झारखंड के विश्व प्रसिद्ध बंशीधर मंदिर में विराजमान भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा अलौकिक है। मंदिर में स्थापित श्रीकृष्ण की 32 मन शुद्ध सोने 1280 किलो की प्रतिमा को देखने के लिए देश ही नहीं विदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं। यह दुर्लभ प्रतिमा 184 वर्ष पुरानी है और कहा जाता है कि उस समय की महारानी को सपना आया था कि एक पहाड़ी पर भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा है। वहा खुदाई कराने पर यह प्रतिमा बरामद हुई थी।
खूबसूरत वादियों के बीच स्थित नगर उंटारी उतरप्रदेश, छत्तीसगढ़ और बिहार की सीमाओं को स्पर्श करता है. नगर उंटारी को पलामू की सांस्कृतिक राजधानी भी कहा जाता है. यहां श्री बंशीधर मंदिर की स्थापना सन 1885 में हुई थी.
मंदिर के पुजारी ब्रजकिशोर तिवारी बताते हैं संवत 1885 में महरानी शिवमानी देवी को उत्तर प्रदेश के दुद्धी थानाक्षेत्र स्थित महुली कस्बे के समीप शिव पहाड़ी नामक पहाड़ पर भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा दबे होने का सपना आया था। महारानी ने उक्त बातें अपने लोगों को बताई। उसके बाद सपने के आधार पर खुदाई कराई गई तो भगवान बंशीधर की उक्त प्रतिमा मिली। हाथी की मदद से उक्त प्रतिमा को नगर गढ़ लाया गया। नगर गढ़ के मुख्य द्वार पर हाथी बैठ गया। उसके बाद प्रतिमा को यहीं स्थापित किया गया। बाद में वाराणसी से मां राधे की अष्टधातु की प्रतिमा मंगाकर वहां स्थापित किया गया है।
बंशीधर मंदिर लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। यहां सालों भर श्रदालुओं का तांता लगा रहता है। सोने की प्रतिमा को देखने देश ही नहीं विदेश से भी लोग आते हैं। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के दिन देश के कई भागों से हजारों श्रद्धालु यहां आते हैं। वहीं फाल्गुन मास में यहां एक माह का मेला लगता है। बंशीधर महोत्सव के बाद से यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है।
यहां भगवान श्रीकृष्ण शेषनाग के ऊपर कमल पर वंशीवादन करते विराजमान हैं. भूगर्भ में गड़े होने के कारण शेषनाग नजर नहीं आता. प्रतिमा को गौर से देखने पर पता चलता है कि यहां श्रीकृष्ण त्रिदेव के स्वरूप में स्थापित हैं.
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