Saturday, November 23, 2024
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स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास और अनछुए पक्ष को सामने लाने के लिए लेखकों से निवेदन

प्रिय लेखक मित्रों,

हर्ष का विषय है कि भारतीय संस्कृति, परंपरा एवं लोकाचार के मार्ग का निर्वाहन करते हुए इंडिक अकादमी भारतीय इतिहास की ओर भी अग्रसर है। इस कड़ी में आगे बढ़ते हुए हम आपके समक्ष प्रस्तुत करने वाले हैं भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अनछुए पक्ष।

यह हर भारतीय को ज्ञात है कि हम को स्वतंत्रता के लिए कई युद्धों से जूझना पड़ा और वह समय बेहद कष्टमय तथा संकटमय रहा। पुर्तगाली खोजकर्ता वास्को डी गामा के रूप में यूरोपीय व्यापारियों के १४९८ में कालीकट के बंदरगाह पर प्रथम आगमन के साथ आरम्भ हुई कथा १९४७ में जाकर भारत की स्वतंत्रता के साथ अपने अंत को प्राप्त हुई।

१७५७ वह वर्ष था जब तमिलनाडु के मवीरन अलगुमुथु कोन ने ब्रिटिश राज्य के विरुद्ध खड़े होने का साहस किया था। अंत में वह सद्गति को प्राप्त हुए। मवीरन अलगुमुथु कोन को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का पहला सेनानी कहा जाता है। १७५७ में स्वतंत्रता एवं पूर्ण स्वराज के लक्ष्य को लेकर आरम्भ हुआ हमारा संघर्षमयी युद्ध, अंततः १९४७ को पूर्ण स्वतंत्रता के साथ अंत हुआ।

मवीरन अलगुमुथु कोन जैसे ही अनेक नाम हैं जिनके बारे में जनसाधारण अनभिज्ञ है। हर युद्ध के अनेक नायक होते हैं तथा दूसरों की तरह ही योगदान देते हैं। कुछ तो आलोकित होते हैं किन्तु कुछ अँधकार में ही रह जाते हैं। भारत के स्वतंत्रता सेनानी भी इससे अछूते नही रहे। भारत के प्रत्येक क्षेत्र से अनेक ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम आन्दोलन में भाग लिया किन्तु हमेशा के लिए अंधकार में ही रह गए। उसका कारण था कि उनका एकमात्र ध्यान स्वतंत्र भारत को देखना था। उन्होंने निस्वार्थ रूप से देश के लिए अपना जीवन लगा दिया ताकि आप एक निडर और उन्मुक्त जीवन जी सकें।

इंडिक अकादमी ने भारत के इन भूले बिसरे स्वतंत्रता सेनानियों को आपके समक्ष प्रस्तुत करने का आयोजन किया है। विशेष पुस्तकों की श्रृंखला में आपके सामने प्रस्तुत है भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अनछुए पक्ष कथा प्रतियोगिता।

कहानियों के संकलन की यह पुस्तक हिंदी भाषा के लेखकों को अपनी कला कौशल दिखाने का अमूल्य अवसर है। हम हिंदी भाषा के लेखकों को आमंत्रित करते हैं कि वह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अनछुए पक्ष विषय पर उनके द्वारा रचित मौलिक कथा हम तक भेजें।

कृपया अपनी प्रविष्टियों के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया पर ध्यान दें-
१. कहानियों की समयरेखा १८५७ से आरंभ होकर १९४७ तक
२. आपकी कहानियों का शब्द आकार तीन हज़ार से पाँच हज़ार शब्द होना चाहिए।
३. कृपया अपनी प्रविष्टि namaste@indica.org.in पर भेजें।
४. आपकी प्रविष्टि की अंतिम तिथि पंद्रह अप्रेल, दो हज़ार इक्कीस है। (१५ -४-२०२१)
५. कहानियों का चयन लेखन की गुणवत्ता के आधार पर किया जाएगा, जिसके मानक मापदंड इस प्रकार हैं-

कहानी संकलन के विषय के साथ न्याय
चरित्र का सार
कहानी का परिपेक्ष्य
रचनात्मकता
मौलिकता
काल खंड के अनुसार शब्दों का चुनाव
वाक्य-विन्यास
कल्पनाशीलता

६. चयनित लेखकों को अपने लेखन कौशल में सुधार हेतु एक कार्यशाला के लिए आमंत्रित किया जाएगा।
७. लेखकों से अपेक्षा होगी कि वे कार्यशाला के अनुभवों और मार्गदर्शन के आधार पर अपनी चुनी हुए प्रविष्टि को सुधारे एवं पुनः प्रेषित करें।

हम आप सभी सुबुद्ध लेखकों से अपेक्षा रखते हैं कि वह अपने कला कौशल से उन अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों को जनमानस के समक्ष प्रस्तुत कर अपनी लेखनी द्वारा उनको नमन करें। आने वाली पीढ़ियाँ आपके इस कार्य के लिए सदा आपकी आभारी रहेंगी। हम सभी की उन पुण्य आत्माओं को यही सच्ची श्रधांजलि होगी।

जल्द ही अपनी प्रविष्टि namaste@indica.org.in पर भेजें।

सादर
मनीष श्रीवास्तव
कंसल्टिंग एडिटर, इंडिक टुडे

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

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