एक वायरल वीडियो में देखिए। भरतोय सेना ने 27 जून, 2023 को ही बता दिया था कि कैसे ईसाई कुकी महिलाएँ अपने आतंकियों को छुड़ाने के लिए ये सारे तिकड़म आजम रही हैं। व्यवस्थागत तरीके से इन महिलाओं का इस्तेमाल किया गया #Manipur में।
वायरल वीडियो में जिन्होंने महिलाओं के साथ उस तरह की हरकत की है वो जंगली जानवर से भी बदतर हैं, लेकिन जिन्होंने जानबूझकर अपनी महिलाओं को आग में झोंक दिया वो क्या हैं? सामान्यतः महिलाओं और बच्चों को हिंसा से दूर ही रखा जाता है, एक अपराधी का परिवार भी ऐसा करता है। लेकिन, यहाँ भस्र्ट की सेना के सामने कुकी ईसाई महिलाएँ खुद निर्वस्त्र हो जाती थीं और उन्हें धर्मसंकट में डाल देती थीं। ये चीन या कोरिया की सेना नहीं है, तालिबान या ईरान का शरिया यहाँ नहीं चलता है, इसीलिए मर्यादा में रहते हुए हमारे सुरक्षा बलों ने ऐसी परिस्थितियों में महिलाओं पर हाथ उठाने से बेहतर समझा कि आतंकियों को ही छोड़ दिया जाए।
एक साक्षात्कार में रिटायर्ड कर्नल हनी बख्शी से ये सवाल पूछा गया था कि भारतीय सेना ऐसी परिस्थिति में क्यों नहीं महिलाओं पर गोली चलाती? इस बारे में उन्होंने बताया था कि सेना सोचती है कि अपराधियों की पहचान हो गई है और उनके लोकेशन का अंदाज़ा है तो बाद में भी उठा लेंगे, लेकिन अपने ही देश के नागरिकों, खासकर महिलाओं को समझाने-बुझाने के अलावा कर कुछ नहीं कर सकते। उन्होंने बताया था कि अधिकतर स्थितियों में सेना का कोई जवान गोली चला भी दे तो उसे सालों कोर्ट के चक्कर काटने पड़ जाते हैं। उस सेना को बलात्कारी और हत्यारा कह कर न सिर्फ बदनाम किया जाता है, बल्कि सरकारों पर दबाव बना कर, कई इलाकों में विरोध प्रदर्शन निकाल कर और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मानवाधिकार का रोना रो-रो कर AFSPA हटवा दिया जाता हैं। बाद में अशांति आती है तो ये कहते हैं क्यों ऐसा हुआ।
#ManipurViolence पर एक वीडियो वायरल होने के बाद छाती पीटने वालो, तब कहाँ थे तुम जब महिलाओं का इस्तेमाल मैतेई हिंदुओं के नरसंहार और उनके घरों को आग के हवाले करने के लिए किया जा रहा था? तब चुप्पी साध कर उन्हें अपना मौन समथन दे रहे थे, आज सरकार को दोष देने निकल पड़े हो?
Anupam K. Singh (@anupamnawada) के ट्वीटर हैंडल से साभार