21वें कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत के शानदार प्रदर्शन को लेकर मीडिया में डिस घटिया तरीके से रिपोर्टिंग हो रही है उसे लेकर उड़नपरी पीटी ऊषा ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘रिपोर्टर- हरियाणा का लड़का जीता, दिल्ली की लड़की ने करके दिखाया…चेन्नई की लड़की, पंजाब का लड़का! क्या हम ऐसा बिना राज्य का नाम लिए नहीं कर सकते? क्या आपने कभी अमेरिका के रिपोर्टर से सुना है कि फ्लोरिडा के लड़के या टेक्सास की लड़की? या ऑस्ट्रेलिया में सुना है कि मेलबर्न की लड़की ने जीता?’
१९८६ में सियोल में हुए दसवें एशियाई खेलों में दौड़ कूद में, पी. टी. उषा ने ४ स्वर्ण व १ रजत पदक जीते। उन्होंने जितनी भी दौड़ों में भागल लिया, सबमें नए एशियाई खेल कीर्तिमान स्थापित किए। १९८५ के में जकार्तामें हुई एशियाई दौड-कूद प्रतियोगिता में उन्होंने पाँच स्वर्ण पदक जीते। एक ही अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में छः स्वर्ण जीतना भी एक कीर्तिमान है। वे दक्षिण रेलवे में अधिकारी पद पर कार्यरत हैं। १९८५ में उन्हें पद्म श्री व अर्जुन पुरस्कार दिया गया। 1982 के एशियाड खेलों में उसने 100 मीटर और 200 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीते थे। राष्ट्रीय स्तर पर उषा ने कई बार अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दोहराने के साथ 1984 के लांस एंजेल्स ओलंपिक खेलों में भी चौथा स्थान प्राप्त किया था। यह गौरव पाने वाली वे भारत की पहली महिला धाविका हैं।
कोई विश्वास नहीं कर पा रहा था कि भारत की धाविका, ओलंपिक खेलों में सेमीफ़ाइनल जीतकर अन्तिम दौड़ में पहुँच सकती है। जकार्ता की एशियन चैंम्पियनशिप में भी उसने स्वर्ण पदक लेकर अपने को बेजोड़ प्रमाणित किया। ‘ट्रैक एंड फ़ील्ड स्पर्धाओं’ में लगातार 5 स्वर्ण पदक एवं एक रजत पदक जीतकर वह एशिया की सर्वश्रेष्ठ धाविका बन गई हैं। लांस एंजेल्स ओलंपिक में भी उसके शानदार प्रदर्शन से विश्व के खेल विशेषज्ञ चकित रह गए थे। 1982 के नई दिल्ली एशियाड में उन्हें 100 मी व 200 मी में रजत पदक मिला, लेकिन एक वर्ष बाद कुवैत में एशियाई ट्रैक और फ़ील्ड प्रतियोगिता में एक नए एशियाई कीर्तिमान के साथ उन्होंने 400 मी में स्वर्ण पदक जीता। 1983-89 के बीच में उषा ने एटीऍफ़ खेलों में 13 स्वर्ण जीते। 1984 के लॉस ऍञ्जेलेस ओलम्पिक की 400 मी बाधा दौड़ के सेमी फ़ाइनल में वे प्रथम थीं, पर फ़ाइनल में पीछे रह गईं
इस पर खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा, ‘जब भी हमारे देश का झंडा ऊपर जाता है तो भारत और भारतीय ही जीतते हैं। स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया, राज्य या फिर कॉरपोरेट सुविधा देते हैं और हम देश और झंडे के लिए खेलते हैं। एक भारत श्रेष्ठ भारत।’