Saturday, February 22, 2025
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राजस्थान में दागी कांग्रेसियों के रिश्तेदार हारे

राजस्थान में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो चुका है। भाजपा की आंधी में|� कांग्रेस के कई दिग्गज धराशायी हो गए। जनता ने दागी नेताओं के रिश्तेदारों को नकार दिया है।� ओसियां से कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा की पत्नी लीला मदेरणा,लूणी से मलखान विश्नोई की मां अमरी देवी, दूदू से पूर्व मंत्री बाबूलाल नागर के भाई हजारीलाल नागर को भारी पराजय का सामना करना पड़ा

भंवरी देवी हत्याकांड में आरोपी महिपाल मदेरणा और मलखान विश्नोई जेल की हवा खा रहे हैं। बलात्कार के केस में आरोपी बाबूलाल नागर भी सलाखों के पीछे है। ओसियां से भाजपा प्रत्याशी भैराराम चौधरी ने लीला मदेरणा को 15,396 वोटों से� शिकस्त दी। भैराराम को 75,363 वोट मिले जबकि लीला मदेरणा को सिर्फ 59,967 वोट ही मिले।

लूणी से भाजपा प्रत्याशी जोगाराम पटेल ने अमरी देवी को 35,940 वोटों से हरा दिया। अमरी देवी को 60,446 और जोगाराम पटेल को 96,386 वोट मिले। दूदू से भाजपा उम्मीदवार प्रेमचंद बैरवा चुनाव जीत गए हैं। उन्होंने कांग्रेस के हजारीलाल नागर को 32,729 वोटों से हराया। नागर को 51,864 जबकि बैरवा को 84,543 वोट मिले।

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क्लब सिक्सटी [हिंदी कामेडी ] कथा

दो टूक : जो लोग उम्र को सुख और रिश्तों की सीमा मानते हैं या सोचते हैं कि सिर्फ गम उनके हिस्से हैं तो उनके लिए संजय त्रिपाठी की सतीश शाह, टीनू आनंद, रघुवीर यादव और फारुख शेख के  वाली फ़िल्म कल्ब सिक्सटी एक देखने लायक फ़िल्म है जो कहती हैं कि हंसी जो दिखती है कई बार वो हंसी तो  है पर उसके अंदर का दर्द किसी को नहीं दीखता क्योंकि उसकी कोई शकल नहीं होती .

कहानी : फ़िल्म की कहानी एक टेनिस कोर्ट में मिलने वाले रघुवीर यादव , सतीश शाह, तीनूं आनंद , शरत  सक्सेना , और विनीत कुमार की है  जो एक  खुशाल जोड़े तारिक और सायरा [ फारुख शेख और सारिक असारिका ] से बहुत  प्रभावित हैं .लेकिन वो नहीं जानते कि उनके जीवन में एक बहुत बड़ा खालीपन हैं  धीरे-धीरे पता चलता है कि सभी की जिंदगी में गम हैं और वे अपने-अपने गमों को धकेल कर खुश रहने की कोशिश करते हैं।

गीत संगीत : फ़िल्म में प्रणीत गेडाम गेडाम का संगीत है और गीत नजीर अकबरा बादी  के हैं लकिन वो ऐसे नहीं कि याद रखे जा  सके.

अभिनय   : फ़िल्म में  फारुख शेख और सारिका फिल्म के आधार हैं तो रघुवीर यादव सभी को जोड़ने की महत्वपूर्ण कड़ी। हालांकि उन्होंने गुजराती मनुभाई की भूमिका को  अतिरिक्त  लाउड रखा है। शरत सक्सेना, टीनू आनंद, सतीश शाह और विनीत कुमार ने अपने किरदारों को बखूबी निभाया है। लेकिन हिमानी शिवपुरी और दुसरे कई छोटे बड़े चरित्र भी  फ़िल्म में हैं जिन्हे कुछ और नया विस्तार दिया जा सकता  था.

निर्देशन : फ़िल्म बुजुर्गो के जीवन में आने वाली एकरसता और अकेलेपन को संवेदन शीलता से छूती है . संजय त्रिपाठी ने  खबरों से बाहर कर दिए गए बुजुर्गो की  स्थिति को गहराई से बुना है हाँ उसकी पटकथा में कुछ चूक हो गयी हैं .लेकिन फ़िल्म को  छोड़ियेगा नहीं.

फ़िल्म क्यों देखें : बुजुर्गों की एकांतता को दिखाने  की  कोशिश है.
फ़िल्म क्यों न देखें : मैं ऐसा नहीं  कहूंगा .

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नोटा के बटन का भरपूर उपयोग किया मतदाताओं ने

चुनाव आयोग ने पहली बार मतदाताओं को सारे उम्मीदवारों को खारिज करने का विकल्प दिया। ईवीएम में जिसे नन ऑफ द एबव (नोटा) के रूप में दर्ज किया गया था। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित चित्रकोट सीट पर सर्वाधिक 10848 मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया, जो कि तमाम राजनीतिक दलों के लिए एक सबक की तरह है।

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में� जिले की 7 विधानसभाओं में सबसे ज्यादा मरवाही के वोटरों ने नोटा, यानी इनमें से कोई नहीं का बटन दबाया है। यहां 7 हजार 115 मतदाताओं ने 10 में से किसी एक प्रत्याशी को भी योग्य नहीं माना। दिलचस्प है कि भाजपा, कांग्रेस को छोड़कर शेष आठ प्रत्याशियों ने नोटा जितने वोट भी हासिल नहीं कर सके। मरवाही में नोटा तीसरे नंबर पर रहा। बिलासपुर में भी नोटा का बटन 3669 बार दबा। यहां भी यह तीसरे स्थान पर था।

1 लाख 33 हजार 875 वेलिड वोट वाली विधानसभा के 7 115 मतदाताओं ने हरेक प्रत्याशी को नापसंद किया। यहां भाजपा, कांग्रेस जैसी दो बड़ी पार्टियों के प्रत्याशियों के अलावा 8 अन्य उम्मीदवार भी मैदान में थे। सबसे अहम यही है कि इनमें से किसी एक प्रत्याशी ने भी नोटा के आंकड़े को पार नहीं किया। नोटा के सबसे करीब सुमन सिंह रहे हैं, जिन्हें 6 259 वोट मिले। नोटा ने यहां 8 प्रत्याशियों को पछाड़ते हुए 5 फीसदी मत हासिल किया और तीसरा स्थान हासिल किया।������� �

छत्तीसगढ़ में कुल 5,88,411 मतदाताओं ने यह बटन दबाया। यह कुल पड़े वोट का 1.92 फीसदी हिस्सा है, यानी तकरीबन हर 50 मतदाता में से एक ने नोटा का इस्तेमाल किया। इसका सबसे अधिक प्रयोग पंचायतराज मंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीय की सीट बागीदौरा में 7259 लोगों ने किया। इसके अलावा पिड़वाड़ा आबू में 7,253 मतदाताओं ने "उपरोक्त में से कोई नहीं" पर अपनी मुहर लगाई।
सबसे रोचक दांतारामगढ़ सीट का मामला है। यहां से कांग्रेस के प्रत्याशी नारायणसिंह महज 210 वोटों से चुनाव जीते है, जबकि इस सीट पर 1999 लोगों ने नोटा का प्रयोग किया है। इसी तरह कोलायत से कांग्रेस के भंवरसिंह भाटी 1134 वोटों से चुनाव जीते, जबकि यहां 2,951 ने नोटा का प्रयोग किया।

दंतेवाड़ा में भाजपा के मौजूदा विधायक भीमा मंडावी का कड़ा मुकाबला दर्भा घाटी में हुए माओवादी हमले में मारे गए कांग्रेस के वरिष्ट नेता और सलवा जुडूम के जन्मदाता महेंद्र कर्मा की पत्नी देवती कर्मा से था.

राजस्थान में पहली बार ईवीएम में नोटा के बटन का लोगों ने जमकर इस्तेमाल किया। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और भाजपा से इस पद की प्रत्याशी वसुंधरा राजे के क्षेत्र में भी नोटा का जादू चला। अशोक गहलोत की सीट सरदारपुरा में 1,779 और वसुंधरा की सीट झालरापाटन में 3,729 मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया। इसी तरह भंवरी देवी कांड में फंसे मलखान सिंह विश्नोई की मां अमरीदेवी के क्षेत्र लूणी में 3,322 और महिपाल मदेरणा की पत्नी लीला मदेरणा के क्षेत्र ओसियां में 2597 लोगों ने नोटा का बटन दबाया।

राजस्थान के आदिवासी बाहुल्य इलाके डूंगरपुर जिले में सबसे अधिक 4.50 फीसद तथा दूसरे नम्बर पर बांसवाडा जिले में 3.42 फीसद मतदाताओं ने किसी भी उम्मीदवार को वोट नहीं देने के लिए नोटा का इस्तमाल किया।

राजस्थान में सबसे ज्यादा करीब 87,609 मतदाओं ने सभी उम्मीदवारों को रिजेक्ट करने वाले नोटा विकल्प चुना। मध्य प्रदेश में 43,851 मतदाताओं ने इनमें से कोई नहीं विकल्प आजमाया। शाहपुरा विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा 7,929 लोगों ने नोटा बटन दबाया।

एसी के लिए आरक्षित राजस्थान के केशोराय पाटन विधानसभा क्षेत्र में 7,230,दिल्ली की बवाना सीट पर 1,217 मतदाताओं ने नोटा विकल्प का इस्तेमाल किया। दिल्ली में करीब 21,808 लोगों ने नोटा इस्तेमाल किया।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के विधानसभा क्षेत्र विदिशा में 1,368 मतदाताओं ने नोटा विकल्प का इस्तेमाल किया। राजस्थान में वसुंधरा राजे के निर्वाचन क्षेत्र झालरापाटन में 940 नोटा वोट पड़े। छत्तीसगढ़ में 67,222 नोटा वोटर्स थे। एसी के लिए सुरक्षित चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा 6,460 मतदाताओं ने नोटा विकल्प चुना।

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संस्कृत के छात्रों ने धोती-कुर्ता पहना तो दीक्षात समारोह में अपमानित किया

उत्तरप्रदेश में वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के 31वें दीक्षांत समारोह में रविवार की दोपहर गाउन पहनकर मेडल न लेने की जिद पर अड़े छात्रों को मंडप से निकाले जाने के बाद जमकर हंगामा हुआ।  प्रशासन की सख्ती से नाराज सर्वाधिक नौ स्वर्ण पदक अपने नाम करने वाले मेधावी सुमन चंद्र पंत समेत बड़ी संख्या में छात्रों ने दीक्षांत समारोह का बहिष्कार कर नारेबाजी शुरू कर दी।  मुख्य भवन के सामने कुछ छात्र धरने पर बैठ गए। उन्होंने महामहिम की फ्लीट के आगे लेटने की कोशिश की तो पुलिस ने रस्सा तानकर उन्हें पुस्तकालय भवन की ओर खदेड़ दिया। अंतत: चार छात्रों ने मेडल नहीं लिया।

इस मामले में छात्रसंघ अध्यक्ष और पुस्तकालय मंत्री को पुलिस थाने ले गई। बाद में चेतावनी देकर उन्हें छोड़ दिया गया।  कुलपति आवास के पास पत्थरबाजी के आरोप में पकड़े गए छात्र से पूछताछ की जा रही है। समारोह में महामहिम के आगमन से पहले ही संचालन कर रहे तुलनात्मक धर्म दर्शन के विभागाध्यक्ष डॉ. रजनीश शुक्ल ने चेताया कि निर्धारित दीक्षांत परिधान में जो छात्र नहीं होंगे, उन्हें स्वर्ण पदक के लिए मंच पर आमंत्रित करना संभव नहीं हो सकेगा।

नौ स्वर्ण पदक जीतने वाले सुमन चंद पंत और रजत पदक की सूची में शुमार विपिन कुमार द्विवेदी के अलावा डिग्री लेने आए उमेश चंद्र शुक्ल, साकेत शुक्ल धोती-कुर्ता में आए थे।  उन्होंने गाउन पहनने से इनकार कर दिया था। उनका कहना था कि गुलामी के प्रतीक परिधान को पहनकर वे पदक नहीं लेंगे। पारंपरिक परिधान धोती-कुर्ता में ही उन्हें पदक दिया जाए।  इन छात्रों की जिद तोड़वाने के लिए कुलसचिव राकेश मालापाणि, चीफ प्राक्टर केदारनाथ त्रिपाठी, निदेशक प्रकाशन पद्माकर मिश्र समेत कई अधिकारियों की कोशिश बेकार गई।  

अंतत: एडीएम सिटी मंगला प्रसाद मिश्र और एसपी सिटी राहुल राज जब गाउन न पहनने वाले छात्रों को दीक्षांत मंडप से बाहर करने लगे तब छात्र समारोह का बहिष्कार करते हुए मुख्य भवन के पास नारेबाजी करने लगे।   मुख्य भवन के सेफ रूम में जब महामहिम राज्यभपाल और मुख्य अतिथि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति मुकुंद काम शर्मा शिष्ट यात्रा में शामिल होने के लिए गाउन पहन रहे थे तब भी नारेबाजी होती रही।  इस दौरान पत्थर चलने से एक दारोगा के चोटिल होने की बात समाने आई। राज्यपाल जब कुलपति आवास में प्रीतिभोज पर जाने लगे, तभी एसपी सिटी के निर्देश पर छात्रों को पुलिस ने पकड़ लिया।

 

साभार- अमर उजाला से

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गुजरात में फिर जीती भाजपा

चार राज्यों में परचम लहराने के साथ भाजपा ने गुजरात में हुए उपचुनाव में भी जीत दर्ज की है। भाजपा ने राज्य की दो लोकसभा व चार विधानसभा सीट जीत ली हैं। कांग्रेस यहां भी अग्नि परीक्षा में फेल हो गई है।

पोरबंदर और बनासकांठा लोकसभा सीट के लिए क्रमश: 30 व 37 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। वहीं लिंबाडी, मारवा हदाफ, धोरजी व जेतपुर विधानसभा सीट पर 62, 64, 33 व 45 प्रतिशत वोटिंग हुई थी।

सबकी निगाहें पोरबंदर लोकसभा और जेतपुर विधानसभा सीट पर थी। यहां भाजपा ने क्रमश: विट्ठल रडाडिया व उनके बेटे जयेश को टिकट दिया था। ये कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे। वहीं कांग्रेस सांसद मुकेश गढ़वी के निधन के कारण बनासकांठा लोकसभा सीट रिक्त हुई थी। इस सीट पर कांग्रेस ने उनकी पत्नी कृष्णा गढ़वी को टिकट दिया था।

भाजपा ने रविवार को गुजरात विधानसभा की सूरत पश्चिम सीट पर हुए उपचुनाव में जीत दर्ज कराई है। भाजपा उम्मीदवार पूर्णेश मोदी ने यहां कांग्रेस पार्टी के जी.एस. पटेल को 68,284 मतों से पराजित किया।

सूरत पश्चिम विधानसभा सीट के विधायक किशोर वनकावाला के निधन के कारण यहां उपचुनाव कराना पड़ा है। वनकावाला भाजपा की गुजरात इकाई के पूर्व उपाध्यक्ष थे। एक अधिकारी ने कहा कि मोदी को कुल 86,029 वोट प्राप्त हुए, जबकि पटेल को मात्र 19,755 वोट प्राप्त हुए। 0.2307 प्रतिशत मतदाताओं ने नोटा विकल्प को अपनाया।

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रा … राजकुमार [हिंदी एक्शन कथा ]

दो टूक : कौन  कहता है कि पैसा और ताकत ही सबकुछ होता है . प्रेम करके तो देखिये इसकी ताकत इन दोनों से बड़ी मिलेगी . निर्देशक प्रभु देवा शाहिद कपूर, सोनाक्षी सिन्हा, मुकुल देव , असरानी  और सोनू सूद के अभिनय वाली फ़िल्म रा … राजकुमार  भी एक ऐसे ही प्रेम की  कहानी कहती है .

कहानी : फिल्म की कहानी एक ऐसे गांव की है  जहां दो ड्रग माफिया शिवराज  और  परमार [ आशीष विद्यर्थी और सोनू सूद ]  इलाके पर अपने कब्जे के लिए एक दूसरे को मारने के लिए लड़ रहे हैं। इन्ही के बीच राजकुमार भी रहता है जो इनमे से एक परमार की  परमार  की  भतीजी चंदा [सोनाक्षी ] से प्रेम करता है   लेकिन जब  शिवराज की  नजर चंदा पर जम जाती है तो  प्रेम और  ताकत की  लड़ाई भी शुरू  जाती है .  फ़िल्म में असरानी और  मुकुल देव की भी  भूमिका है.

गीत संगीत : फ़िल्म में प्रीतम का संगीत है और गीत अनुपम आमोद के  आशीष  पंडित के हैं.  फिल्म का गाना गंदी बात.. गंदी ..गंदी बात…गंदी बात.. लोगों की जुबान  पर है लेकिन फ़िल्म के  बाकि गीत भी   बुरे नहीं हैं.  

अभिनय : शाहिद ने अपनी इमेज से अलग भूमिका की है .  कमीने के बाद उनकी ये एक और एक्शन हीरो की भूमिका है. ये अलग बात है कि उन्होंने अपने दुबले पतले शारीर के साथ बीस बीस गुंडों को धूल  चटाई है . सोनाक्षी सिन्हा लगभग हर फिल्म में अपनी पहली फिल्म दबंग की ही तरह का किरदार निभा रही  हैं। हाँ  सोनू सुद ने अपने अभिनय से जरूर प्रभावित किया है। एक  तरह से वे अब फ़िल्म उद्योग के नए खलनायक भी हैं और नायक भी जो दोनों तरह कि भूमिका कर सकते हैं और जमते भी हैं . लेकिन लम्बे समय बाद लौटे आशीष विद्यार्थी और असरानी के लिए कुछ  करने को नहीं था जबकि जबकि मुकुल देव फिर भी ठीक ठीक लगते हैं.

निर्देशन :  आर…राजकुमार में ऐसा कुछ नहीं जिसे हमने पहले नहीं देखा हो  पर उसका तरीका नया है। प्रभुदेवा की अन्य फिल्मों की तरह ही इस फिल्म में भी साउथ का पूरा टच देखने को मिलता हैं। तेजी से आगे बढ़ती फिल्म,आइटम नंबर और एक ऐसा मॉस्ट मलंग हीरो जो किसी को भी हवा में उदा सकता सकता है, ऐसी सभी चीजें इसमें शामिल हैं जो सैकड़ों  दोहराई जा  चुकी हैं .पर आप बोर नहीं होंगे .
फ़िल्म क्यों देखें : शाहिद  के लिए.

फ़िल्म क्यों न देखें :  उनके अलावा फ़िल्म में कुछ नया नहीं  लगता .

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‘आप’ के युवा नेताओँ ने धूल चटाई दिग्गजों को

दिल्ली विधानसभा चुनावों में उतरे धुरंधर नेता जहां युवा उम्मीदवारों को राजनीति में बच्चा समझ रहे थे। वहीं, राजनीति के इन्हीं ‘गुमनाम’ उम्मीदवारों ने ‘नामचीन’ नेताओं को पटखनी दे दी। दिल्ली सरकार के हाई प्रोफाइल मंत्री राजकुमार चौहान आम आदमी पार्टी की सबसे कम उम्र की प्रत्याशी राखी बिरला (26 वर्ष) से हार गए। इसी तरह से दिल्ली में तमाम नए उम्र के लड़ाकों ने धुरंधरों को पछाड़ा। इसमें जीत सबसे बड़ी संख्या आप के उम्मीदवारों की रही। ऐसा इसलिए भी हैं क्योंकि इसी पार्टी ने बड़ी संख्या में युवा चेहरों पर दांव खेला था।

दिल्ली विधानसभा चुनावों में कई युवा चेहरों ने बड़े चेहरों को धूल चटाई है। चाहे वह पटपड़गंज सीट से मनीष सिसौदिया हो या फिर मॉडल टाउन सीट से आप के प्रत्याशी अखिलेशपति त्रिपाठी हो।सीमापुरी सीट पर आप पार्टी के 28 वर्षीय धर्मेंद्र सिंह कोहली ने कांग्रेस के विधायक रहे वीर सिंह धींगन को 11,976 वोटों से हराया है। इसी तरह से मॉडल टाउन सीट पर तीन बार के विधायक रहे कंवर करण सिंह को उनसे काफी कम उम्र के आप पार्टी के उम्मीदवार अखिलेशपति त्रिपाठी (28 वर्षीय) ने 7875 मतों से हरा दिया।

बीजेपी के करोल बाग से विधायक सुरेंद्र पाल रतवाल को आम आदमी पार्टी के महज 30 वर्ष के विशेष रवि से हार का सामना करना पड़ा है। इसी तरह आम आदमी पार्टी के तिलक नगर से प्रत्याशी 32 वर्षीय जनरैल सिंह ने बीजेपी के प्रवक्ता राजीव बब्बर को हरा दिया है। बुराड़ी सीट पर आम आदमी पार्टी के 34 साल के प्रत्याशी संजीव झा ने बीजेपी के श्रीकृष्ण को कड़ी टक्कर देते हुए लगभग 10 हजार मतों से जीत हासिल की है। डीयू से कानून की पढ़ाई कर रहे संजीव झा शुरुआत से ही टक्कर देनी शुरू कर दी थी जो आखिरी राउंड तक जारी रही। बीजेपी के युवा चेहरों में किराड़ी सीट से 38 वर्षीय अनिल झा ने रिकॉर्ड 48,526 मतों से जीत हासिल की है।उन्होंने ‘आप’ के उम्मीदवार राजन प्रकाश को हराया। जबकि कांग्रेस के युवा चेहरे व डूसू से निकले अमित मलिक को तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा है। अहम है कि इस बाद कांग्रेस की यूथ बिग्रेड कोई करिश्मा नहीं दिखा पाई।

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मनमोहन सिंह भी डर गए मोदी से

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का कहना है कि वह बीजेपी के पीएम कैंडिडेट नरेंद्र मोदी को गंभीरता से लेते हैं। उन्होंने कहा कि वह अपने विरोधियों को गंभीरता से लेते हैं और उसमें लापरवाही की कोई भी गुंजाइश नहीं रहती। हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट में आए प्रधानमंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा कि हम कभी भी विपक्ष की ताकत को कम करके नहीं आंकते। उन्होंने कहा, 'राजनीतिक पार्टी होने के नाते हम शासन को अस्थिर करने की विपक्ष की शक्ति को कम करके नहीं आंकते।

प्रधानमंत्री से जब पूछा गया कि उनके कैबिनेट में मोदी को लेकर दो तरह की राय है- कुछ कहते हैं कि मोदी की तरफ से पेश की गई चुनौती को गंभीरता से लेना चाहिए तो कुछ मोदी को पूरी तरह खारिज कर देते हैं, इस पर उन्होंने कहा, 'मैं उन लोगों में से हूं, जो अपने विरोधियों को बहुत गंभीरता से लेते हैं। ढिलाई के लिए तो कोई गुंजाइश ही नहीं है।' प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस पार्टी पूरे आत्मविश्वास के साथ चुनाव लड़ रही है। उन्होंने कहा, 'विधानसभा चुनाव के नतीजे चाहे जो भी हों, उनसे भ्रमित नहीं होना चाहिए।'

'सांप्रदायिक हिंसा विरोधी बिल शिगूफा नहीं'
मनमोहन ने इस सवाल को खारिज कर दिया, जिसमें पूछा गया था कि सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम विधेयक कहीं वोट हासिल करने के लिए छोड़ा गया शिगूफा तो नहीं है। उन्होंने कहा, 'सरकार यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है कि अगर दंगों को रोका नहीं जा सकता है तो पीड़ितों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाए।' प्रधानमंत्री ने कहा कि यह वोट बटोरने का शिगूफा हरगिज नहीं। उन्होंने कहा, 'मैं समझता हूं कि पिछले पांच या छह सालों से हम देश के कुछ हिस्सों में सांप्रदायिक दंगों का सामना करना कर रहे हैं। इस विधेयक की बुनियाद यह है कि अगर दंगों को रोका नहीं जा सकता तो पीड़ितों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाए।'

प्रधानमंत्री ने मुजफ्फरनगर दंगों का जिक्र करते हुए कहा, 'देश के कुछ हिस्सों में हुई घटनाओं से पता चलता है कि भले ही हमें देश के सभी नागरिकों को सुरक्षा देने का गर्व है, लेकिन फिर भी कुछ मौकों पर चूक हो सकती है। अगर यह विधेयक संसद में पारित हो जाता है तो इस तरह की कमियों को दूर करने में मदद मिलेगी।' प्रधानमंत्री ने आतंकवाद के मुद्दे पर कहा कि आतंकवाद का अंतिम लक्ष्य सांप्रदायिक विभाजन कराना होता है, लेकिन आतंकवादियों को अपने मकसद में कामयाब नहीं होने दिया गया और उन्हें हरा दिया गया।

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विद्या भवन पॉलिटेक्निक खेलकूद प्रतियोगिताओं के परिणाम

उदयपुर। नवम्बर-विद्या भवन पॉलिटेक्निक महाविद्यालय में आयोजित की जा रही खेलकूद प्रतियोगिताओं के दूसरे दिन लम्बीकूद, डिस्क थ्रो, 400 मीटर रिले रेस, रस्साकसी, स्पून रेस, 100 मीटर, 200 मीटर दौड़ का आयोजन किया गया। 100 मीटर दौड़ में चिराग राजपूत, अमृतलाल सुथार व मुकेश माली ने क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त किया। 200 मीटर दौड़ में चिराग राजपूत, अमृतलाल सुथार, मुकेश माली ने क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त किया।

डिस्क थ्रो (लड़कों ) में देवीलाल पंवार, भुवनेश भट्ट व पियूष पंजाबी ने क्रमशः  प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त किया। डिस्क थ्रो (लड़कियों) में वृतिका व्यास, शिल्पी परिहार व दीप्ति सारस्वत ने क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त किया। लड़कियों की स्पून रेस में मोनिका जोशी, डिंपल पिछोलिया तथा शिल्पी परिहार ने क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त किया।

200 मीटर रिले रेस में सिविल विभाग, इलेक्ट्रिकल विभाग तथा इलेक्टोनिक्स विभाग की टीमों ने क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त किया। लम्बीकूद (लड़कों) में भुवनेश भट्ट व रिजवान शेख ने प्रथम व द्वितीय तथा अमृतलाल सुथार व अरूण छीपा ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।

लम्बीकूद ( लड़कियों ) में वृतिका व्यास व मोनिका जोशी ने प्रथम व द्वितीय तथा शिल्पी परिहार व ज्योति चैहान ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। लड़कियों की थ्री लेग रेस में जयोति चैहान व वैष्णवी प्रथम चारू बाबेल व शिक्षा दशोरा द्वितीय स्थान पर रहे। तृतीय स्थान पर वृतिका व्यास व मोनिका तथा संध्या व रेखा रहे।

रस्साकसी प्रतियोगिता में  इलेक्ट्रोनिक्स विभाग ने प्रथम तथा सिविल विभाग की टीम ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया।लड़कियों की स्लो साईकिल रेस में वृतिका व्यास, ज्योति चैहान तथा मोनिका जोशी ने क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त किया।                                           

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नरेंद्र मोदी ने जहाँ-जहाँ सभा की, वहाँ भाजपा जीती

नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश में साढ़े तीन दिन में 14 सभाएं करके भाजपा की जीत में अहम भूमिका अदा की है। मोदी की सभा वाले सभी स्थलों पर भाजपा ने जीत हासिल कर ली है।  मोदी की कई सभाओं में उपस्थिति कम रही, लेकिन उसके पहले कार्यकर्ता महाकुंभ में मोदी जब भोपाल आए थे, तो करीब साढ़े चार लाख लोगों ने मोदी-मोदी के नारे लगाए थे।

मध्य प्रदेश की विजय का ज्यादा श्रेय शिवराज सिंह चौहान और नरेंद्र सिंह तोमर की जोड़ी को दिया जा रहा है, लेकिन नरेंद्र मोदी की सभाओं के योगदान को नकारा नहीं जा सकता। भाजपा नेतृत्व ने अंतिम समय में नरेंद्र मोदी की सभाएं मध्य प्रदेश में रखी थीं।  कई बार स्थानीय नेता मोदी की सभा में पर्याप्त संख्या में श्रोता भी नहीं जुटा सके थे। सागर की एक सभा में मोदी समय से पहले ही पहुंच गए थे।

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