मेरठ। पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान के वंशज यदि कानूनी लड़ाई जीत जाते हैं, तो उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर का आधे से ज्यादा हिस्सा उनका हो जाएगा। इस क्षेत्र में रेलवे स्टेशन, डीएम आवास, कंपनी गार्डन, सेंट्रल स्कूल सहित कई जगहें शामिल हैं।
लियाकत के वंशजों ने कुल 674 करोड़ रुपए की संपत्ति के दावे को लेकर उत्तर प्रदेश के राजस्व आयोग से शिकायत की है, जिसके बाद इस दावे की जांच शुरू हो गई है। उधर, प्रशासन ने भी लियाकत अली के परिजनों के इस दावे को खारिज करने के लिए सारे रिकॉर्ड खोद निकाले हैं।
दरअसल, 2003 में मुजफ्फरनगर के चार स्थानीय लोगों ने खुद को खुद को लियाकत का दूर का रिश्तेदार बताते बताने के लिए एक डीड तैयार की। उसके बाद उन्होंने इसे लेकर गुपचुप तरीके से उत्तर प्रदेश के राजस्व आयुक्त से शिकायत की और 106 प्लॉट्स पर अपना कब्जा वापास मांगा।
मोटे तौर पर यह संपत्ित करीब मुजफ्फरनगर के आधे हिस्से के बराबर है। खुद को उनका वंशज बताने वाले चार लोगों का कहना है कि खान परिवार की जिले में बहुत संपत्ति है। संपत्ित पर दावा करने वाले चारों व्यक्ित खुद को एजाज के परिवार का सदस्य बता रहे हैं। चारों के नाम जमशेद अली, खुर्शीद अली, मुमताज बेगम और इमतियाज बेगम हैं।
दो सप्ताह पहले मुजफ्फरनगर के डीएम को मामले की जांच के लिए निर्देश मिले, जिसके बाद इस दावे को फर्जी बताते हुए गुरुवार को एफआईआर दर्ज हुई है। एडीएम (वित्त) के नेतृत्व में मामले की जांच की जा रही है। मुजफ्फरनगर के डीएम निखिल चंद्र शुक्ला ने कहा कि यह पूरी तरह से फर्जीवाड़े का मामला है। हमने अपने रिकॉर्ड की जांच की है।
जिन पर दावा किया जा रहा है वह सभी इमारत और जमीन सरकार की हैं। साथ ही डीएम ने यह भी कहा कि यदि वंशजों के दावे सही भी हैं, तो मूल टाइटल डीड कहां है। एजाज अली को संपत्ति का कब्जा हस्तांतरित करने के कागजात कहां हैं।
यह बड़ी संपत्ति का मामला है, लेकिन आज तक इसके हस्तांतरण को लेकर कोई स्टंप ड्यूटी नहीं दी गई। गौरतलब है कि आजादी से पहले लियाकत अली मुजफ्फरनगर में रहते थे। वह 1926 से 1940 तक मुजफ्फरनगर से प्रांतीय विधान परिषद के सदस्य थे। बाद में लियाकत का परिवार पाकिस्तान चला गया था।
साभार- http://naidunia.jagran.com/ से