Saturday, November 23, 2024
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गुमनाम नायकों को मिले पद्म अलंकरण

सरकार ने गरीबों की सेवा करने वाले, मुफ्त शिक्षा प्रदान करने के लिए स्कूल खोलने वालों और जनजातीय कलाओं को वैश्विक रूप से लोकप्रिय बनाने वाली शख्सियतों को ‘पद्म श्री’ से अलंकृत किए जाने की गुरुवार को घोषणा की। यह पुरस्कार पाने वालों में केरल की आदिवासी महिला लक्ष्मीकुट्टी भी शामिल हैं जिन्होंने स्मरण से 500 हर्बल औषधि तैयार की और खासतौर पर सर्पदंश व कीटों के डंक के मामलों में हजारों लोगों की मदद की। वह केरल फोल्कलोर एकेडमी में पढ़ाती हैं और एक जंगल में स्थित एक आदिवासी बस्ती में पत्तों से बनी छत वाली एक छोटी सी झोपड़ी में रहती हैं। वह अपने इलाके से एक मात्र ऐसी आदिवासी महिला हैं जिन्होंने 1950 के दशक में स्कूली शिक्षा हासिल की थी।

छात्रों की कई पीढ़ियों को विज्ञान सीखने के लिए प्रेरित करने वाले आइआइटी कानपुर के पूर्व छात्र अरविंद गुप्ता को भी पद्म श्री से सम्मानित किया गया। गुप्ता चार दशकों में 3000 स्कूलों में गए, खिलौना बनाने पर 18 भाषाओं में 6200 लघु फिल्में बनाई और 1980 के दशक में लोकप्रिय टीवी शो ‘तरंग’ की भी मेजबानी की। गोंड पेंटिंग के जरिए यूरोप का चित्रण करने को लेकर श्याम प्रसिद्ध हुए। यह मध्य प्रदेश की आदिवासी शैली की एक कला है। उनका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था। एक पेशेवर कलाकार बनने से पहले अपने परिवार की मदद करने के लिए वह एक रात्रि पहरेदार और इलेक्ट्रिशयन के तौर पर काम करते थे। उनकी ‘द लंदन जंगल बुक’ की 3000 प्रतियां बिकीं और इसका पांच विदेशी भाषाओं में प्रकाशन हुआ।

पश्चिम बंगाल निवासी और 99 वर्षीय सुधांशु विश्वास भी पुरस्कार पाने वालों में शामिल हैं। उन्होंने गरीबों की सेवा की, स्कूल और अनाथालय चलाए और गरीबों को मुफ्त शिक्षा देने के लिए स्कूल खोला। केरल के मेडिकल मसीहा एमआर राजागोपाल को पद्म श्री से सम्मानित किया गया है। वह नवजात शिशु संबंधी विशेषज्ञ हैं। पिछले साल से मोदी सरकार पद्म पुरस्कारों से उन लोगों को सम्मानित कर रही हैं जिन्हें ज्यादा प्रसिद्धि नहीं मिली है ताकि उन लोगों को मान्यता मिल सके जिन्होंने अपना जीवन गरीबों के लिए काम करते हुए समर्पित कर दिया, या वंचित क्षेत्र की पृष्ठभूमि से आ कर गरीबों के लिए काम किया।

भारत के प्रथम पैरा-ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता व महाराष्ट्र के मुरलीकांत पेटकर को भी पद्म श्री से सम्मानित किया गया है। 1965 के भारत-पाक युद्ध में उन्होंने अपनी बांह गंवा दी थी। ‘प्लास्टिक रोड मेकर’ (प्लास्टिक से सड़के बनाने वाले) के रूप में देश में पहचाने जाने वाले तमिलनाडु के राजगोपालन वासुदेवन को भी इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्होंने सड़क निर्माण के लिए प्लास्टिक कूड़े के पुन: उपयोग का एक नवोन्मेषी तरीका ईजाद किया।

पश्चिम बंगाल के ग्रामीण इलाके से आने वाली गरीब महिला सुभाषिणी मिस्त्री भी यह पुरस्कार पाने वालों में शामिल हैं। उन्होंने राज्य में गरीबों के लिए एक अस्पताल बनाने के लिए 20 साल तक घरेलू सहायिका और दिहाड़ी मजदूर के तौर पर मेहनत की। 90 से 100 साल के बीच की उम्र के कृषि मजदूर सुलगत्ती नरसम्मा को भी पद्म श्री से सम्मानित किया गया है। उनके बगैर किसी मेडिकल सुविधा के कर्नाटक के पिछड़े क्षेत्रों में प्रसव सहायिका के तौर पर सेवाएं दी।

तमिल लोक संगीत और आदिवासी संगीत के संग्रह, दस्तावेजीकरण और संरक्षण में अपना जीवन समर्पित करने वाली विजयलक्ष्मी नवनीतकृष्णन को भी इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया। तिब्बती हर्बल औषधि के चिकित्सक येशी धोदेन भी यह पुरस्कार पाने वालों में शामिल हैं। वह हिमाचल प्रदेश के दूर दराज के इलाकों में सेवाएं दे रहे हैं। नगालैंड में गांधी आश्रम में दशकों सेवाएं देने वाले गांधीवादी लेंटीना ए ठक्कर, अंडमान निकोबार द्वीप समूह और तमिलनाडु में वन्यजीव संरक्षक के तौर पर काम करने वाले रोमुलस व्हेतकर को भी पद्म श्री से सम्मानित किया गया। महाराष्ट्र के नक्सल प्रभावित गढ़ चिरौली में 30 साल से अधिक समय से स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने वाले चिकित्सक बांग दंपती को भी यह पुरस्कार मिला है।

सिकल सेल रोग के खिलाफ काम करने वाले महाराष्ट्र के संपत रामटेके और नेत्र रोग विशेषज्ञ नेपाल के सांदुक रूइत को भी पद्म श्री से सम्मानित किया गया है। लखनऊ के उर्दू कवि अनवर जलालपुरी को पद्म श्री से सम्मानित किया गया है। उन्होंने भगवद गीता के 700 श्लोकों का उर्दू में अनुवाद किया है। हिंदू मुसलिम एकता के पैरोकार, गायक व कर्नाटक के इब्राहिम सुतार, तेजस के पूर्व प्रोग्राम निदेशक व बिहार निवासी मानस बिहारी वर्मा को यह पुरस्कार प्रदान किया गया।

महिला विकास व सशक्तीकरण और खासतौर पर देवदासी व दलितों के हितों की पैराकार सितत्व जोद्दादी और सउदी अरब के प्रथम योग प्रशिक्षक नौफ मरवाई को भी यह पुरस्कार प्रदान किया गया। नौफ ने उस देश में योग को कानूनी मान्यता दिलाने में योगदान दिया है। भारत के सबसे वृद्ध योग शिक्षक वी ननम्मल (98) को भी यह पुरस्कार दिया गया है।
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और कई बार के विश्व चैंपियन क्यू खिलाड़ी पंकज आडवाणी को पदम भूषण से अलंकृत किया गया। इन दोनों के अलावा 2017 विश्व भारोत्तोलन चैंपियनशिप में महिलाओं के 48 किग्रा में स्वर्ण पदक जीतने वाली सैखोम मीराबाई चानू और एशियाई खेलों के पूर्व स्वर्ण पदक विजेता टेनिस खिलाड़ी सोमदेव देववर्मन को पदमश्री से अलंकृत किया गया। पुरुष एकल बैडमिंटन खिलाड़ी किदाम्बी श्रीकांत को भी पदमश्री सम्मान मिला है।

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