फेसबुक, ट्विटर और अब वॉट्सऐप के दौर में मीडिया की जल्दबाजी क्या कमाल दिखाती है, इसका उदाहरण कल देखने को मिला। एक गलत डॉक्यूमेंट मीडिया वालों के बीच बंट गया, मीडिया से जुड़े हर वॉट्सऐप ग्रुप में पहुंच गया और वहां से बिना कनफर्म हुए न्यूज रूम्स में और हर चेनल ने उसे हेडलाइंस में चलाया, स्टोरीज बन गईं, हर वेबसाइट्स पर छपा और उनके जरिए लाखों लोगों ने शेयर कर लिया। अब जब पता चला है वो फर्जी था, तो किसी को बताने की हिम्मत नहीं कि गलती इतनी बड़ी हो गई है।
वाकई में मीडिया की जल्दबाजी का ये दिलचस्प मामला था, मीडिया के स्टूडेंट्स को पढ़ाने लायक टॉपिक कि कैसे पुष्टि के बाद खबर की पुर्नपुष्टि भी करनी होती है। दरअसल तीन दिनों से नेशनल मीडिया में दिल्ली के रेयान स्कूल में एक बच्चे दिव्यांश की लापरवाही से मौत का मामला हैडलाइंस में है। सुबह से ही सारे न्यूज चैनल्स और अखबारों के रिपोर्टर्स की ड्यूटी रेयान स्कूल पर लग रही है। कल दोपहर को ऐसे ही मीडिया के जमावड़े में किसी ने एक हाथ से लिखी हुई कविता दी कि रेयान की मां ने अपने बेटे की याद में ये कविता लिखी है। काफी मर्मस्पर्सी कविता थी, जिसे आप इस पोस्ट के साथ उसी के मूल रूप में पढ़ सकते हैं। जिसने भी कविता पढ़ी, आंखों से आंसू आ गए।
न्यूजरूम के धुरंधर तो उछल गए, कई जगह तो स्पेशल शो प्लान हो गया कि कैसे कविता से शो की शुरूआत करनी है, क्या प्रोमो देना है। पूछा भी गया कि मां या पिता की बाइट इस कविता पर मिलेगी क्या? कई लोगों को लगा भी कि एक आम महिला जिसके बेटे की दुखद मौत 48 घंटे पहले ही हुई हो वो ऐसी कविता कैसे लिख सकती है। लेकिन लोगों ने कहा कि हो सकता है साहित्यिक अभिरुचि वाली महिला हो। रिपोर्टर्स ने भी दावा किया कि दिव्यांश की मां ने ही लिखी है ये कविता।
चार बजे के बाद सारे रिपोर्टर्स को पता चलने लगा कि वो तो किसी और की कविता थी और किसी ने दिव्यांश की मां के नाम से बढ़ा दी है। अब सबके होश फाख्ता हो गए, कई को डांट पड़ी। जब तक वेबसाइट्स के जरिए वो कविता लाखों लोगों तक पहुंच चुकी थी। चैनल्स ने, अखबारों ने वो स्टोरी ड्रॉप कर ली, कई ने फिर भी चलाई कि किसी ने दिव्यांश की मां के लिए ये कविता लिखी है, लेकिन सॉरी किसी ने नहीं बोला। तो ऐसे एक्सिडेंट्स मीडिया में चलते रहेंगे।
साभार- HTTP://WWW.SAMACHAR4MEDIA.COM/ से