नवीन चौधरी की यह किताब 90 के दशक की छात्र-राजनीति के दांव-पेंच और मोहब्बत के गलियारों साथ-साथ अपनी उपस्थिति दर्ज करवाती है.
जनता स्टोर, जिसमें जातिगत समीकरण, पैसे और सत्ता के लोभ के चलते धोखेबाज़ी के किस्से हैं, और बातें हैं गुलाबी नगरी की सड़क ”जेएलएन” मार्ग की.
नब्बे का दशक सामाजिक और राजनीतिक मूल्यों के लिए इस मायने में निर्णायक साबित हुआ कि अब तक के कई भीतरी विधि-निषेध इस दौर में आकर अपना असर अन्तत: खो बैठे। जीवन के दैनिक क्रियाकलाप में उनकी उपयोगिता को सन्दिग्ध पहले से ही महसूस किया जा रहा था लेकिन अब आकर जब खुले बाज़ार के चलते विश्व-भर की नैतिकताएँ एक दूसरे के सामने खड़ी हो गईं और एक दूसरे की निगाह से अपना मूल्यांकन करने लगीं तो सभी को अपना बहुत कुछ व्यर्थ लगने लगा और इसके चलते जो अब तक खोया था उसे पाने की हताशा सर चढ़कर बोलने लगी।
मंडल के बाद जाति जिस तरह भारतीय समाज में एक नए विमर्श का बाना धरकर वापस आई वह सत्तर और अस्सी के सामाजिक आदर्शवाद के लिए अकल्पनीय था। वृहत् विचारों की जगह अब जातियों के आधार पर अपनी अस्मिता की खोज होने लगी और राजनीति पहले जहाँ जातीय समीकरणों को वोटों में बदलने के लिए चुपके-चुपके गाँव की शरण लिया करती थी, उसका मौ$का उसे अब शिक्षा के आधुनिक केन्द्रों में भी, खुलेआम मिलने लगा।
यह उपन्यास ऐसे ही एक शिक्षण-संस्थान के नए युवा की नई ज़ुबान और नई र$फ्तार में लिखी कहानी है। बड़े स्तर की राजनीति द्वारा छात्रशक्ति का दुरुपयोग, छात्रों के अपने जातिगत अहंकारों की लड़ाई, प्रेम त्रिकोण, छात्र-चुनाव, हिंसा, साजि़शें, हत्याएँ, बलात्कार जैसे इन सभी कहानियों के स्थायी चित्र बन गए हैं, वह सब इस उपन्यास में भी है और उसे इतने प्रामाणिक ढंग से चित्रित किया गया है कि $खुद ही हम यह सोचने पर बाध्य हो जाते हैं कि अस्मिताओं की पहचान और विचार के विकेन्द्रीकरण को हमने सोवियत संघ के विघटन के बाद जितनी उम्मीद से देखा था, कहीं वह कोई बहुत बड़ा भटकाव तो नहीं था?
लेकिन अच्छी बात यह है कि इक्कीसवीं सदी के डेढ़ दशक बीत जाने के बाद अब उस भटकाव का आत्मविश्वास कम होने लगा है और नई पीढ़ी एक बड़े फलक पर, ज़्यादा वयस्क और विस्तृत सोच की खोज करती दिखाई दे रही है।
लेखक के बारे में
नवीन चौधरी का जन्म मधुबनी (बिहार) में हुआ, लेकिन परवरिश और MA तक की पढाई दुनियाभर में अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर गुलाबी नगरी यानी किजयपुर में हुई.
पेशे से मार्केटिंग प्रोफेशनल नवीन फोटोग्राफी, व्यंग्य-लेखन, ट्रेवलॉग-राइटिंग शौकिया तौर पर करते हैं. https://www.facebook.com/ktaksh और https://www.facebook.com/naveenblog/ इनके फेसबुक पेज और ब्लॉग का लिंक.
पुस्तक – जनता स्टोर
लेखक –नवीन चौधरी
आईएसबीएन 9788183618960
प्रकाशक : फंडा ,राधाकृष्ण प्रकाशन
बाईंडिंग – पेपरबैक
मूल्य 199
प्रकाशन वर्ष : 2018, फिक्शन
संपर्क
संतोष कुमार
M -9990937676