आधार से जुड़ी सूचनाओं की सुरक्षा पुख्ता करने के लिए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) एक नई प्रणाली वर्चुअल आइडेंटीफिकेशन (वीआईडी) नंबर लेकर आया है। हालांकि वरिष्ठ अधिकारियों और जानकारोंं ने इस नई प्रणाली की उपयोगिता और इसके प्रभावी होने पर सवाल उठाए हैं। मंत्रिमंडल सचिवालय में आधार आधारित सरकारी कल्याण योजनाओं पर नजर रखने वाले वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि वीआईडी से पूरी प्रणाली में कोई बड़ा बदलाव नहीं आएगा।
इस बारे में एक सरकारी अधिकारी ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘हमें जो बात समझ आ रही है वह है कि नई प्रणाली आने के बाद भी लोगोंं को बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को अपना वास्तविक आधार कार्ड ही देना होगा। इन संस्थानों को केवाईसी के लिए कानूनी तौर पर आधार क्रमांक सुरक्षित रखना होता है।’ सरकार ने हाल में धन शोधन रोक-थाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत विभिन्न वित्तीय सेवाओं से आधार जोड़ने की समय सीमा 31 मार्च 2018 तक के लिए बढ़ा दी है।
अधिकारी ने कहा कि सरकारी योजनाओं जैसे गैस कनेक्शन के लिए सब्सिडी, पेंशन, छात्रवृत्ति और राशन आदि लेने के लिए लाभार्थियों को अपने वास्तविक आधार क्रमांक देने होंगे। अधिकारी ने कहा, ‘मोबाइल फोन के लिए सिम कार्ड लेने आदि उद्देश्यों के लिए ही लाभार्थ 16 अंकों का वर्चुअल आइडेंटीफिकेशन (वीआईडी) या 12 अंकों का आधार क्रमांक दे सकते हैं।’ यूआईडीएआई और इसके वरिष्ठ अधिकारियों ने आधार और वीआईडी दोनों के इस्तेमाल से जुड़े बिजनेस स्टैंडर्ड के सवालों का जवाब नहीं दिया।
यूआईडीएआई ने बुधवार को जारी एक परिपत्र में वीआईडी और सीमित नो योर कस्टमर (केवाईसी) की पेशकश की थी। इससे पहले एक समाचार पत्र में आधार के संभावित दुरुपयोग और लोगों की निजता के कथित उल्लंघन पर एक खबर प्रकाशित हुई थी, जिसके बाद सरकार हरकत में आ गई। उस समाचार पत्र ने एक एजेंसी से 500 रुपये में आधार सूचनाएं खरीदने का दावा किया था। समाचार पत्र के अनुसार यह एजेंसी पहले यूआईडीएआई के साथ काम करती थी।
परिपत्र में कहा गया, ‘वर्चुअल आईडी आधार क्रमांक रखने वाले लोगों को सत्यापन के दौरान आधार क्रमांक के बजाय वीआईडी साझा करने की सुविधा देती है। इससे विभिन्न एजेंसियसां द्वारा आधार क्रमांक का संग्रह कम हो जाएगा।’ परिपत्र के अनुसार अथेंटिकेशन यूजर एजेंसी (एयूए) दो श्रेणियों-ग्लोबल एयूए और लोकल एयूए में विभाजित होगी। ग्लोबल एयूए को कानूनी तौर पर जरूरी प्रावधानों के अनुसार किसी व्यक्ति का आधार क्रमांक रखने का अधिकार होगा।
इस समय भारतीय एयरटेल लिमिटेड, एयरटेल पेमेंट बैंक, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, इलाहाबाद बैंक और बजाज फाइनैंस सहित करीब 300 एयूए हैं, जो यूआईडीएआई के साथ पंजीकृत हैं। इन सभी एयूए को प्रणाली में आधार क्रमांक रखने की आवश्यकता पर एक शपथ पत्र देना होगा।
नई प्रणाली संभवत: 1 मार्च से शुरू हो जाएगी, लेकिन नई प्रणाली आने से यूजर एजेंसियों को उनकी प्रणाली में सुधार के लिए 1 जून तक का समय दिया जाएगा। यूएडीआईए मामले के एक याचिकाकर्ता निखिल डे ने कहा कि सरकार द्वारा शुरू की गई नई व्यवस्था भ्रामक है। उन्होंने कहा, ‘सरकार यह उम्मीद कैसे कर सकती है कि 1.2 अरब लोग अपनी आभासी पहचान संख्या जेनरेट करेंगे। केवल कुछ ही लोग ऐसा करेंगे। सरकार ने निजता के मामले में गेंद बड़ी चतुराई से लोगों के पाले में डाल दी है।’ मामले के दूसरे याचिकाकर्ता सरकार के इस कदम का 16 मार्च को उच्चतम न्यायालय में विरोध करने की योजना बना रहे हैं। सेंटर फॉर इंटरनेट ऐंड सोसाइटी के कार्यकारी निदेशक सुनील अब्राहम ने कहा कि वीआईडी शुरू करने का कोई औचित्य नहीं है। अब्राहम ने कहा, ‘निजता का संरक्षण इरादे से होना चाहिए, पसंद से नहीं।’
यूआईडीएआई के साथ काम कर चुके एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नई व्यवस्था को लेकर सरकार को कानूनी अड़चन का सामना करना पड़ सकता है। अधिकारी ने कहा, ‘आधार कानून में केवल आधार संख्या के इस्तेमाल की बात कही गई है न कि वीआईडी के इस्तेमाल की। इसे आसानी से अदालत में चुनौती दी जा सकती है।’ अधिकारी ने यह आशंका भी जताई कि वीआईडी बनाने के लिए लोगों से रुपये भी ऐंठे जा सकते हैं। इस बीच केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने निजता के अधिकार के लिए काम कर रहे कार्यकर्ताओं से इस मुद्दे को ज्यादा तूल नहीं देने को कहा है। उन्होंने कहा, ‘यात्रा करना आपका निजी मामला है। लेकिन जब आप विमान जैसे सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करते हैं तो सब कुछ रिकॉर्ड होता है। आप क्या खाते हैं यह आपका निजी मामला है लेकिन अगर आप किसी रेस्त्रां में खाते हैं तो यह बिल में आ जाता है। इसलिए निजता के मुद्दे को ज्यादा तूल नहीं देना चाहिए।’
साभार- http://hindi.business-standard.com से