Saturday, November 23, 2024
spot_img
Homeसोशल मीडिया सेहमारे राजा हमें अंधा बना रहे हैं

हमारे राजा हमें अंधा बना रहे हैं

एक अँधा भीख मांगता हुआ राजा के द्वार पर पंहुचा।

राजा को दया आ गयी।

राजा ने प्रधानमंत्री से कहा, – “यह भिक्षुक जन्मान्ध नहीं है, यह ठीक हो सकता है, इसे राजवैद्य के पास ले चलो।”

रास्ते में मंत्री कहता है, “महाराज यह भिक्षुक शरीर से हृष्ट-पुष्ट है,* यदि इसकी रोशनी लौट आयी तो इसे *आपका सारा भ्र्ष्टाचार दिखेगा*, आपकी शानोशौकत और फिजूलखर्ची दिखेगी।

आपके राजमहल की विलासिता और रनिवास का अथाह खर्च दिखेगा,
इसे यह भी दिखेगा कि जनता भूख और प्यास से तड़प रही है, सूखे से अनाज का उत्पादन हुआ ही नहीं, और आपके सैनिक पहले से चौगुना लगान वसूल रहे हैं।

शाही खर्चे में बढ़ोत्तरी के कारण राजकोष रिक्त हो रहा है, जिसकी भरपाई हम सेना में कटौती करके कर रहे हैं, इससे हजारों सैनिक और कर्मचारी बेरोजगार* हो गए हैं।
ठीक होने पर यह भी औरों की तरह ही रोजगार की मांग करेगा और आपका ही विरोधी बन जायेगा।

मेरी मानिये, यह आपसे मात्र दो वक्त का भोजन ही तो मांगता है।

इसे आप राजमहल में बैठाकर मुफ्त में सुबह-शाम भोजन कराइये,
और दिन भर इसे *घूमने के लिए छोड़ दीजिये।

यह पूरे राज्य में आपका गुणगान करता फिरेगा, कि राजा बहुत न्यायी हैं, बहुत ही दयावान और परोपकारी हैं।

इस तरह मुफ्त में खिलाने से आपका संकट कम होगा और….
आप लंबे समय तक शासन कर सकेंगे।”
राजा को यह बात समझ में आ गयी।

वह वापस अंधे के पास गया और दोनों उसे उठाकर राजमहल ले आये।

अब अँधा राजा का पूरे राज्य में गुणगान करता फिरता है।

उसे यह नहीं पता कि राजा ने उसके साथ धूर्तता की है, छल किया है।वह ठीक होकर स्वयं कमा कर अपनी आँखों से संसार का आनंद ले सकता था।

यही हाल सरकारें करती हैं, हमे मुफ्त का लालच देती है।
किंतु आँखों की रोशनी (अच्छी शिक्षा व रोजगार) नहीं देती, जिससे कि हम उनका भ्रष्टाचार देख पाएं, उनकी फिजूलखर्जी और गुंडागर्दी देख पाएं, उनका शोषण और अन्याय देख पाएं।

और हम अंधे की तरह उनका गुणगान करते हैं, कि राजा मुफ्त में सबको सामान देते हैं।
हम यह नहीं सोचते कि यदि हमें अच्छी शिक्षा और रोजगार सरकारें दें तो…..
हमें उनकी खैरात की जरूरत न होगी, हम स्वतः ही सब खरीद सकते हैं।
पर……हम सभी अंधे जो ठहरे, केवल मुफ्त की चीजें ही हमे दिखती हैं।

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार