Wednesday, June 26, 2024
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तरूण तेजपाल का घिनौना कृत्य व राजनीति

तरूण तेजपाल ने स्टिंग ऑपरेशन (खेजी पत्रिका) के जरिये क्रिकेट के सट्टेबाजी का और उसके बाद भाजपा अध्यक्ष सहित कई नेताओं को रक्षा खरीद में दलाली लेते हुए पत्रकारिता जगत में तहलका मचाया और मीडिया जगत के नामी हस्ती के रूप में पहचान बनाई। तरूण तेजपाल ने इंटरनेट पर पोर्टवेबल (इलेक्ट्रनिक मीडिया) से शुरूआत की उसके बाद टैबलेट साइज का पेपर शुरू किया और तहलका का अंग्रेजी संस्करण में साप्ताहिक पत्रिका निकालना शुरू किया। तहलका सिढ़िया चढ़ता गया और 2008 से हिन्दी में तहलका पत्रिका भी आने लगी। 

समय के साथ-साथ तेजपाल दौलत और शोहरत दोनों कमाई। तहलका के इस कामयाबी के पीछे केवल तेजपाल ही नहीं थे इसके पीछे कई लोगों की मेहनत थी। खासकर वे युवा पत्रकार जिन्होंने और जगहों से कम पैसों पर यहां दिन-रात मेहनत की तथा जोखिम उठाया। तेजपाल के पास दलील थी कि तहलका के पास कारपोरेट जैसा पैसा नही है, तहलका एक जनपक्षधर पत्रिका है। लेकिन जैसा कि हर संस्था में होता है कि जिसने पूंजी लगाई वही मलाई खायेगा (पैसा हो या नाम हो)। तहलका के साथ भी ऐसा ही हुआ उसमें कई बड़े-बड़े लोगों के शेयर लगे हर तरह के विज्ञापन छापे जाते रहे और उसका मुनाफा कुछ लोगों और खासकर तरूण तेजपाल की जेबों को गर्म करता रहा। जो युवा पत्रकार जुड़े वे थोड़े पैसे में भी इसलिए खुश थे कि वे तहलका कोे प्रगतिशील पत्रिका मानते रहे बस इतना ही सुकुन था उनके मन में।
 
फोटोग्राफर तरूण सहरावत छत्तीसगढ़ के माओवादी इलाके में रिर्पोटिंग करने के लिए गए थे और वे साइबरल मलेरिया के शिकार होकर असमय काल के ग्रास बन गये। तहलका पत्रिका ने निश्चित ही ऐसे विषयों को उठाया है जो कि मुख्यधारा की मीडिया नहीं उठाती है, इसलिए तहलका का पाठक भी एक खास तरह का रहा है लेकिन इन सबका लाभ अकेले तरूण तेजपाल ले रहे थे। तहलका जो कि सोनी सोडी से लेकर निर्भया कांड व महिलाओं के प्रति पुलिस की नजरिया तक की स्टोरी अपनी पत्रिका में छापती रही है। लेकिन अपनी ऑफिस में काम करने वाली महिला कर्मचारियों/पत्रकारों के लिए 1997 के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन नहीं करती। जिसमें काम के जगह पर महिला कर्मचारियों के लिए विशाखा गाइड लाईन (दिशा निर्देश) के तहत कमिटी बनाने की बात कही गई है। पीड़िता की शिकायत के बाद कमेटी का गठन किया गया जो कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का उल्लंघन है।

तहलका से कमाये हुए दौलत और शोहरत ने तरूण तेजपाल को वहां लाकर खड़ा कर दिया जहां हर ताकतवर आदमी अपने को कुछ भी करने का हकदार समझने लगता है। गोवा जैसे आलीशन जगह में जाकर करोड़ों रु. खर्च कर थिंकफेस्ट का आयोजन करते हैं। गोव के इस रेस्टोरेट का एक रात का किराया 55 हजार रु. है। यह थिंकफेस्ट खनन कॉरपोरेशनों (माफिया) द्वारा स्पॉनसरशिप किया गया था। यह तहलका पत्रिका द्वारा दावा किया जाने वाले बातों का ठीक उल्टा है। एक दो अपवाद को अगर छोड़ दिया जाए तो तरूण तेजपाल का वर्ग (क्लास) दोहरे चरित्र में ही जीता हैं। एक तो वह लोग हैं जो सीधे-सीधे जनता के शोषण में लगे होते हैं और खाओ-पीओ, मौज-मस्ती करो खुल कर बोलते हैं।
 
दूसरे वे लोग है जो सीधा-सीधा तो नहीं बोलते हैं लेकिन वही काम वह दूसरे तरह से करते हैं। तरूण तेजपाल भी उसी बीमारी के शिकार थे खाओ-पीओ, मौज-मस्ती करो इसी मस्ती में उनको यह लगने लगा था कि उनके अधीनस्थ काम करने वाली महिला के मर्जी के मालिक वो हैं। जब पीड़िता बलात्कार की स्टोरी पर बात करने के लिए उनके पास जाती है तो वे सोफे पर लेटे रहे और लाइट ऑन नहीं करने दी और लेटे हुए ही लड़की से बात करते हैं और वह यह समझ बैठते हैं कि लड़की उनके इस आचरण को पसन्द करती है। बात करते समय वे पीड़िता के शरीर को छूने की कोशिश करते हैं जिसे पीड़िता मना करती है फिर भी वे ऐसा करना अपना अधिकार समझते हैं। 7 नवम्बर के रात पीड़िता के साथ लिफ्ट में वे यौनिक हिंसा करते हैं और पीड़िता उनको सब कुछ याद दिलाती है जिससे कि वे उनके इस यौनिक हिंसा से बच जाये।

तेजपाल अपने रूतबे के बल पर बचते रहे हैं। गोवा पुलिस दिल्ली आकर न तो उनको गिरफ्तार कर पाई और न ही उनसे पूछ-ताछ कर सकी। 29 नवम्बर को गोवा जाते हुए चलने और बैठने के अंदाज से उनका गरूड़ साफ दिख रहा था उनके चेहरे पर किसी तरह का शिकन नहीं था। जब कि खुद पहले ईमेल में वे अपने घिनौने कृत को स्वीकार कर चुके हैं। मीडिया में मामला आने से पहले उनकी बेटी जो पीड़िता (दोस्त) के साथ थी वो अब अपने पिता के साथ दिख रही थी और पूरा मीडिया से तेजपाल को बचाती रही। अब जब वे गिरफ्तार हो चुके हैं यानी तरूण तेजपाल का तेज खत्म हो चुका है। क्या तेजपाल का हश्र भी बंगारू लक्षमण जैसा ही हाने वाला है?

तरूण तेजपाल पहले अपने मैनेजिंग डायरेक्टर शोमा चौधरी को ईमेल भेजकर कहते हैं कि ‘‘बीते कुछ दिन बेहद मुश्किल रहे हैं। मैं इसका पूरा दोष खुद पर लेता हूं। गलत निर्णय और स्थिति को गलत तरीके से समझने की वजह से यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई। यह उसके खिलाफ है जिसके लिए हम लड़ते रहे हैं। मैं संबंधित पत्रकार से दुर्व्यवहार के लिए बिना शर्त माफी मांगता हूं। मैं इसका प्रायश्चित भी करना चाहता हूं। मैं छः माह तक तहलका ऑफिस नहीं आंऊगा मैं सभी पदों से मुक्त होता हूं।’’ यहां भी उनका वही मालिकाना गरूड़ दिखता है मुजरिम भी और वही और जज भी वही बन गये। जब इस माफी से वे अपने कुकृत्य को नहीं छिपा सके तो उसे एक दिल्लगी की घटना बताने लगे और यौनिक हिंसा को राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं।  दक्षिण पंथी पर्टियां खासकर भाजपा इस प्रकरण का लाभ लेना चाहती है। गोवा भाजपा शासित राज्य होने के कारण वहां की पुलिस ने तुंरत कदम उठा लिया और तरूण तेजपाल से पूछ-ताछ करने दिल्ली आ गई। भाजपा अपने को लिंग (जेण्डर) के मुद्दे पर संवेदनशील दिखाने की कोशिश कर रही है।
 
भाजपा भूल जाती है कि अभी दो माह पहले ही किस तरह से उनके पार्टी के कार्यकताओं, नेताओं ने आशा राम को बचाने की कोशिश की। यहां तक म.प्र. के भाजपा नेता ने तो पीड़िता और उसके परिवार पर ही केस करने तक की बात कह डाली।  भाजपा के नेता विजय जौली ने कार्यकर्ताओं के साथ शोमा के घर पर जाकर जिस तरह से हुड़दंग मचाया क्या वह किसी भी संवेदनशील इन्सान का काम हो सकता है? 

चुनाव व अपनी छीछालेदर को देखते हुए भाजपा के शीर्ष नेतृृत्व ने अपने को किनारा कर लिया। लेकिन इससे यह सही नहीं हो जाता कि भाजपा महिलाओं के मुद्दे पर संवेदनशील है। तरूण तेजपाल प्रकरण आने के बाद गुजरात सरकार की लड़की का जासूसी का मामला ठंडे बस्ते में चला गया और मीडिया में उस पर चर्चा ही बंद हो गई। मुज्फरनगर में जिस तरह दंगे किये गए, महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ और उस दंगे को भड़काने वालों को आगरा में सम्मानित किया गया इससे यह साफ है कि भाजपा जैसी पार्टियों महिला मुद्दों पर कैसे सोचती है और उनकी नीयती क्या है।

पीड़िता का वह बात बिल्कुल सही है कि रेप सिर्फ सेक्स के लिए नहीं होता बल्कि इसका रिश्ता ताकत, सहूलियत और अधिकार से भी है। उसने यह भी अंशका जताई है कि कुछ लोग उसके ऊपर व्यक्तिगत और भद्दे हमले भी कर सकते हैं। जैसा कि समाज में यह होता है जब कोई ताकतवर (शोहरत और पैसे वाले) पर उससे कमजोर लड़की ऊंगली उठाती है तो उसके चरित्र पर ही सवाल उठाये जाते हैं।
 
महिला जब यह सवाल उठाती है तो अपने स्वाभिमान और सम्मान के लिए लड़ाई लड़ती है जैसा कि यह महिला ने भी जिक्र किया है कि ‘‘तरूण तेजपाल धन, संपत्ति, रूतबे को बचाने के लिए लड़ रहे हैं और वह अपने सम्मान की खातिर लड़ रही है। मेरा जिस्म केवल मेरा है, यह किसी नौकरी देने वाले के लिए खेलने की कोई चीज नहीं है।’’ पीड़िता इस बात से परेशान है जिसमें कि तरूण तेजपाल ने कहा कि राजनीतिक साजिश है। उसने कहा है कि ‘‘अपनी जिन्दगी और अपने शरीर पर नियंत्रण के लिए महिलाओं का संघर्ष राजनीतिक है, लेकिन नारीवादी राजनीति और उसकी चिंताएं राजनीतिक पार्टियों की संकीर्ण दुनिया से बहुत ज्यादा बड़े हैं।’’

दलगत राजनीति से ऊपर उठकर ही नारीवादी राजनीति को लड़ा जा सकता है। आज महिलाएं घर, कॉलेज, ऑफिस, सड़कों, बसों, ट्रेनों में कहीं सुरक्षित नहीं है। जहां भारत जैसे पिछड़े देश में सेक्स पर बात करना गलत माना जाता है वहीं सेक्स सभी पुरुषों के अन्दर घर कर बैठा है। चाहे वाह बाप, भाई हो या रिश्तेदार, चाहे रजनीतिक, डॉक्टर, धर्मगुरू, अफसरशाह, न्यायपालिका सभी जगह महिलाओं को उपभोग के रूप में देखने की आदत सी पड़ गई है। यहां तक कि इन सब पर उपदेश देने वाली महिलाएं भी पुरुषों को बचाने में जाने-अनजाने रूप में लग जाती है।

 जैसा कि तेजपाल के केस में उनकी बेटी हो या शोमा सेन जाने-अनजाने वे पुरुष को संरक्षण ही दे रही थी। आज जरूरी है कि इस तरह के विचारों पर खुल कर बातें हों इससे कैसे छुटाकारा पाये जा सके उस पर बाते हों। एक तरफ भारत का पिछड़ा संस्कृति तो दूसरी तरफ पूंजीवाद-साम्राज्यवाद पोषित संस्कृति लोगों के भवनाओ में कुंठा का संचार करती है। जरूरत है इस तरह की संस्कृति को समूल नाश करने की जिससे महिलाएं सड़क, घर, ऑफिस, बस, ट्रेन सभी जगह बेखौफ सुरक्षित रह सकें।
 
स्रोत: http://hindi.newsyaps.com/

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ड्रोन हमले: पाकिस्तान के लिए ज़हमत या रहमत?

अफगानिस्तान-पाकिस्तान के क़बाइली इलाकों विशेषकर पाक-अफगान सीमांत क्षेत्र के उत्तरी वज़ीरिस्तान में आए दिन होने वाले ड्रोन हमले पाकिस्तान में चर्चा का विषय बने हुए हैं। ड्रोन हमलों की मुखालिफत करने वाला वर्ग इन हमलों को पाकिस्तान की संप्रभुता पर अमेरिकी हमला बता रहा है। जबकि पाकिस्तान का एक बड़ा अमनपसंद वर्ग इन हमलों को लेकर भीतर ही भीतर काफी खुश भी है। ऐसे लोगों की खुशी का सीधा सा कारण यह है कि स्वचालित ड्रोन विमान प्रणाली से छोड़ी जाने वाली मिसाईल प्राय: ऐसे शीर्ष आतंकवादियों विशेषकर तालिबान व तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान तथा हक्कानी गुट से जुड़े सरगनाओं को निशाना बना रही है जिनके पास पाकिस्तानी सेना का हाथ पहुंच पाना आसान नहीं है।

यहां यह बताना भी ज़रूरी है कि ड्रोन हमलों को अमल में लाने के लिए अमेरिका को स्थानीय लोगों की ही सहायता लेनी पड़ती है। और प्राय: यह लोग पश्तो भाषी स्थानीय निवासी ही होते हैं जो सीआईए के एजेंट के रूप में काम करते हैं। इन्हें अमेरिका द्वारा ड्रोन हमले की सफलता तथा मारे गए आतंकवादी की खबर की पुष्टि के पश्चात भारी भरकम रकम से तो नवाज़ा ही जाता है साथ-साथ यदि सूचना देने वाला चाहे तो उसकी सुरक्षा के दृष्टिगत उसे अमेरिकी राष्ट्रीयता भी प्रदान की जाती है। इन हमलों में सूचना देने वालो द्वारा सिम कार्ड,जीएसएम तथा जीपीआरएस प्रणाली का इस्तेमाल किया जाता है। स्थानीय मुखबिर द्वारा जैसे ही किसी सटीक निशाने की सूचना निर्धारित यूएस अधिकारियों को गुप्त स्थान से दी जाती है शीघ्र ही अमेरिकी सेना ड्रोन कंट्रोल रूम नेवादा (अमेरिका) को इसकी सूचना स्थानांतरित कर देता है। और पलक झपकते ही नेवादा से ड्रोन विमान को उड़ान भरने का आदेश कंप्यूटरीकृत प्रणाली द्वारा दे दिया जाता है। इसके पश्चात अफगानिस्तान के बगराम एयरबेस में भारी अमेरिका बंदोबस्त में मिसाईल से लैस होकर रखे गए चालक रहित ड्रोन विमान आसमान में उड़ान भरने लगते हैं और कुछ ही क्षणों में अपने अचूक निशाने से अपने लक्ष्य को भेद डालते हैं।

गौरतलब है कि पाकिस्तानी सेना व पाक सरकार अफगान तालिबान तथा स्थानीय तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से दो-दो हाथ करने के बाद पस्त होकर अब इस नतीजे पर पहुंच चुकी है कि तालिबानों को लड़कर परास्त नहीं किया जा सकता। इसका कारण यह हरगिज़ नहीं है कि पाकिस्तानी सेना तालिबानों से कमज़ोर है बल्कि इसका मु य कारण यह है कि तालिबानी विचारधारा ने पाक सरकार से लेकर पाक सेना तथा आईएसआई जैसे संस्थानों तक में अपनी पैठ मज़बूत कर ली है। यही वजह है कि तालिबान कई बार पाक सैनिक ठिकानों पर बड़े हमले कर चुके हैं।

इसी कारण पाक सरकार ने अब तालिबानों के साथ बातचीत करने की पेशकश की है। उधर अफगानिस्तान में भी अमेरिकी सेना अफगान सरकार के माध्यम से अच्छे व बुरे तालिबानों के मध्य अंतर करने एवं तथाकथित अच्छे तालिबानों को विश्वास में लेने जैसी मुहिम को प्रोत्साहन दे रही है। परंतु तालिबानों से वार्ता के प्रस्ताव के दौरान ही बीच में जब अमेरिकी ड्रोन हमले में किसी बड़े आतंकवादी की मौत हो जाती है तो पाक सरकार व तालिबानों के मध्य होने वाली बातचीत को गहरा झटका लगता है। उदाहरण के तौर पर गत् एक नवंबर को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का प्रमुख तथा बेनज़ीर भुट्टो की हत्या का मु य अभियुक्त हकीमुल्ला महसूद उत्तरी वज़ीरीस्तान में एक सफल ड्रोन हमले में मारा गया। जिस दिन हकीमुल्ला की मौत हुई उसी दिन पाकिस्तान सरकार का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधि मंडल इस आतंकी से वार्ता के लिए उत्तरी वज़ीरीस्तान भी जाने वाला था। परंतु इस प्रस्तावित वार्ता से मात्र चंद घंटे पूर्व हकीमुल्ला महसूद की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए।

एक ओर तो तालिबान ने महसूद की मौत के बाद पाकिस्तान सरकार से किसी भी प्रकार की वार्ता भविष्य में न करने का एलान किया है। दूसरे यह कि पाक तालिबान की ओर से हकीमुल्ला महसूद की मौत का ऐतिहासिक बदला लिए जाने की धमकी दी गई। उधर पाकिस्तान के गृहमंत्री चौधरी निसार अली खां ने भी यह बयान दिया कि जब तक अमेरिका ड्रोन हमलों को नहीं रोकता तब तक तालिबान के साथ बातचीत का सिलसिला आगे नहीं बढ़ सकता। पिछले दिनों खैबर प तून  वाह के शहरी क्षेत्र में भी हक्कानी नेटवर्क द्वारा संचालित आतंकवादियों के एक तथाकथित मदरसे के बाहर हक्कानी नेटवर्क के तीन आतंकवादियों को ड्रोन हमले में निशाना बनाया गया। इस हमले पर भी पाकिस्तान के गृहमंत्री ने यही बयान दिया कि यह हमला किसी व्यक्ति के विरुद्ध नहीं बल्कि पाक तालिबान वार्ता को धक्का पहुंचाने के मकसद से किया गया हमला है। हालांकि इसी के साथ-साथ चौधरी निसार को यह सफाई भी देनी पड़ी कि इन ड्रोन हमलों में पाक हुकूमत व पाकिस्तानी सेना का कोई हाथ नहीं है।

पाकिस्तान हुकूमत के किसी न किसी ज़िम्मेदार मंत्री को समय-समय पर ड्रोन हमलों में पाक सरकार अथवा पाक सेना की संलिप्तता को लेकर ऐसी सफाई देनी पड़ती है। इस का कारण यही है कि तालिबानों को इस बात को लेकर संदेह है कि पाकिस्तान सीमा क्षेत्र में अमेरिकी ड्रोन विमान बिना पाकिस्तानी सेना व सरकार की सहमति के कैसे उड़ान भर सकते हैं? पाकिस्तानी वायु सीमा क्षेत्र का अमेरिकी ड्रोन द्वारा उल्लंघन किए जाने के पीछे केवल दो ही कारण हो सकते हैं।

एक तो यह कि पाकिस्तानी सेना व सरकार गुप्त रूप से अमेरिका के साथ मिलीभगत रखती है। और दूसरा यह कि अमेरिका अपने लक्ष्यों को साधने के आगे पाकिस्तानी वायु सीमा व संप्रभुता जैसी बातों की कोई परवाह नहीं करता। इसका जीता-जागता उदाहरण एबटाबाद में अमेरिकी सील कमांडो द्वारा ओसामा बिन लाडेन को मार गिराया जाना तथा उसके मृत शरीर को अपने साथ उठा ले जाना शामिल है। ड्रोन हमलों के परिपेक्ष्य में यहां एक बात और याद दिलाना ज़रूरी है कि पाकिस्तान आतंकवाद विरोधी युद्ध में अमेरिका का विशेष सहयोगी भी है। इसलिए इस बात पर पूरी तरह विश्वास नहीं किया जा सकता कि पाक सेना व सरकार की अमेरिकी ड्रोन हमलों के लिए रज़ामंदी नहीं है।

बहरहाल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ के कार्यालय में विदेशी मामलों के प्रमुख सरताज अज़ीज़ ने पिछले दिनों खैबर प तून  वाह प्रांत में हुए ड्रोन हमले के बाद यह कहा है कि पाकिस्तान व तालिबानों के मध्य होने वाली वार्ता के दौरान अमेरिका अब कोई ड्रोन हमला नहीं करेगा। परंतु अभी तक इस बात का खुलासा नहीं हो सका है कि सरताज अज़ीज़ से किस अमेरिकी अधिकारी ने कब और किस स्थान पर इस प्रकार का कोई वादा किया है। अज़ीज़ ने यह भी स्वीकार किया है कि तहरीक-ए-तालिबान प्रमुख हकीमुल्ला महसूद की ड्रोन हमलों में हुई मौत के बाद तालिबानों से होने वाली बातचीत प्रभावित हुई है। वैसे भी ड्रोन हमलों में जब कभी कोई निर्दोष नागरिक, स्कूल के बच्चे,औरतें अथवा बुज़ुर्ग निशाना बनते हैं तो निश्चित रूप से अमेरिका के विरुद्ध एक जनाक्रोश पैदा हो जाता है और इस जनाक्रोश को यही आतंकी तालिबान और अधिक हवा देते हैं।

नतीजतन ड्रोन हमलों के विरोध में पाकिस्तान में कई बार बड़े से बड़े विरोध प्रदर्शन आयोजित होते रहे हैं। परंतु अमेरिका इन विरोध प्रदर्शनों तथा तालिबानों की घुड़कियों के बावजूद यहां तक कि पाकिस्तान सरकार व तालिबान के मध्य प्रस्तावित शांति वार्ता की परवाह किए बिना अपने आतंकी लक्ष्यों को भेदने से नहीं चूकता।

 

उपरोक्त परिस्थितियों में यह सोचने का विषय है कि अमेरिका द्वारा किए जा रहे ड्रोन हमले पाकिस्तान के लिए ज़हमत अथवा परेशानियों का कारण है या इसे रहमत समझा जाना चाहिए। क्योंकि आिखरकार अमेरिकी ड्रोन बड़ी ही खामोशी से किसी बड़े आतंकी सरगना को मार कर उस काम को अंजाम दे डालते हैं जो काम पाकिस्तानी सेना आसानी से नहीं कर पाती। पाकिस्तानी सेना में तथा आईएसआई में घुसपैठ कर चुका तालिबानी तंत्र आतंकवादियों को पाक सेना की प्रस्तावित कार्रवाई व इरादों से पहले से ही अवगत करा देता है।

परिणामस्वरूप या तो आतंकवादी अपने ठिकाने छोड़कर अन्यत्र चले जाते हैं या फिर सेना की टुकड़ी से बड़ी तादाद में इक_ा होकर मोर्चा संभालते हैं तथा पाकिस्तानी सेना को जान व माल की भारी क्षति पहुंचाते हैं। ऐसे में यदि यह कहा जाए कि अमेरिकी ड्रोन हमले आतंकियों को निशाना बनाकर पाकिस्तानी सेना का ही हाथ बंटा रहे हैं तो यह कहना भी कतई गलत नहीं होगा। ऐसे में भले ही तालिबान समर्थकों व कट्टरपंथियों को तथा इन हमलों में मारे जाने वाले कुछ बेगुनाह नागरिकों को यह हमले ज़हमत अथवा दु:खदायी प्रतीत होते हों परंतु पाकिस्तान व दुनिया के शांति पसंद लोगों को यहां तक पाकिस्तान सेना के ईमानदार अधिकारियों व आतंकवाद का विरोध करने वाले मानवताप्रिय लोगों के लिए यह हमले खुदा की रहमत से कम नहीं हैं।          

 

 

तनवीर ज़ाफरी

1618, महावीर नगर,अंबाला शहर। हरियाणा

फोन : 0171-253562

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तनीषा की बेशर्मी से घर वाले परेशान!

टीवी रियलिटी शो बिग बॉस के प्रतियोगी तनीषा मुखर्जी और अरमान कोहली की बेशर्मी ने तनीषा के घर के लोगों की नींद उड़ा दी है। हाल ही में बिग बॉस के 84 कैमरों से एक कैमरे ने दोनों को आपत्तिजनक हालत में कैद कर लिया।

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब दोनों को इतने करीब देखा गया है। इससे पहले भी कई बार दोनों को आधी रात में जब कमरे में सब सोए हुए थे, उस दौरान किस करते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया था। बताया जाता है कि बिग बॉस के घर में एक स्मोकिंग रुम है जहां कोई भी प्रतियोगी कुछ समय अकेले अपने आपके साथ बिता सकता है, वहां कोई कैमरा नहीं है। घर की कैप्टन काम्या पंजाबी ने दोनों को उस कमरे में भी साथ देखे जाने के बाद उन्हें चेतावनी दी थी,लेकिन दोनों सारी चेतावनी और इशारों के बाद भी बाज नहीं आए। सलमान खान ने भी दोनों को कई बार इशारों में ये कहा है कि घर में हर जगह कैमरे लगे हैं। प्रतियोगी अपनी हरकतों से बाज आएं।

गौरतलब है कि तनीषा की बहन काजोल और अजय देवगन के लाख मना करने के बाद भी तनीषा इस शो में आईं। उस दौरान खबर आ रही थी कि अरमान और तनीषा की बढ़ती नजदीकियों को देखते हुए काजोल ने सलमान से तनीषा को जल्दी ही घर से बाहर निकालने की गुजारिश भी की थी। इसके बाद अजय ने शो के होस्ट सलमान खान को इस संबंध में फोन भी किया।

शो में तनिषा के रवैये से वैसे भी उनकी मां तनुजा और बहन काजोल नाराज बताई जा रही थीं। बताया जा रहा है कि इस बीते हफ्ते तनिषा और अरमान एक ही बिस्तर में अंतरंग होते पाए गए थे। हालांकि ये फुटेज कार्यक्रम में बिल्कुल नहीं दिखाई गई लेकिन शो के 100 से ज्यादा लोगों के स्टाफ ने इसे देखा है।

खैर, माना जा रहा है कि दो हफ्ते में तनिषा घर से बाहर आ सकती हैं। वैसे तनिषा घर के अंदर 70 से ज्यादा दिन बिता चुकी हैं और कहा जा सकता है कि वो जितना पब्लिसिटी हासिल कर सकती थीं, उन्होंने की।

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पूर्व राष्ट्रपति डॉ. शर्मा के भाई को धोखाधड़ी में जेल

पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा के भाई शंभूदयाल शर्मा को धोखाधड़ी के एक मामले में भोपाल के न्यायालय ने तीन साल कैद की सजा सुनाई गई है। शुक्रवार को न्यायिक मजिस्ट्रेट वर्षा शर्मा ने यह फैसला सुनाते हुए उन पर एक हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।

मामला वर्ष 1995 में सतपुड़ा भवन स्थित जिला कुष्ठ विभाग से संबंधित है। फरियादी रामसनेही ने 27 अगस्त, 1999 को कलेक्टर और विभाग में लिखित शिकायत की थी कि जिला कुष्ठ विभाग प्रभारी शंभूदयाल शर्मा ने नौकरी के नाम पर उससे धोखाधड़ी की है। शिकायत में कहा कि उसने विभाग में एनएमए पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन दिया था किंतु इसके लिए उसकी शैक्षणिक योग्यता पूर्ण नहीं थी। उसे शंभूदयाल ने आश्वासन दिया था कि वह इसके बावजूद उसकी नौकरी लगवा देगा।

आरोपी ने उसकी नौकरी तो लगवा दी लेकिन अपने घर के काम करवाने लगा। इसके अलावा उससे दो हजार रुपये की वेतन पर्ची पर हस्ताक्षर करवाता था और उसे मात्र 500 रुपये का भुगतान करता था। फरियादी ने तंग आकर नौकरी छोड़ दी थी। बाद में पुलिस में मामला दर्ज करवाया गया था।

 

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फेस बुक से पता चला कि पत्नी तो प्रेमी के साथ घूम रही है!

लखनऊ पति से पैसे लेकर बॉयफ्रेंड के साथ विदेश घूमने वाली पत्नी की सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक के जरिए पोल खुल गई है। मामला गोमती नगर में रहने वाले एक परिवार से जुड़ा है। शादी के छह महीने बाद अब मामला फैमिली कोर्ट पहुंच गया है।  गोमती नगर में रहने वाले एक पूर्व अधिकारी का बेटा राहुल (बदला हुआ नाम) इंग्लैंड के बर्कशायर में सॉफ्टवेयर इंजिनियर है। उसकी शादी 13 अप्रैल 2013 को देहरादून की रहने वाली पूजा जोशी (बदला हुआ नाम) से हुई थी। शादी के बाद राहुल मई के पहले हफ्ते में इंग्लैंड चला गया। पूजा ने स्टडी का कुछ काम होने का बहाना कर बाद में आने की बात कही। जून के पहले हफ्ते में पूजा इंग्लैंड गई। इंग्लैंड जाकर पूजा ने बहुत सारी शॉपिंग की और राहुल को बताया कि उसे स्टडी के लिए इंडिया जाना है। उसने राहुल से कई पौंड लिए और निकल गई।  एक महीने बाद पूजा इंग्लैंड पहुंची और 15 दिनों बाद वह दोबारा स्टडी के लिए वहां से निकली। शादी के पांच महीनों में वह राहुल के साथ पांच हफ्ते भी नहीं रही। हमेशा स्टडी का बहाना बनाकर वह चली आती। अक्टूबर महीने में राहुल के एक दोस्त ने उसे बताया कि उसकी पत्नी के फेसबुक वॉल पर किसी दूसरे लड़के के साथ फोटो पड़ी हैं। राहुल ने पता किया तो पूजा ने अपना फेसबुक प्रोफाइल अपने घरेलू नाम से बना रखा था और उसमें न तो राहुल जुड़ा था न ही कोई राहुल का जानने वाला।

राहुल ने फोटो देखी तो उसके होश उड़ गए। जितनी भी तस्वीरें थीं, सब उन्हीं तारीखों की थीं जिनमें पूजा स्टडी के बहाने घर से बाहर थी। राहुल ने जब पूजा के आने-जाने वाली फ्लाइट का डीटेल निकलवाया तो पता चला कि वह इंडिया आई ही नहीं थी। उसने हर बार दूसरे देशों की फ्लाइट ली थी और उसके साथ एक रोहित (बदला हुआ नाम) नाम का लड़का भी गया था। राहुल ने पूजा की चैट, मेल और मेसेज चेक किए तो वह हैरान रह गया।  राहुल की पत्नी जिस लड़के के साथ घूम रही थी, वह चंडीगढ़ का रहने वाला निकला। उसके और पूजा के बीच हुई बातचीत राहुल को हैरान कर देने वाली थी। राहुल ने सारी डिटेल के साथ लखनऊ आकर फैमिली कोर्ट में शनिवार को तलाक का मुकदमा दायर कर दिया।  फैमिली कोर्ट के वकील पद्मकीर्ति ने कहा, 'भारतीय परिवेश में रहने वालों के लिए यह एक अनोखा मामला है। मामला मेरे पास आया तो मैं शॉक्ड था।

विदेशों में हमारी संस्कृति के अच्छे तत्वों को अपनाया जा रहा है, जबकि हम पाश्चात्य संस्कृति की बुरी चीजों को अपना रहे हैं। नई पीढ़ी ने शादी को एक खेल समझ लिया है।'  वहीं राहुल के पिता ने कहा, 'राहुल मेरा एकलौता बेटा है। उसकी शादी बहुत धूमधाम से की थी। वह इंग्लैंड में ही पढ़ा और वहीं नौकरी कर रहा है, उसके बाद भी उसने अरेंज मैरेज को अपनाया। हमने ही उसके लिए लड़की पसंद की। आज उसकी जिंदगी हमारी वजह से खराब हो गई। पूजा ऐसा करेगी, हमने कभी सपने में भी नहीं सोचा था।'

साभार- नवभारत टाईम्स से

 

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तिरंगा फहराने पर कश्मीरी छात्र भड़के

कश्मीर यूनिवर्सिटी में क्या तिरंगा फहराना मना है? यह सवाल इसलिए खड़ा हुआ है क्योंकि कश्मीर यूनिवर्सिटी के कुछ स्टूडेंट को यह बात नागवार गुजरी की एक फिल्म की शूटिंग के दौरान प्रतीकात्मक रूप से यूनिवर्सिटी कैंपस में तिरंगा फहराया गया।

छात्रों ने फिल्म के कलाकारों के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी और शूटिंग को रोकने की कोशिश करने लगे। देखते ही देखते माहौल इतना खराब हो गया कि फिल्म यूनिट को पैक अप कर वहां से जाना पड़ा।

फिल्मकार विशाल भारद्वाज की फिल्म 'हैदर' की शूटिंग रविवार को श्रीनगर के हजरतबल स्थित कश्मीर यूनिवर्सिटी के कैंपस में की जा रही थी। इसके लिए यूनिवर्सिटी कैंपस के तहत नसीम बाग इलाके में फिल्म का सेट लगाया गया। इसमें एक बंकर बनाया गया और उसके ऊपर तिरंगा फहराया गया। फिल्म के इस दृश्य में फिदायीन हमले का संदर्भ बताया जा रहा है। लेकिन इसी दौरान कुछ छात्र वहां इकट्ठा होने लगे और वे आपस में तिरंगे को लेकर बातें करने लगे। देखते ही देखते हॉस्टल के करीब 50 छात्र वहां इकट्ठा हो गए। इनमें से कुछ छात्रों ने शूटिंग की देखरेख कर रहे मैनेजरों को कुछ छात्रों ने तिरंगा उतारने और कैंपस में कुछ भी आपत्तिजनक (भारत विरोधी तत्वों के नजरिए से) शूट करने से मना कर दिया।

धीरे-धीरे छात्रों ने हंगामा शुरू कर दिया और शूटिंग रोकने की कोशिश की। मौके पर मौजूद पुलिस वालों ने छात्रों को ऐसा करने से रोका और कुछ को हिरासत में भी लिया। जब दबाव में आकर शूटिंग यूनिट ने तिरंगा उतारना शुरू किया तो वहां मौजूद छात्रों ने अभिनेता इरफान खान द्वारा सेट पर सिगरेट पिए जाने को लेकर नारेबाजी शुरू कर दी। थोड़ी देर बाद लोगों ने भारत विरोधी और कश्मीर की आज़ादी के नारे लगाने लगे। इससे परेशान शूटिंग यूनिट ने अपना तामझाम बटोरा और वहां से चले गए।

 

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नरेंद्र मोदी के खिलाफ दायर याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने उस जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया जिसमें गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर 2012 के विधानसभा चुनाव में व्यक्तिगत विवरण को लेकर अपूर्ण शपथ पत्र दाखिल करने का आरोप लगाया गया था।

गौरतलब है कि यह याचिका कोलकाता के सुनील सरावगी ने दायर की थी। सरावगी ने याचिका में कहा है कि नरेंद्र मोदी ने 2012 के विधानसभा चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल करते समय हलफनामे में अपनी पत्नी जशोदाबेन की डीटेल्स नहीं दी थीं।

 

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मोदी की बढ़ती लोकप्रयता से नवाज़ शरीफ ने बोली बदली

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ वार्ता ने भाजपा के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की ओर चल रही हवा का रुख भांपते हुए कहा है कि अब दोनों देशों के बीच ठोस बातचीत नई सरकार से ही होगी। वाजपेयी की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि अपने पूर्व प्रधानमंत्री से सीख लेकर आने वाली भारत की नई सरकार को वार्ता का रास्ता साफ करना चाहिए।

शरीफ के मुताबिक दोनों देशों को वार्ता की मेज पर आकर कश्मीर समेत सभी विवादित मुद्दे हल करने चाहिए। शरीफ ने पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को सही मायने में राजनेता बताया और कहा कि भारत में 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव के बाद आने वाली नई सरकार के साथ ही बातचीत संभव हो सकेगी। उन्होंने 1999 में दोनों देशों के मजबूत रिश्तों के लिए जो नींव डाली थी, हमें उस पर ही आगे बढ़ना चाहिए।

गौरतलब है कि इससे पहले पाक प्रधानमंत्री के विदेश नीति सलाहकार सरताज अजीज ने भी कहा था कि हमें नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत करने में कोई परहेज नहीं है।

शरीफ ने कहा कि वाजपेयी साहब ने एक साल में सभी मुद्दों के निपटारे का एजेंडा बनाया था। उन्होंने कहा कि भारत में आम चुनाव के माहौल के बीच बहुत कुछ पाकिस्तान के खिलाफ बोला जा रहा है। लेनिक हमें इन चीजों से परे होकर सोचना चाहिए। उन्होंने मनमोहन सिंह के साथ हुई मुलाकात को सद्भावनापूर्ण बताया। भारत से दोस्ताना संबंध हमारी पार्टी पीएमएल-एन का एजेंडा है। हाल ही में एलओसी पर हुआ युद्धविराम उल्लंघन न तो इस्लामाबाद न ही नई दिल्ली के हित में है।

नवाज के अनुसार हम अपने चुनाव में जनता के पास भारत से बेहतर संबंध का मुद्दा लेकर गए थे। उन्होंने हमें सत्ता सौंपी। अब जनता की चाहत यही है कि दोनों देश बेहतर संबंध बनाएं। हमें अच्छे पड़ोसियों की तरह रहना चाहिए।

 

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दूसरों का स्टिंग करने वाले तरुण तेजपाल खुद फँसे

अपनी बेटी की उम्र की पत्रकार के यौन उत्पीड़न के आरोप में घिरे 'तहलका' पत्रिका के प्रमुख संपादक तरुण तेजपाल प्रायश्चित स्वरूप खुद ही 6 महीने की छुट्टी पर चले गए हैं। संस्थान से खुद को अलग करने की सूचना तेजपाल ने ई-मेल के जरिए तहलका की प्रबंध संपादक शोमा चटर्जी को दे दी है। शोमा ने तेजपाल के इस तरह संस्थान से हटने के बारे में अधिक बात न करते हुए कहा कि यह हमारा आंतरिक मामला है। वहीं, तेजपाल के इस प्रायश्चित पर सवाल खड़े होने लगे हैं।

क्या लिखा है पत्र में..

पत्र में तेजपाल ने कहा कि पिछले कुछ दिन बहुत परीक्षा वाले रहे और मैं पूरी तरह इसकी जिम्मेदारी लेता हूं। एक गलत तरह से लिए फैसले, परिस्थिति को खराब तरह से लेने के चलते एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई जो उन सभी चीजों के खिलाफ है जिनमें हम विश्वास करते हैं और जिनके लिए संघर्ष करते हैं। उन्होंने कहा कि मैंने संबंधित पत्रकार से अपने दु‌र्व्यवहार के लिए पहले ही बिना शर्त माफी मांग ली है लेकिन मैं महसूस कर रहा हूं कि और प्रायश्चित की जरूरत है। तहलका के संस्थापक सदस्य तेजपाल ने अपने पत्र में लिखा है, क्योंकि इसमें तहलका का नाम जुड़ा है और एक उत्कृष्ट परंपरा की बात है, इसलिए मैं महसूस करता हूं कि केवल शब्दों से प्रायश्चित नहीं होगा। मुझे ऐसा प्रायश्चित करना चाहिए जो मुझे सबक दे। इसलिए मैं तहलका के संपादक पद से और तहलका के दफ्तर से अगले छह महीने के लिए खुद को दूर करने की पेशकश कर रहा हूं।

दो बार हुआ यौन उत्पीड़न!

मीडिया में जो खबरें छनकर आ रही हैं, उसके अनुसार पीड़ित लड़की बहुत कम उम्र की है और घटना के बाद से ही सदमे में है। पीड़िता के साथ दो बार यौन उत्पीड़न हुआ और यह तब हुआ जब 'थिंक इवेंट' चल रहा था।

पीड़िता तरुण की बेटी की उम्र की है। उसने यौन उत्पीड़न की शिकायत ई-मेल के जरिए की है। इस बारे में उसने तरुण की बेटी को भी बताया। पीड़ित लड़की के पिता भी तरुण के दोस्त हैं।

कपड़े फाड़ दिए और उससे भी आगे बढ़ गए..

बताया जा रहा है कि यह घटना पिछले सप्ताह गोवा में 'थिंक इवेंट' के दौरान घटी। नशे की हालत में तरुण ने इस लड़की का यौन उत्पीड़न किया। उन्होंने उसके कपड़े फाड़ दिए और उससे भी आगे बढ़ गए..।

लड़की ने अपनी शिकायत में लिखा कि मैं उनकी बहुत इज्जत करती हूं। वे मेरे पिता के समान हैं। उन्होंने 2 बार मेरे साथ हरकत की और मैं रोते हुए अपने कमरे में आई। मैंने अपने साथ हुई हरकत के बारे में पत्रिका के तीन सहयोगियों को बताया।

लड़की ने लिखा कि जब मैंने अपने साथ हुई शर्मनाक घटना के बारे में तरुण की बेटी को बताया तो तरुण काफी नाराज हो गए.. मैं डर गई थी..।

मेल से दी सूचना

शोमा चौधरी ने तहलका के अन्य कर्मियों को एक मेल भेजकर घटनाक्रम की जानकारी दी। उन्होंने कहा, 'यह आपमें से कई लोगों के लिए अजीब हैरानी की बात हो सकती है। एक अप्रिय घटना घटी और तरुण तेजपाल ने इस मामले में शामिल अपनी सहयोगी से बिना शर्त माफी मांगी है। वह अगले 6 महीने के लिए तहलका के संपादक पद से अलग रहेंगे।'

सोशल साइट्सों में हुई थू-थू

मीडिया जगत में तरुण तेजपाल का नाम काफी पुराना है और तहलका जैसे संस्थान में रहकर उन्होंने कई सनसनीखेज प्रकरण उजागर किए हैं। उन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगने के बाद सोशल साइट्सों पर टिप्पणियों की बाढ़ सी आ गई है और मीडिया में भी सवाल खड़ा हो रहा है कि यह मामला पुलिस में क्यों नहीं जा रहा है? क्या इस खुलासे के बाद पुलिस खुद संज्ञान ले सकती है? खुद ही जज बनकर प्रायश्चित करने का यह फैसला कितना उचित है? फेसबुक पर आए कुछ कमेंट इस प्रकार है:

वैशाली वैद्य: डरावने गंदे लोग और उनकी गंदी सोच

रिसू रुंगटा: मारो इनको

राघवेंद्र नारायण: ये लो भईया तहलका के संपादक तरुण तेजपाल ने अपनी बेटी की दोस्त का दो बार .. करके तहलका मचाया और अब खुद जज बनके खुद को सजा दे डाली सजा क्या दी खुद को 6 महीने तक संपादिकी नहीं करेंगे ये महाशय ऐसी सजा तो हर .. चाहेगा।

टाइमलाइन फोटो: तहलका के संचालक तरुण तेजपाल जो बड़ा तहलका मचाते हैं, अपनी खबरों से आज उनकी एक खबर.. तहलका मचा रही है..

अपनी बेटी की उम्र की पत्रकार के यौन उत्पीड़न के आरोप में घिरे 'तहलका' पत्रिका के प्रमुख संपादक तरुण तेजपाल प्रायश्चित स्वरूप खुद ही 6 महीने की छुट्टी पर चले गए हैं।�

गोवा के सीएम मनोहर पर्रिकर ने कहा है कि इस मामले में स्‍वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई की जाएगी। सूत्रों के मुताबिक गोवा पुलिस ने शहर के उस होटल से 'तहलका' के कार्यक्रम थिंक फेस्ट �के सीसीटीवी फुटेज मांगे हैं। पुलिस इस मामले में स्‍वत: संज्ञान लेते हुए शिकायत दर्ज करने पर विचार कर रही है। हालांकि पुलिस का कहना है कि उसे पीडिता की तरफ से औपचारिक शिकायत नहीं मिली है।�

बीजेपी ने 'तहलका' पर जोरदार हमला बोला है। पार्टी प्रवक्‍ता मीनाक्षी लेखी ने इस मामले को गंभीरता से लिए जाने की अपील करते हुए कहा है कि यह कार्यस्‍थल पर महिला के यौन उत्‍पीड़न का मामला है। उन्‍होंने आरोप लगाया कि इस मामले में आरोपी को 'पेड हॉलीडे' पर भेजकर बचाने की कोशिश की जा रही है। बीजेपी नेता मुख्‍तार अब्‍बास नकवी ने शायरना अंदाज में टिप्‍पणी की, 'जमाना बड़े गौर से सुन रहा था, तुम्‍ही फंस गए दास्‍तां कहते कहते।'

सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने इस मसले पर तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है। उन्‍होंने ट्वीट किया है, 'संपादक ने लिखा है कि यह गलत फैसले का नतीजा है। ये गलत फैसला था या बच निकलने का भरोसा?' बेदी ने तेजपाल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है। उन्‍होंने कहा है कि पत्रिका की मैनेजिंग एडिटर को तेजपाल के खिलाफ मामला दर्ज कराना चाहिए। बेदी ने कहा, 'पीडित लड़की के मेल और आरोपी के कबूलनामे से साफ है कि एक यह गुनाह है। क्‍या ऐसे गुनाह को दबाया जा सकता है? यह मामला इस स्‍टेज में पहुंच गया है कि केस दर्ज हो।'

राष्‍ट्रीय महिला आयोग ने भी मामले का संज्ञान लिया है। आयोग का कहना है कि यदि पीडित औपचारिक शिकायत दर्ज कराती है तो कार्रवाई की जाएगी। आयोग की सदस्‍य निर्मला सावंत ने कहा, 'हमें पीडिता की तरफ से लेटर की जरूरत है, हम उसे पूरा सहयोग करेंगे। उसकी पहचान गुप्‍त रखी जाएगी।' वहीं, वरिष्‍ठ पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन ने कहा है कि तेजपाल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। वरिष्‍ठ पत्रकार कमर वाहिद नकवी ने अपने फेसबुक वॉल पर लिखा है, 'तरुण तेजपाल पर लगे यौन शोषण के आरोपों पर क़ानूनी प्रक्रिया को दरकिनार कैसे किया जा सकता है? क़ानूनी प्रक्रिया से मामले का निपटारा हो, यही सही रास्ता है।

'तहलका' की मैनेजिंग एडिटर शोमा चौधरी ने इस मसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है कि यह आतंरिक मामला है और संबंधित महिला पत्रकार प्रबंधन की कार्रवाई से संतुष्‍ट है।

पीडित महिला पत्रकार ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि इस मसले पर 'तहलका' के जवाब से वह बेहद दुखी है। उन्‍होंने कहा, 'यह दावा करना कि 'तहलका' में अन्‍य पत्रकार संतुष्‍ट हैं, गलत है। मेरा पक्ष भी 'तहलका' के कर्मचारियों के बीच सर्कुलेट नहीं किया गया है, केवल तरुण के 'प्रायश्चित' का लेटर ही सर्कुलेट किया गया है।'

जावेद अख्तर की प्रतिक्रिया कितनी शर्मनाक
मशहूर गीतकार जावेद अख्‍तर ने उनका बचाव किया है। जावेद ने ट्वीट किया, 'यह बेहद शर्म की बात है कि अच्‍छे मूल्‍यों वाले इस शख्‍स ने इस तरह का कृत्‍य किया है लेकिन उनके पास अपना गुनाह कबूल करने और अपने किए पर पछतावा करने का साहस भी है।' जावेद के इस ट्वीट पर लोगों की तीखी प्रतिक्रिया आ रही है।

पीड़ित पत्रकार तेजपाल और तहलका के कदम से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने कमिटी बनाकर यौन उत्पीड़न के आरोप की जांच की मांग की है। महिला संगठन और राष्ट्रीय महिला आयोग भी तेजपाल के 'खुद को सजा' देने के कदम से संतुष्ट नहीं हैं और उनके खिलाफ पुलिस कार्रवाई की मांग कर रही है।

हालांकि पीड़ित पत्रकार ने शोमा चौधरी के दावे का खंडन किया है। उन्होंने हमारे सहयोगी चैनल टाइम्स नाउ से बातचीत में कहा कि वह तहलका की प्रतिक्रिया से निराश हैं। वह चाहती हैं कि तहलका को यौन शोषण के आरोप की जांच के लिए एक समिति बनानी चाहिए। पीड़ित महिला पत्रकार ने यौन दुर्व्यवहार की शिकायत करते हुए ईमेल में कहा है, 'तेजपाल ने जो किया है वह एक बुरा फैसला या परिस्थिति का ठीक से आकलन नहीं कर पाने का मामला नहीं है बल्क यौन दुर्व्यवहार का गंभीर मामला है। उन्होंने कहा, 'हाल में गोवा में संपन्न थिंक फेस्टिवल में तेजपाल में मेरे कपड़े उतारने और दो बार मुझे जबर्दस्ती सहलाने की कोशिश की।'

एनडीटीवी से बात करते हुए महिला पत्रकार के करीबी ने कहा, 'महिला पूरी तरह टूट चुकी हैं और भावनात्मक रूप से आहत हैं।' उन्होंने आगे कहा, 'महिला के यह कहने के बावजूद कि वह उनकी बेटी की उम्र की है ये लगातार हुआ। वह कहती रहीं कि प्लीज़ ऐसा नहीं करो, लेकिन उनकी ना को नहीं माना गया। यह एक बार हुआ और अगले दिन फिर हुआ।'

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तहलका की पत्रकार ने इस्तीफा दिया

तहलका के पूर्व संपादक तरुण तेजपाल पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली पत्रकार ने मैगजीन से इस्तीफा दे दिया है। विभिन्न सूत्रों से आ रही खबरों के मुताबिक आरोप लगाने वाली पत्रकार ने कहा है कि संगठन ने उनका साथ नहीं दिया।

तहलका पत्रिका के संस्थापक-संपादक तरुण तेजपाल ने इस मामले में अग्रिम जमानत के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में अर्जी दी है। जस्टिस जीएस सिस्तानी की अदालत में यह अर्जी पेश की गई है। जानेमाने वकील केटीएस तुलसी और गीता लूथरा ने तरुण तेजपाल की तरफ से यह अर्जी पेश की है। मंगलवार को मामले की सुनवाई होगी।

तरुण तेजपाल पर उनकी पत्रिका में प्रधान संवाददाता के पद पर काम करने वाली एक महिला ने यौन शोषण के आरोप लगाए हैं। पत्रिका की मैनेजिंग एडिटर शोमा चौधरी को लिखे एक ईमेल में आरोप लगाया था कि तरुण तेजपाल ने गोवा में आयोजित पत्रिका के एक कार्यक्रम के दौरान होटल में दो बार उनसे आपत्तिजनक हरकतें कीं। इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए गोवा पुलिस ने तरुण तेजपाल पर यौन शोषण और रेप की कोशिश का मामला दर्ज किया है।

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