प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2023 को लाल किले की प्राचीर से से देश को लगातार दसवीं बार संबोधित किया।इस अवसर का लाभ उठाते हुए जहां उन्होंने अपने 10 वर्षों के कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाईं वहीं अपनी गारंटी देते हुए यह भविष्यवाणी भी कर दी कि 2024 की 15 अगस्त को देश की उपलब्धियां बताने के लिए वो ही फिर से आएंगे। आजादी के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि देश के प्रधानमंत्री ने आगामी लोकसभा चुनावों के पूर्व ही यह भविष्यवाणी कर दी कि अगली बार मैं ही देश की उपलब्धियां बताने के लिए आऊंगा। स्वाभाविक रूप से प्रधानमंत्री के इस दावे से भाजपा विरोधी ताकतों को सिर दर्द होने लगा और उनकी हताशा भरी प्रतिक्रियाएं आनी प्रारंभ हो गयीं।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के आरम्भ में ही मणिपुर की हिंसा सहित हिमांचल और उत्तराखंड आदि राज्यों में बाढ़ के हालात का उल्लेख किया। अपनी सरकार के कार्यों का लेखा जोखा प्रस्तुत किया और साथ ही अगले 25 वर्षों की योजना भी बता दी। प्रधानमंत्री जी ने गारंटी के साथ अपने अगले कार्यकाल में भारत को विश्व तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवथा बनाने का वादा किया। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आज का समय बहुत ही महत्वपूर्ण व ऐतिहासिक है क्योंकि इस समय जो भी निर्णय लिए जाएंगे उनका असर आगामी 1000 वर्षों तक दिखाई पड़ेगा। 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने के रोडमैप वाला ये उद्बोधन उत्साहवर्धक और प्रभावी रहा । प्रधानमंत्री लाल किले से एक बार फिर यह स्थापित करने में सफल रहे कि आज देश में जो सरकार है वह सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय के लिए समिर्पत है।
प्रधानमंत्री ने लालकिले से भारत की समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर पर प्रकाश डाला और विकसित राष्ट्र की ओर बढ़ते हुए वर्तमान भारत के उदय का वर्णन किया। उन्होंने भारत के आर्थिक पुनरुत्थान ने समग्र वैश्विक स्थिरता और रेजिलिएंट सप्लाई चेन के रूप में जो काम किया है उसका भी उल्लेख किया। उन्होंने अपने विगत 9 वर्षो के कार्यकाल में किए गये सुधारों और पहलों की भी चर्चा की । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस का जो उत्तर दिया लालकिले का यह संबोधन उसी का विस्तार था। इस संबोधन से प्रधानमंत्री आगामी लोकसभा चुनावों के पूर्व विरोधी दलों द्वारा बनाये जा रहे महागठबंधन पर मनोवैज्ञानिक बढ़त बनाने पर सफल रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि भारत के अमृतकाल के कालखंड में हम जितना त्याग करेंगे तपस्या करेंगे आने वाले एक हजार साल का स्वर्णिम इतिहास उससे अंकुरित होने वाला है। उनका कहना था कि आज मां भारती जागृत हो चुकी हैं और विश्व भर में भारत के प्रति एक नई आशा, नया विश्वास पैदा हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में देश के युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज देश में नौजवानों के लिए अवसरों की कोई कमी नहीं है आप जितने अवसर चाहेंगे ये देश आसमान से भी ज्यादा अवसर देने का सामर्थ्य रखता है। देश के किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि यह आप ही का परिश्रम है कि आज देश कृषि क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। नारी शक्ति को संबोधित करते हुए “वीमन लेड डेवलपमेंट” का अपना संकल् दोहराया और कहा कि उनका सपना गांवों में 2 करोड़ लखपति दीदी बनाने का है। उन्होंने गांवों में काम कर रही महिला स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन उपलब्ध कराने की भी बात कही।
देशवासियों को गारंटी देते हुए प्रधानमंत्री ने घोषणा करी कि वह अगले 5 साल में भारत को दुनिया की तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति बनाएंगे। देशभर में 25 हजार जनऔषधि केंद्र खोलने तथा आगामी 17 सितंबर को 13 से 15 हजार करोड़ की नई विश्वकर्मा योजना के आरम्भ की घोषणा भी प्रधानमंत्री ने लालकिले से की। प्रधानमंत्री ने कहा हम जिन भी विकास परियोजनाओं का शिलान्यास करते हैं, उनका लोकार्पण भी हम ही करते हैं। आजकल मैं जिन परियोजनाओं का शिलान्यास कर कर रहा हूँ उनका लोकार्पण भी आपने मेरे ही नसीब में छोड़ा हुआ है।
महंगाई का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहाकि कोरोना काल के बाद यूक्रेन युद्ध ने नई मुसीबत पैदा की है आज पूरी दुनिया महंगाई के संकट से जूझ रही है। हम भी दुनिया से सामान लाते हैं और हमारा दुर्भाग्य है कि महंगाई इंपोर्ट करनी पड़ती है। भारत ने महंगाई नियंत्रित करने के लिए कई प्रयास किए हैं और आगे भी हम महंगाई कम रकने के प्रयास जारी रखेंगे।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में देशवासियों को पहली बार परिवारीजन कहकर संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने लगभग डेढ़ घंटे से कुछ अधिक भाषण दिया। उन्होंने अपने संबोधन में परिवारवाद, भ्रष्टाचार और तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले दलों व उनके नेताओ को परोक्ष रूप से को देश के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते हुए इन बुराईयों से लड़ने का संकल्प लिया जिसके कारण सभी विरोधी दल बौखला गए हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण को राजनैतिक भाषण बता रहे हैं ।
प्रेषक – मृत्युंजय दीक्षित
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