मुंबई।
चित्रनगरी संवाद मंच के प्रमुख सदस्य जाने-माने व्यंग्यकार, कथाकार, कवि संजीव निगम हमारे बीच नहीं रहे। 23 मई 2023 को घातक ब्रेन स्ट्रोक होने पर उन्हें मुम्बई के कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती किया गया। वहाँ उनके मस्तिष्क के दो ऑपेरशन हुए। तब से वह लगातार स्वास्थ्य सम्बन्धी चुनौतियों का सामना कर रहे थे। आज 28 जून, 2023 की दोपहर को उन्होंने मलाड, मुम्बई के संजीवनी अस्पताल में आख़िरी साँसें लीं। उनकी उम्र 63 साल थी। उनके परिवार में पत्नी और दो बेटे हैं। हमारी हार्दिक श्रद्धांजलि। ईश्वर उनके परिवार एवं शुभचिंतकों को यह दुख बर्दाश्त करने की शक्ति दे।
संजीव निगम देना बैंक में राजभाषा अधिकारी थे। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने धारावाहिकों में पटकथा लेखन का काम किया। उनकी कुछ कहानियों पर टेली फ़िल्मों का निर्माण हुआ। पिछले कुछ सालों से संजीव निगम हिंदुस्तानी प्रचार सभा में मानद निदेशक और सभा की पत्रिका हिंदुस्तानी ज़बान के सम्पादक थे। उनकी देखरेख में सभा ने हिंदुस्तान की जेलों में क़ैदियों के लिए लाइब्रेरी की शुरुआत की। अब तक सौ से अधिक जेलों में लाइब्रेरी की स्थापना हो चुकी है और क़ैदी पुस्तकों का लाभ उठा रहे हैं।
16 अक्टूबर 1959 को दिल्ली में जन्मे संजीव निगम के तीन काव्य संग्रह प्रकाशित हैं। शरलाक होम्स की कहानियों का अनुवाद प्रकाशित है। उन्हें कथाबिम्ब कहानी पुरस्कार, साहित्य गौरव पुरस्कार और साहित्य शिरोमणि पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
कवि और व्यंग्यकार के रूप में लोकप्रिय संजीव निगम ने सात नाटक लिखे- त्रिकोण का चौथा कोण, शरीफों की शान्ति, अजनबी, अग्निशिखा, तीन हसीना, कहो तथागत और नो एडमिशन। ये नाटक भोपाल, पुड्डुचेरी, उदयपुर, अहमदाबाद और मुम्बई में मंचित हुए। हाल ही में उनका लघुकथा संग्रह ‘मुफ़्त का चंदन’ प्रकाशित हुआ।
विगत 30 अप्रैल को अभिनेता कुणाल हृदय का काव्य नाटक देखने के लिए संजीव निगम अपनी पत्नी शशि निगम के साथ चित्रनगरी संवाद मंच में पधारे थे। इससे पहले उनकी मौजूदगी में चित्रनगरी संवाद मंच की गीत संध्या सम्पन्न हुई थी।