Wednesday, June 26, 2024
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पुरातन मूर्तियाँ हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं

कला एवं संस्कृति किसी भी राष्ट्र की अमूल्य धरोहर होती है !समाज द्वारा इस धरोहर को अपने अगली पीढ़ी को विरासत के रूप में हस्तांतरित किया जाता है! जबकि भारत के साथ कुछ ऐसी विडंबना रही कि लगातार विदेशी आक्रमणकारियों के द्वारा लूटपाट एवं अत्याचार किया गया! धरोहरों को चुराया गया !उसके साथ छेड़छाड़ किया गया और अपने नाम किया गया! जो भारत के लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण रहा! यद्यपि की हम स्वतंत्र भारत के नागरिक हैं!

हमारी कानून व्यवस्था भी हमारे हीअधीन है परंतु किसी भी सरकार ने कलाकृतियों एवं संस्कृतियों को धरोहर के रूप में देखते हुए उसके संरक्षण और संवर्धन पर विचार ही नहीं किया अथवा रोजी-रोटी की समस्या से ऊपर उठकर कला एवं संस्कृतियों के दिशा में कभी ध्यान ही नहीं गया! परंतु सौभाग्य से वर्तमान मोदी सरकार का इस क्षेत्र में ध्यान गया और उन्होंने भारतबोध यानि कि- ‘नई पीढ़ी को भारत की विशेषताओं से अवगत कराना , जिसके कारण बार-बार विदेशी आक्रमणकारी भारत पर आक्रमण करते रहे ,अत्याचार करते रहे इत्यादि के कारणों को पता लगाते हुए नई पीढ़ी को परोसने का कार्य किया ! इसके लिए विदेश से लेकर देश तक हर जगह मौजूद प्राचीन कलाकृतियों और संस्कृतियों की छानबीन की तथा करवाया और उससे समस्त देशवासियों को अवगत कराया!

2014 के बाद मोदी सरकार ने इस दिशा में पहल किया और विचार किया कि यदि हमें विकसित राष्ट्र होना है तो सर्वप्रथम खुद को ,अपनी संस्कृतियों को ,अपनी विशेषताओं को जानना होगा! अपने देश की संपत्ति, सांस्कृतिक धरोहरों का तथा कलाकृतियों का ज्ञान होना वास्तव में भारत का गौरव है! उन धरोहरों को जो विदेशों में छुपा लिया गया है उन्हें वापस लाना होगा ! इस दिशा में विचार और कार्य दोनों आरंभ हुआ! सांस्कृतिक धरोहरों और कलाकृतियों के संरक्षण संवर्धन और विदेशों से पुनरागमन की दिशा में कार्य करते हुए देश में 251 मूर्तियां और प्राचीन धरोहरों को वापस लाया गया है! इनमें 238 मूर्तियां और प्राचीन धरोहरों को 2014 के पश्चात लाया गया है!

इस दौरान जिन प्राचीन धरोहरों और पवित्र मूर्तियों को वापस लाया गया है उनमें वाराणसी की अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति, चित्तौड़गढ़ के नटराज की मूर्ति , चोल काल की ‘श्री’ देवी जी की मूर्ति, हनुमान जी की मूर्ति, राम जी की मूर्ति, लक्ष्मण जी की मूर्ति तथा सीता जी की अष्टधातु की मूर्तियां और भगवान बुद्ध की कई प्रतिमाएं शामिल हैं! इन मूर्तियों और धरोहरों में से ज्यादातर अमेरिका, ब्रिटेन ,फ्रांस तथा आस्ट्रेलिया जैसे देशों से वापस लाई गई है! औपनिवेशिक कालखंड में भारत से बड़े पैमाने पर अमूल्य कलाकृतियां और धरोहरों को ब्रिटेन और फ्रांस सहित कई देशों में चोरी छुपे या फिर युद्ध के दौरान लूट कर ले जाया गया था जिसे वापस लाने के दिशा में सफल प्रयास किया गया है!
अभी तक 251 मूर्तियां और प्राचीन धरोहरों को दूसरे देशों से वापस लाया गया है !

सरकार ने ‘स्वदेश दर्शन’ के तहत 15 पर्यटन सर्किट को विकसित किया है ! ‘चार धाम कनेक्टिविटी योजना’ के तहत 889 किलोमीटर के राष्ट्रीय राजमार्ग विकसित किए जाएंगे! ‘हृदय योजना’ के अंतर्गत 12 हेरिटेज शहरों का विकास किया जा रहा है! ‘प्रसाद योजना’ के अंतर्गत सांस्कृतिक स्थलों के विकास के लिए 1200 करोड रुपए का निवेश किया गया है! भारत सरकार द्वारा 10 नए जनजाति स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय स्थापित किया जा रहे हैं! वर्तमान सरकार के सक्रिय सहयोग से काशी विश्वनाथ कॉरिडोर तथा अन्य परियोजनाओं के कारण मंदिरों, नदियों, गलियों और परिसरों का कायाकल्प हुआ है ! केदारनाथ परिसर में आदि शंकराचार्य की नई प्रतिमा का अनावरण किया जो सभ्यता और संस्कृति का शाश्वत प्रतीक है!

सरकार अपने सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण के लिए अति गंभीर है !जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान अपने रूख को स्पष्ट किया है और इससे जुड़े पहलुओं को ‘दिल्ली घोषणा पत्र ‘में स्थान दिया गया है! ‘दिल्ली घोषणा पत्र’ में सर्वसम्मति से पारित किया गया है कि तस्करी एवं चोरी सहित दूसरे देशों से आयातित किसी भी कलाकृति एवं सांस्कृतिक धरोहर को प्राप्त करने का मूल देश को मौलिक अधिकार है!

जिन देशों के पास ऐसी वेशकीमती वस्तुएं मौजूद है उन्हें स्वेच्छा से उसे वापस कर देना चाहिए! संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा जी-20 की बैठक के दौरान इस विषय को सर्वोच्च प्राथमिकता से रखा गया है! वर्तमान सरकार ने सांस्कृतिक धरोहरों तथा कलाकृतियों पर गर्व किया है! विभिन्न मंत्रालय के अनुसार विगत वर्षों में उसे दूसरे देशों में मौजूद अपनी कलाकृतियों को वापस लाने में महत्वपूर्ण सफलता भी प्राप्त हुई है! यह उपलब्धि भारत के गौरव को ऊंचा उठाने का बहुत बड़ा कारण हैं जो हमारी मेरुदंड की महत्ता रखते हैं!

( डॉक्टर सुनीता त्रिपाठी ‘जागृति’ स्वतंत्र लेखिका, अखिल भारतीय राष्ट्रवादी लेखक संघ, नई दिल्ली)

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