मन्दसौर के पारस जैन पमनानी अस्पताल के पास नुक्कड़ पर थैला गाड़ी पर छोटी सी चाय की दुकान चलाते है मरीजो व उनके परिजनो को अच्छी चाय सस्ते दाम पर उपलब्ध करवाते है लेकिन उनका एक सिद्धांत है कि वह मासूम बच्चो के लिए ले जाने वाले दुध के पैसे नही लेते है चाहे दिन में कितनी ही बार दुध ले जाओ सिर्फ पमनानी अस्पताल ही नही चाहे कही पर भी चाहिए तो पारस जैन जी दुध के पैसे नही लेते।
पारस जैन के बारे मे युवा समाजसेवी निज़ाम कुरैशी बताते है कि मैं मेरे छोटे बच्चो के लिए दूध लेने गया तो जैन साहब ने पैसे लेने से इन्कार कर दिया इस पर कुरैशी ने कहा कि से सैकड़ों लोग आते हैं दिन भर में चाय से ज्यादा दूध फ्री चला जाता होगा। इस पर श्री जैन बोले इंसान की जिंदगी में क्या रखा है मासूम बच्चो के लिये इतना तो कर ही सकते है ईश्वर ने हमें इन्सान बनाया है तो इंसानियत के काम तो आ ही सकते है और ईश्वर का इतना करम तो है ही इन बच्चो के नसीब का मुझे मिल ही जाता है।
दूसरी ओर छोटी सी चाय की दुकान चलाने वाले पारस जैन बच्चो के लिए जो कर रहे है काबिले तारीफ है श्री कुरैशी और श्री जैन की आपस में इस कदर दोस्ती हुई की श्री कुरैशी की पत्नि व जुड़वा बच्चो को पाँच दिन पमनानी अस्पताल में रहने के बाद जब डिस्चार्ज कर जाने लगे तो जैन साहब व कुरैशी नम आँखो से विदा हुऐ क्योंकि दोनो ही व्यक्तियों उद्देश्य एक थै लेकिन नसीब में सिर्फ पांच दिन ही साथ रहना था। ऐसे ही जैन साहब से प्रभावित होकर एक टेम्पो चालक भी समाजसेवी बने, जो कि पमनानी अस्पताल के पास टेम्पो से मरीज व उनके परिजनो को कम किराये पर छोड़ते हैं।