Tuesday, December 24, 2024
spot_img
Homeहिन्दी जगतसाहित्य के गलियारों में बदले हुए नाम / उपनाम

साहित्य के गलियारों में बदले हुए नाम / उपनाम

याद आता है कि अपने साहित्य के क्षेत्र में भी ऐसा बहुत बार हुआ है कि साहित्यकार छद्म नाम से लिखा करते थे। भारतेंदु हरिश्चंद्र को पुनर्जागरण का अग्रदूत कहा जाता है। उन्होंने ‘रसा’ नाम से गजलें लिखीं। कुछ ने तो दो-तीन नामों का भी प्रयोग किया। जयशंकर प्रसाद भी पहले ‘झारखंडी’ और ‘कलाधर’ के नाम से लिखते थे। महावीर प्रसाद द्विवेदी ने ‘सुकवि किंकर’ और ‘कल्लू अल्हैत’ नाम से लिखा। हजारी प्रसाद द्विवेदी ने ‘व्योमकेश शास्त्री’ और ‘बैजनाथ द्विवेदी’ नामों का प्रयोग किया। मैथिलीशरण गुप्त ने ‘रसिकेंद्र’ और ‘मधुप’ उपनाम से सृजन किया। इसी तरह, गया प्रसाद शुक्ल ‘सनेही’, ‘त्रिशूल’, ‘तरंगी’ उपनाम से प्रतिष्ठित हुए। जगन्नाथ दास आज भी ‘रत्नाकर’ और ‘जकी’ नाम से जाने जाते हैं। शरद जोशी शुरूआत में छद्म नामों से अखबारों और पत्रिकाओं में लिखते थे

नागार्जुन ने ‘यात्री’ के नाम से बहुत कविताएं लिखीं। अज्ञेय ने भी ‘कुट्टीचातन’ नाम से निबंध लिखे तो पाण्डेय बैचेन शर्मा उग्र ने अष्टावक्र नाम से कहानियां लिखी डॉ रामविलास शर्मा का अगिया बैताल आज भी चर्चा में बना हुआ है |अमृतलाल नागर ने तस्लीम लखनवी छद्मनाम से पत्र -पत्रिकाओं ,में लेखन किया | आश्चर्य की बात यह है कि उन्हें असली नाम के मुकाबले इस नाम से लिखने पर अधिक पारिश्रमिक मिलता था। लेकिन इन उपनामों और छद्म नामों में लेखन के बाद भी आज इन साहित्यकारों की पहचान उनके मुख्य नाम से ही होती है।

कहने का मतलब यह कि इनके नाम बदलने के पीछे कोई स्वार्थ नहीं था। दूसरी ओर, यह जगजाहिर तथ्य है कि प्रख्यात लेखक ओमप्रकाश वाल्मीकि ने बार-बार कहे जाने पर भी अपना सरनेम ‘वाल्मीकि’ नहीं बदला और एक अदद घर के लिए दर-दर भटकते रहे।नाम परिवर्तन किसी भी व्यक्ति का निजी मामला हो सकता है और किसी भी दूसरे व्यक्ति को इस बात पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार