Monday, December 23, 2024
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“संघ का सबसे बड़ा कार्य है- समाज में उदाहरण खड़े करना” – स्वप्निल कुलकर्णी

भोपाल। राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ के मध्य क्षेत्र के कार्यकर्ताओं के लिए ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग-1’ का आयोजन भोपाल के शारदा विहार परिसर में प्रारंभ हो गया है। वर्ग के उद्घाटन में क्षेत्र प्रचारक श्री स्वप्निल कुलकर्णी ने कहा कि संघ व्यक्ति निर्माण का कार्य करता है। समाज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में ऐसे निष्ठावान लोग खड़े होने चाहिए, जिनको देखकर अन्य लोग सीख लें। इसलिए हम कह सकते हैं कि संघ का सबसे बड़ा कार्य- ‘समाज में उदाहरण खड़े करना है’। इस अवसर पर मंच पर वर्ग के सर्वाधिकारी श्री सोमकांत उमालकर भी उपस्थित थे। कार्यकर्ता विकास वर्ग में छत्तीसगढ़, महाकौशल, मालवा और मध्यभारत के कुल 382 स्वयंसेवक प्रशिक्षण प्राप्त करने आए हैं। 20 दिवसीय वर्ग में स्वयंसेवक सुबह 4:30 बजे से रात्रि 10:30 बजे तक अनुशासित दिनचर्या का पालन करते हुए संघ कार्य का प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे।

शिक्षार्थियों को संबोधित करते हुए क्षेत्र प्रचारक श्री कुलकर्णी ने कहा कि देशभक्ति, त्याग और समर्पण की भावना के साथ हम राष्ट्रीय कार्य में जुड़ते हैं। इस कार्य को करने की कुशलता प्राप्त करने के लिए संघ की ओर से वर्गों का आयोजन करने की परंपरा है। सही अर्थों में कुशलता का नाम ही वर्ग है। संघ के वर्ग में कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण औपचारिक एवं अनौपचारिक ढंग से होता है। हम यहाँ के पाठ्यक्रम के साथ ही एक-दूसरे से भी सीखते हैं। प्रशिक्षण प्राप्त करते समय हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि यह प्रशिक्षण स्वयं के व्यक्तित्व विकास के साथ-साथ अपने कार्यक्षेत्र में संघ कार्य विस्तार के लिए उपयोगी है। हम यहाँ जो कुशलता प्राप्त करेंगे, उसका उपयोग संघ कार्य के विस्तार में करना है। उन्होंने कहा कि पुरुषार्थी कार्यकर्ताओं ने भावनाओं के साथ कुशलता से कार्य किया, तब जाकर आज संघ हमें विराट स्वरूप में दिखायी देता है।

उन्होंने कहा कि यह प्रशिक्षण वर्ग देश के लिए अपना समय, धन और मन देकर कार्य करनेवाले कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण है। प्रशिक्षण वर्ग से कार्यकर्ताओं में नेतृत्व क्षमता का विकास होता है। वर्ग में कार्यकर्ता हिन्दू समाज को मिलनेवाली चुनौतियों का सामना करने और सज्जनशक्ति को राष्ट्रीय कार्य में साथ लेने का कौशल सीखते हैं। उन्होंने कहा कि आज देश में ऐसी ताकतें सक्रिय हैं, जो हिन्दू समाज को विखंडित करने के प्रयास में लगी हुईं हैं। वे हमें जाति, पंथ, स्त्री-पुरुष इत्यादि प्रकार के भेदों में बाँटने के लिए वैचारिक भ्रम उत्पन्न करते हैं। उन्होंने कहा कि विविधता हमारी कमजोरी नहीं अपितु हमारी विशेषता रही है। परंतु औपनिवेशिक ताकतों ने हमारे बीच विविधता को आधार बनाकर द्वेष और भेद उत्पन्न करने के षड्यंत्र रचे हैं। हमें इन षड्यंत्रों के प्रति जागरूक होना है और अपने समाज को भी जागरूक करना है। श्री कुलकर्णी ने कहा कि भारत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सबसे बड़ा उदाहरण है। हमारा समाज अनेक प्रकार की विविधताओं के होते हुए भी एक साथ रहता है। हमारे यहाँ एक-दूसरे पर एक-दूसरे की उपासना पद्धति को थोपा नहीं गया। उन्होंने कहा कि संघ के कार्यकर्ताओं को समाज की समस्याओं का समाधान देनेवाला बनना चाहिए।

श्री कुलकर्णी ने कहा कि डॉक्टर साहब (संघ के संस्थापक सरसंघचालक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार) के समय से कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण के लिए संघ शिक्षा वर्ग आयोजित करने की परंपरा शुरू हुई। अब तक क्षेत्र का यह वर्ग ‘संघ शिक्षा वर्ग-द्वितीय वर्ष’ के नाम से आयोजित होता था लेकिन अब यह ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग-1’ के नाम से आयोजित होगा। उन्होंने 1940 में नागपुर में आयोजित ऐतिहासिक संघ शिक्षा वर्ग का भी उल्लेख किया, जिसमें पहली बार संपूर्ण भारत से स्वयंसेवक प्रशिक्षण हेतु शामिल हुए थे। संघ में जिला स्तर पर आयोजित सात दिन के प्रशिक्षण वर्ग को ‘प्राथमिक वर्ग’, प्रांत स्तर पर आयोजित 15 दिन के प्रशिक्षण वर्ग को ‘संघ शिक्षा वर्ग’, क्षेत्र स्तर पर आयोजित 20 दिन के वर्ग को ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग-1’ और नागपुर में आयोजित अखिल भारतीय स्तर के वर्ग को ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग-2’ कहते हैं।

संघ की रचना में मध्य क्षेत्र में चार प्रांत हैं- छत्तीसगढ़, महाकौशल, मालवा और मध्यभारत। इन चारों प्रांतों से कार्यकर्ता विकास वर्ग-1 में कुल 382 शिक्षार्थी आए हैं, जिनमें छत्तीसगढ़ से 78, महाकौशल से 85, मालवा से 118 और मध्यभारत से 97 चयनित स्वयंसेवक शामिल हैं। वर्ग के संचालन के लिए 19 अधिकारियों की संचालन टोली है, जिसमें सर्वाधिकारी के अलावा वर्ग पालक श्री अशोक पोरवाल और वर्ग कार्यवाह श्री बलवंत राव इत्यादि शामिल हैं। इसके साथ ही शिक्षार्थियों के प्रशिक्षण के लिए प्रत्येक प्रांत से शिक्षक भी आए हैं। विभिन्न विषयों पर अखिल भारतीय, क्षेत्रीय एवं प्रांतीय अधिकारी भी शिक्षार्थियों का प्रबोधन करेंगे।

संघ कार्य में अपना जीवन समर्पित करनेवाले कार्यकर्ताओं के जीवन पर आधारित प्रदर्शनी ‘तेजोमय प्रतिबिम्ब तुम्हारे…’ का आयोजन भी किया गया है। क्षेत्र प्रचारक श्री स्वप्निल कुलकर्णी और सर्वाधिकारी श्री सोमकांत उमालकर सहित अन्य अतिथियों ने प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। यहाँ भारतीय ज्ञान के स्रोत सद्ग्रंथों को भी प्रदर्शित किया गया है, जिनमें चारों वेद, पुराण, स्मृतियां, संहिताओं सहित रामायण एवं महाभारत शामिल है।

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