का सारांश मंगा सकते हैं। गत २० वर्षों से राज्य सरकारें, तुष्टिकरण की नीति अपनाते हुए गौहत्यारों को संरक्षण दे रही है। उच्च और सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना करने के कौन दोषी हैं? बंगाल के कानून-पशु हत्या निवारक अधिनियम १९५० की धारा ९ के अनुसार ‘अपराध करने का ‘प्रयास’ करना या ‘प्रोत्साहन’ देना भी उतना ही गंभीर और दंडनीय अपराध है‘। बकरीद के अनेक दिन पहले, खुले आम “प्रयास” शुरू हो जाता है। ‘प्रयास’ को रोकने में समर्थ, अधिकारी स्वयं “प्रोत्साहन” देने के और माननीय न्यायालयों की अवमानना के दोषी हैं कि नहीं? कुर्बानी के लिए गायें ले जाते जजों, मीडिया, और हम सब ने देखा हैं। उस हद तक हम सब भी दोषी हैं, जो कानून और आदेशों का पालन करने; कानून का पालन करवाने वाले राज्य+ केंद्र सरकार के नेताओं + अधिकारियों को नहीं कहते/लिखते=”चुप” रहते हैं।
यह न समझना क्रूर कृत्य का भागी केवल व्याध ।
जो “चुप” रहे, समय लिखेगा, उनका भी अपराध ॥ – मैथलीशरण गुप्त
आप एक गौभक्त संत / संस्था / सज्जन / भूतपूर्व सांसद / सेवा निवृत्त अधिकारी हैं। कृपया बकरीद २५, सितंबर के पहले, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रक्षा मंत्री, कानून मंत्री, उच्च/सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को रजिस्ट्रार के माध्यम, अपने/बंगाल के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, पशुपालन मंत्री, कानून मंत्री, मुख्य सचिव, गृह सचिव, मेयर, पुलिस महानिदेशक, कलकता पुलिस कमिश्नर, को पत्र लिखें या ज्ञापन दें तो लाखों गायों के प्राण, कानून-आदेशों और न्यायालय की इज्जत बच सकती है। गौ माँ + भारत माँ के प्रति अपना कर्तव्य निभाने के लिए कृपया :- १) “गौवंश की कुर्बानी गैरकानूनी है” – विज्ञापन देने, 2) सभी जिलाधीशों, पुलिस महानिदेशकों, थानो, को गौवंश की गौवंश का परिवहन, खरीद बिक्री, रोकने के कड़े निर्देश देने, 3) मुस्लिम बहुल इलाकों में गौवंश के बाजार न लगने देने ४) निरीक्षक नियुक्त करने, लिखें।
आप पर्चे बँटवा, बैनर लगवा, विज्ञापन दे, प्रेस कोन्फ्रेंस कर, जनता + मीडिया को जगा सकते हैं। नकारात्मक सोच वाले सोचते हैं कि हमारे एक के लिखने से क्या होगा? या सरकारी अधिकारी पढ़ना तो दूर इन पत्रों को रद्दी की टोकरी में डाल देंगे। किन्तु सकारात्मक सोच वाले पत्र भी लिखेंगे, साथ ही औरों को भी पत्र लिखने ज्ञापन सौंपने प्रेरित भी करेंगे। अब तो सूचना के अधिकार हमारे पास है, उसका प्रयोग करने वाले को उत्तर भी अवश्य मिलेगा।
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