नई दिल्ली। उपनिषदों की विख्यात विदुषी प्रो. वेदवती वैदिक का निधन हो गया। दिल्ली के लीवर—इंस्टीट्यूट में उनका उपचार चल रहा था। वे प्रसिद्ध पत्रकार डॉ. वेदप्रताप वैदिक की धर्मपत्नी थी। उनकी आयु 70 वर्ष थी। उनका अंतिम संस्कार दयानंद घाट, लोदी इस्टेट पर आज संपन्न हो गया। 1977 से दिल्ली विश्वविद्यालय के मैत्रेयी महाविद्यालय में अध्यापन तथा श्री अरविन्द महाविद्यालय (सांध्य) में संस्कृत विभागाध्यक्ष रही हैं। प्रो
वेदवतीजी ने 1986 से दिल्ली विश्वविद्यालय के दक्षिण-परिसर में एम.ए. और एम.फिल. कक्षाओं में प्राध्यापन एवं शोध निर्देशन किया है। वे ‘इंण्डियन कौंसिल आफ हिस्टोरिकल रिसर्च’ की सीनियर फेलो (1980-83) रही हैं। 2013 में वे सेवानिवृत्त हुई हैं। उन्होंने साउथ एक्सटेंशन, दिल्ली के ‘रामेश्वरदास गुप्त धर्मार्थ ट्रस्ट’ के प्रबंध न्यासी के तौर पर समाज—सेवा के अनेक अभियान चलाए हैं। उपनिषद्-विद्या और वेदवती वैदिक एक-दूसरे के पर्याय बन गए हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय से संस्कृत में बी.ए. (ओनर्स) और एम.ए. करने के पश्चात् उन्होंने ‘श्वेताश्वतर उपनिषद के भाष्यों का एक अध्ययन’ विषय पर 1977 में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। उपनिषद् विद्या पर उनके ये ग्रंथ प्रकाशित हुए हैं- ‘श्वेताश्वतर उपनिषद्ः दार्शनिक अध्ययन’, ‘उपनिषदों के ऋषि’, ‘उपनिषद् वाड्मयः विविध आयाम’, ‘उपनिषदों के निर्वचन’ और ‘उपनिषद्युगीन संस्कृति’। उन्होंने भगवद्गीता का हिन्दी और अंग्रेजी अनुवाद किया है। इस ग्रंथ के अनेक संस्करण हो चुके हैं। उनका 1500 पृष्ठों का उपनिषद् महाकोश ( एनसाइक्लोपीडिया ऑफ उपनिषद्स ) हिंदी और अंग्रेजी में शीघ्र प्रकाश्य हैं। वे ‘निःश्रेयस न्यास’ द्वारा प्रकाशित ‘त्वदीयम्’ एवं ‘आधुनिक भारतीय विचारक’ नामक दो ग्रंथों की संपादिका रही हैं।