वॉशिंगटन। अमेरिका इस वक्त एक भयानक संकट से गुजर रहा है। कोरोना वायरस के कारण बड़ी आबादी जहां इन्फेक्शन के खतरे में है, वहीं इससे बचने के लिए लोग सारे तरीके अपना रहे हैं। यहां तक कि बाजार से टॉइलट पेपर गायब होने के बाद लोगों ने पेपर टावल, नैपकिन और बेबी वाइप्स का सहारा लेना शुरू कर दिया है जिससे सीवेज सिस्टम भी ठप होने लगे हैं।
दरअसल, पब्लिक हेल्थ अधिकारियों ने लोगों से अपने काउंटरटॉप, डोरनॉब, फॉसेट और दूसरी जगहें स्टेरलाइज करने को कहा था। इसके बाद लोगों ने डिसइन्फेक्टेंट वाइप्स और पेपर टॉइलट इस्तेमाल कर डाले। इसके कारण सीवर लाइनों पर दबाव पड़ गया है और टॉइलट्स ओवरफ्लो कर रहे हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में वेस्टवॉटर ट्रीटमेंट अधिकारियों ने लोगों से अपील की है कि वाइप्स को टॉइलट्स में फ्लश न करें।
प्लंबिंग का काम करने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों का कहना है कि वाइप्स आम टॉइलट पेपर की तरह फ्लश नहीं होते। फेशियव टिशू को इसकी जगह इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इनसे पाइप क्लॉग हो जाते हैं और सीवेज कलेक्शन और ट्रीटमेंट में दिक्कत होती है। इससे कोरोना वायरस की आपदा के बीच पब्लिक हेल्थ रिस्क पैदा हो जाता है।
ज्यादातर अर्बन सीवेज सिस्टम ग्रैविटी और पानी के बहाव पर डिपेंड करते हैं और ये ऐसे डिजाइन नहीं किए जाते कि डिसइन्फेक्टेंट वाइप्स और पेपर टावल को आगे बढ़ा सकें। ये आसानी से ब्रेकडाउन नहीं होते हैं और सिस्टम को क्लॉग कर देते हैं। सीवेज सिस्टम और ट्रीटमेंट प्लांट ओवरफ्लो करने से झीलों, नदियों और महासागरों तक में इन्फेक्शन का खतरा होता है जो सेहत और पर्यावरण के लिए और भी ज्यादा खतरनाक है। प्लंबर्स ने बताया है कि घर से काम कर रहे लोगों की कॉल्स में भी इजाफा हुआ है और लाइन साफ करने पर उसमें से बेबी वाइप और पेपर टावल निकलते हैं।
(Source: द न्यू यॉर्क टाइम्स)