बच्चों चलें सैर पर. उदयपुर
असयाद समूह ने ब्रेकबल्क मिडल ईस्ट 2025 में वैश्विक व्यापार व लॉजिस्टिक्स को आकार दिया
मस्कट, ओमान
ओमान के वैश्विक एकीकृत लॉजिस्टिक प्रदाता असयाद समूह ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और ब्रेकबल्क लॉजिस्टिक्स में अपने नेतृत्व व मजबूती का प्रर्दशन करते हुए 10-11 फरवरी को दुबई में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस दौरान प्रमुख औद्योगिक महारथियों के साथ जुड़ते हुए, Asyad ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के सकारात्मक परिवर्तन, ब्रेकबल्क लॉजिस्टिक्स के भविष्य और वैश्विक व्यापार कनेक्टिविटी में जीसीसी और एमईएनए क्षेत्रों के बढ़ते महत्व पर चर्चा की।
Asyad ने ब्रेकबल्क मिडल ईस्ट 2025 में भाग लियाअसयाद समूह के मुख्य वाणिज्यिक अधिकारी Juma Al Uraimi ने एकीकृत, कुशल और टिकाऊ लॉजिस्टिक क्षेत्र के लिए समूह के दृष्टिकोण को रेखांकित करते हुए बताया कि “ब्रेकबल्क लॉजिस्टिक्स का परिदृश्य तेजी से विकसित हो रहा है, जो बड़े पैमाने पर औद्योगिक परियोजनाओं, डिजिटल नवाचार और स्थिरता अनिवार्यता के मेलजोल से प्रेरित है”। Asyad व्यापार प्रवाह को बढ़ाने और ओमान को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एक महत्वपूर्ण गेटवे के रूप में स्थान देने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों और एकीकृत मल्टीमॉडल समाधानों का लाभ उठाने के लिए प्रतिबद्ध है।
असयाद समूह का नेतृत्व लॉजिस्टिक, आपूर्ति श्रृंखला अनुकूलन और बुनियादी ढांचे के निवेश में डिजिटल परिवर्तनकारी प्रमुख पैनलों में योगदान देता है, जो वैश्विक बाजारों को जोड़ने वाले रणनीतिक लॉजिस्टिक केंद्र के रूप में ओमान की उभरती हुई भूमिका को मजबूत करता है। इस चर्चा में नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं का समर्थन करने वाले लॉजिस्टिक समाधानों की बढ़ती मांग पर भी ध्यान केंद्रित किया गया।
पोर्टफ डक्म के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रेगी वेर्मुलेन ने ऊर्जा ट्रांज़िशन में ओमान की बढ़ती भूमिका पर जोर देते हैं, जिसमें लॉजिस्टिक द्वारा पवन टरबाइन, सौर पैनल और स्वच्छ ऊर्जा बुनियादी ढांचे के लिए आवश्यक अन्य बड़े उपकरणों के परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है।
असयाद समूह के निदेशक जुमा अल मस्करी ने अनुबंध लॉजिस्टिक के300 बिलियन डालर के अनुमानित विस्तार पर प्रकाश डाला, वैश्विक व्यापार को सुव्यवस्थित करने और आपूर्ति श्रृंखला लागत को अनुकूलित करने में Asyad की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ओमान की भौगोलिक स्थिति और लॉजिस्टिक बुनियादी ढांचा अंतरराष्ट्रीय व्यवसायों के लिए प्रतिस्पर्धात्मक मौका प्रदान करता है।
हाइड्रोजन लॉजिस्टिक्स में भी Asyad का कार्य एक केंद्र बिंदु है। टॉम एनबर्वाग प्रेज़िडेंट कमर्शियल स्ट्रैटेजी एंड प्रोडक्ट डेवलपमेंट ने बताया कि सलालाह फ्रीज़ोन में बड़े पैमाने पर ग्रीन हाइड्रोजन और अमोनिया उपक्रमों के लिए समूह द्वारा समर्थन दिया जा रहा है। ये परियोजनाएं वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में ओमान की भूमिका को सुदृढ़ करती हैं।
एआई एलओटी और ऑटोमेशन में 60% से अधिक निवेश के साथ, लॉजिस्टिक्स उद्योग एक डिजिटल परिवर्तन से गुजर रहा है। Asyad नवाचार को अपनाने, व्यापार दक्षता बढ़ाने और वैश्विक लॉजिस्टिक पावरहाउस के रूप में ओमान की स्थिति को मजबूत करने के लिए अपने 4.1+ बिलियन अमरीकी डालर के लॉजिस्टिक ईको-सिस्टम का उपयोग करते हुए सबसे आगे है।
साँप सीढ़ी का खेल भारत की देन है
बचपन में हम सभी ने साँप-सीढ़ी का खेल जरूर खेला होगा। इस खेल में 1 से लेकर 100 तक के खाने बने होते हैं। बोर्ड पर ढेर सारे साँप और सीढिय़ाँ बनी होती हैं। साँप के मुंह पर पहुँचने पर खिलाड़ी को साँप की पूँछवाले खाने पर आना पड़ता है, वहीं सीढ़ी चढ़कर खिलाड़ी कई खाने ऊपर भी पहुँच सकता है। इसमें साँप की संख्या, सीढिय़ों से ज्यादा होती है। हममें से ज्यादातर लोग यही मानते हैं कि यह खेल विदेशों से आया है, लेकिन क्या आपको मालूम है कि यह खेल विदेशों की नहीं बल्कि भारत की ही देन है और इसका जैसा रूप आज हमारे सामने है, यह इसका बदला हुआ रूप है?
प्राचीन भारत में इस खेल को ‘मोक्षपटम्’ के नाम से जाना जाता था। इसे द्वितीय शताब्दी ईसा पूर्व से खेला जाता रहा है। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि महाराष्ट्र के 13वीं शताब्दी के सन्त-कवि ज्ञानेश्वर (1275-1296) ने इस खेल को बनाया था। इस खेल को बनाने का मुख्य उद्देश्य बच्चों को सत्कर्म और सद्धर्म की शिक्षा देना था। सीढिय़ाँ अच्छे कर्म को दर्शाती थीं, वहीं साँप हमारे बुरे कर्म को दर्शाते थे। हमारे अच्छे कर्म हमें 100 के करीब लेकर जाते हैं, जिसका अर्थ था मोक्ष। वहीं बुरे कर्म हमें कीड़े-मकोड़े के रूप में दुबारा जन्म लेने पर मजबूर करते हैं। पुराने खेल में साँपों की संख्या सीढिय़ों से अधिक होती थी। इससे यह दर्शाया गया था कि अच्छाई का रास्ता बुरे रास्ते से काफी कठिन है।
किसने दिया इस खेल को नया रूप?
यह खेल उन्नीसवीं शताब्दी में इंग्लैण्ड पहुँच गया। इसे शायद इंग्लैण्ड के शासक अपने साथ ले गए थे और उन्होंने इसे ‘स्रैक्स एण्ड लैडर्सÓ कहकर प्रचारित किया। 1943 में ये खेल सं.रा. अमेरिका पहुँचा और वहाँ इसे मिल्टन ब्रेडले (1836-1911) ने एक नया रूप देकर इसे थोड़ा आसान बनाया। डेनमार्क के कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ़ क्रॉस-कल्चर एण्ड रीजनल स्टडीज के पीएच.डी.-शोधकर्ता जेकब सचमिट मैडसन ने मोक्षपटम् खेल पर काफी तथ्य जुटाए हैं। उनके शोध का विषय है : री-डिस्कवरिंग दी रिलीजियस ओरिजिन्स ऑफ़ स्नैक्स एण्ड लैडर्स। जेकब ने भारत के शहरों में घूम-घूमकर कपड़े और कागज पर निर्मित मोक्षपटम् और बोर्ड-गेम के 200 से अधिक नमूने एकत्र किए हैं। इनमें सर्वाधिक पुराना मोक्षपट 17वीं शती का है और इसकी सबसे ज्यादा प्रतियाँ गुजरात और राजस्थान में मिली हैं। इनमें वैष्णव, जैन, वेदांत और सूफी-सम्प्रदाय से सम्बन्धित साँप-सीढिय़ाँ सम्मिलित हैं। जेकब द्वारा किए गए शोध से सामने आया है कि संत ज्ञानेश्वर की कालावधि में ‘साँप-सीढ़ी’ का खेल ‘मोक्षपटम्’ के रूप में पहचाना जाता था। कहीं इसे ‘ज्ञान-चौपड़ या ‘परमपद-सोपान’ भी कहा गया है।
मोक्षपट से संदेश
मोक्षपट के जो नमूने प्राप्त होते हैं, उनमें पहला घर उत्पत्ति (जन्म) का होता है। इसके बाद क्रमश:होते हैं— 2. माया, 3. क्रोध, 4. लोभ, 5. भूलोक, 6. मोह, 7. मद, 8. मत्सर, 9. काम, 10. तपस्या, 11. गन्धर्वलोक, 12. ईष्र्या, 13. अन्तरिक्ष, 14. भुवर्लोक, 15. नागलोक, 16. द्वेष, 17. दया, 18. हर्ष, 19. कर्म, 20. दान, 21. समान, 22. धर्म, 23. स्वर्ग, 24. कुसंग, 25. सत्संग, 26. शोक, 27. परम धर्म, 28. सद्धर्म, 29. अधर्म, 30. उत्तम गति, 31. स्पर्श, 32. महलोक, 33. गन्ध, 34. रस, 35. नरक, 36. शब्द, 37. ज्ञान, 38. प्राण, 39. अपान, 40. व्यान, 41. जनलोक, 42. अन्न, 43. सृष्टि, 44. अविद्या, 45. सुविद्या, 46. विवेक, 47. सरस्वती, 48. यमुना, 49. गंगा, 50. तपोलोक, 51. पृथिवी, 52. हिंसा, 53. जल, 54. भक्ति, 55. अहंकार, 56. आकाश, 57. वायु, 58. तेज, 59. सत्यलोक, 60. सद्बुद्धि, 61. दुर्बुद्धि, 62. झखलोक, 63. तामस, 64. प्रकृति, 65. दृष्कृत, 66. आनन्दलोक, 67. शिवलोक, 68. वैकुण्ठलोक, 69. ब्रह्मलोक, 70. सवगुण, 71. रजोगुण, 72. तमोगुण।
ब्रिटेन के प्रसिद्ध ट्रैवल राइटर्स 25-26 फरवरी को करेंगे प्रयागराज महाकुंभ 2025 का भ्रमण
प्रयागराज महाकुंभ 2025 की भव्यता और दिव्यता न केवल देशभर के श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रही है, बल्कि विदेशी पर्यटकों और ट्रैवल लेखकों का ध्यान भी अपनी ओर खींच रही है। इसी क्रम में, ब्रिटेन के प्रसिद्ध ट्रैवल राइटर्स का एक दल 25-26 फरवरी को प्रयागराज महाकुंभ का भ्रमण करेगा। इस दल में सॉरचा मैरेड ब्रैडली, एलेक्जेंड्रा निकोल लोवेट और ओइनोन जुडिथ डेल शामिल हैं, जो 24 फरवरी को दिल्ली पहुंचेंगे और 25 फरवरी को प्रयागराज के लिए रवाना होंगे। इस यात्रा के दौरान वे महाकुंभ के अलावा अन्य धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों का भी भ्रमण करेंगे।
उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश के पर्यटन को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान देने के लिए निरंतर प्रयासरत है। प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश पर्यटन के क्षेत्र में एक नया इतिहास रच रहा है। प्रयागराज महाकुंभ के साथ-साथ दुधवा राष्ट्रीय उद्यान, अयोध्या, वाराणसी और लखनऊ जैसे ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक स्थलों को भी वैश्विक पर्यटन नक्शे पर स्थापित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश घरेलू पर्यटकों की पहली पसंद बन चुका है और शीघ्र ही विदेशी पर्यटन के मामले में भी शीर्ष स्थान प्राप्त करेगा।
विदेशी पर्यटकों के लिए उत्तर प्रदेश बना आकर्षण का केंद्र
पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन विदेशी पर्यटकों तक इसकी जानकारी पहुंचाने की आवश्यकता है। इसी उद्देश्य से विभिन्न अंतरराष्ट्रीय स्तर के ट्रैवल लेखकों और पत्रकारों को आमंत्रित किया जा रहा है, ताकि वे यहां के पर्यटन स्थलों की विशेषताओं को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत कर सकें। ब्रिटेन से आ रहे ट्रैवल लेखकों का यह दौरा भी इसी प्रयास का हिस्सा है, जिससे उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर मजबूती से स्थापित किया जा सके।
पर्यटन एवं संस्कृति विभाग द्वारा प्रयागराज महाकुंभ के दौरान विदेशी पर्यटकों के लिए विशेष योजनाएं तैयार की गई हैं, ताकि वे इस अद्भुत आयोजन का अनुभव कर सकें। सरकार द्वारा आवासीय सुविधाएं, गाइड सेवा, डिजिटल सूचना केंद्र और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, जिससे महाकुंभ में आने वाले विदेशी पर्यटकों को भारतीय संस्कृति और परंपराओं से जुड़ने का अवसर मिले।
महाकुंभ के साथ अन्य ऐतिहासिक स्थलों का भी करेंगे भ्रमण
ब्रिटेन के ट्रैवल लेखकों का यह दल केवल महाकुंभ तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वे प्रयागराज और अन्य महत्वपूर्ण स्थलों का भी भ्रमण करेंगे। इस दौरे के दौरान वे प्रयागराज किला, आनंद भवन, अक्षयवट, अल्फ्रेड पार्क और संगम क्षेत्र का भी दौरा करेंगे। इसके अलावा, वे उत्तर प्रदेश के अन्य प्रमुख पर्यटन स्थलों जैसे अयोध्या, वाराणसी और लखनऊ की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों को भी करीब से देखेंगे।
पर्यटन मंत्री ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश की पर्यटन संभावनाओं को और अधिक विकसित करने के लिए कई योजनाओं पर कार्य कर रही है। महाकुंभ के अलावा, सरकार आध्यात्मिक, वन्यजीव, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नई योजनाएं बना रही है। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा पर्यटकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए पर्यटक स्थलों के इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार किया जा रहा है, जिससे उन्हें बेहतर अनुभव प्राप्त हो सके।
पर्यटन को वैश्विक मंच पर ले जाने की दिशा में बड़ा कदम
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किए जा रहे पर्यटन संवर्धन के प्रयासों में ब्रिटेन के ट्रैवल लेखकों का यह दौरा एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। इससे उत्तर प्रदेश की पर्यटन नीति को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी और अधिक से अधिक विदेशी पर्यटक प्रदेश की ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों की ओर आकर्षित होंगे।
यह दौरा न केवल महाकुंभ की भव्यता को दुनिया के सामने लाने में सहायक होगा, बल्कि उत्तर प्रदेश को एक प्रमुख वैश्विक पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। सरकार का उद्देश्य है कि उत्तर प्रदेश की समृद्ध विरासत, आध्यात्मिक स्थलों और प्राकृतिक सौंदर्य को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिले और यह दुनिया के शीर्ष पर्यटन स्थलों में शामिल हो
भारतभूषण आचार्य समन्तभद्र स्वामी का अपराजित व्यक्तित्व एवं अनुपम कृतित्व
भारतभूषण आचार्य समन्तभद्र स्वामी का अपराजित व्यक्तित्व एवं अनुपम कृतित्व
काञ्च्यां नग्नाटकोऽहं मलमलिनतनुर्लाम्बुसे पाण्डुपिण्डः, पुण्ड्रोण्डे शाक्यभिक्षुर्दशपुरनगरे मिष्टभोजी परिव्राट्। वाराणस्यामभूवं शशधरधवलः पाण्डुरङ्गस्तपस्वी, राजन् ! यस्यास्ति शक्तिः स वदतु पुरतो जैननैर्ग्रन्थवादी ॥
अर्थात् मैं कांची में मलिन भेषधारी दिगम्बर रहा, लाम्बुसनगर में भस्म रमाकर शरीर को श्वेत किया, पुण्ड्रोण्ड में जाकर बौद्धभिक्षु बना, दशपुर नगर में मिष्ट भोजन करने वाला सन्न्यासी बना, वाराणसी में श्वेत वस्त्रधारी तपस्वी बना। राजन् ! आपके सामने यह दिगम्बर जैनवादी खड़ा है, जिसकी शक्ति हो, मुझसे शास्त्रार्थ कर ले।आपने जिन देशों,नगरों ललकारते हुए शास्त्रार्थ में विजय प्राप्त की, उन स्थानों का उल्लेख इस प्रकार मिलता है–
अर्थात् राजन् ! सबसे पहले मैंने पाटलिपुत्र नगर में शास्त्रार्थ के लिए भेरी बजाई, फिर मालवा, सिन्धु, ढक्क, काञ्ची, विदिशा आदि स्थानों में जाकर भेरी ताडित की। अब बड़े-बड़े दिग्गज विद्वानों से परिपूर्ण इस करहाटक नगर में आया हूँ। मैं तो शास्त्रार्थ की इच्छा रखता हुआ सिंह के समान घूमता-फिरता हूँ।
श्रीमत्समन्तभद्रस्यदेवस्यापि
आचार्य समंतभद्र भारतीय ज्ञान परंपरा के उत्कृष्ट आचार्य थे । आप प्रत्येक विषय के ज्ञाता थे। चाहे व्याकरण हो, साहित्य, ज्योतिष ,आयुर्वेद, मंत्रशास्त्र, न्याय, दर्शन एवं धर्म सभी विधाओं में निपुण थे। जब आप भस्मक व्याधि दूर करने के लिए काशी आये, तब काशी नरेश के समक्ष आपने जो अपना परिचय दिया, वह कोई अतिशयोक्ति नहीं थी, अपितु वह तथ्यपूर्ण कथन था।उन्होंने अपना परिचय देते हुए कहा–
अर्थात् मैं आचार्य हूँ, कवि हूँ, शास्त्रार्थियों में श्रेष्ठ हूँ, पण्डित हूँ, ज्योतिषी हूँ, वैद्य हूँ, मान्त्रिक हूँ, तान्त्रिक हूँ। हे राजन्!इस संपूर्ण पृथ्वी पर मैं आज्ञासिद्ध हूँ।अधिक क्या कहूँ ? मैं सिद्धसारस्वत हूँ।
इसीलिए अपने ज्ञानार्णव शास्त्र में आचार्य शुभचन्द्र आपके बारे में लिखते हैं-
समन्तभद्रादिकवीन्द्रभास्वतां स्फुरन्ति यत्रामलसूक्तिरश्मयः। व्रजन्ति खद्योतवदेव हास्यतां न तत्र किं ज्ञानलवोद्धतो जनाः ।
अर्थात् जहाँ समन्तभद्रादि कवीन्द्र रूपी सूयों की निर्दोष सूक्ति रूपी किरणें स्फुरायमान हो रही हैं, वहाँ अल्पज्ञान से अहंकार को प्राप्त हुए मनुष्य जुगनू के समान क्या हास्य को ही प्राप्त नहीं होगें?
अनेक शिलालेखों और ग्रंथकारों ने अपने ग्रंथों में आपके विभिन्न गुणों और विशेषताओं का उल्लेख कर आपकी उत्कृष्ट महिमा का और जिनशासन के प्रति आपके अनुपम योगदान और समर्पण का उल्लेख करते हुए आपके प्रति अगाध श्रद्धा व्यक्त की है। इसीलिए अनेक शास्त्रीय उल्लेखों में आपको भावी तीर्थंकर तक बतलाया गया है।
तत्कालीन परिस्थितियाँ और दार्शनिक प्रस्थापनायें-
आचार्य समन्तभद्र द्वारा प्रणीत साहित्य के अध्ययन से यह भी स्पष्ट होता है कि इनके समक्ष अनेक दार्शनिकों और उनके विभिन्न मतों की बाढ़ सी आई हुई थी। वस्तुतः विक्रम की दूसरी-तीसरी शती अपने देश में दार्शनिक क्रान्ति का युग रहा है।अन्यान्य भारतीय दार्शनिकों के और आपके द्वारा रचित ग्रंथों के तुलनात्मक अध्ययन से ज्ञात होता है कि आपके युग में अश्वघोष, मातृचेट, नागार्जुन, कणाद, गौतम, जैमिनि जैसे दिग्गज दार्शनिक और इनके अपने- अपने मतों की प्रतिद्वन्दिता चरम पर भी। परस्पर शास्त्रार्थों के माध्यम से परमत खण्डन और स्वमत मण्डन का बाहुल्य था।
यद्यपि इनसे पूर्व के जैन आगमों में प्रमाणशास्त्र के बीज उपलब्ध होते हैं, किन्तु वास्तविक दार्शनिक मन्तव्यों का प्रमाणशास्त्रीय विकास एवं तार्किक विवेचन मुख्यतः आचार्य समन्तभद्र स्वामी से प्रारम्भ होता है।
आपकी उपलब्ध कृतियों में से रत्नकरण्डक-श्रावकाचार को छोड़कर शेष चारों स्तुतिपरक गहन दार्शनिक कृतियाँ हैं, जिनमें आपने अपने इष्टदेवों की स्तुति के बहाने एकांतवादि दार्शनिकों के मतों का समीक्षापूर्वक खंडन करके अनेकांतवाद की दृढ़ता के साथ स्थापना की है । क्योंकि आपमें सातिशय श्रद्धा गुण के साथ ही गुणग्राहिता अप्रतिम प्रतिभा का गुण भी भरपूर विद्यमान था।
उपलब्ध कृतियाँ– आपके द्वारा प्रणीत उपलब्ध कृतियों में–१.युक्त्यनुशासन-अपरनाम वीरजिनस्तोत्र, २. स्वयम्भूस्तोत्र अपरनाम चतुर्विंशतिजिन स्तोत्र, ३.जिनशतक अपरनाम स्तुतिविद्या ४.रत्नकरण्डक-श्रावकाचार और ५.देवागम अपरनाम आप्तमीमांसा–ये वर्तमान में प्रमुख उपलब्ध कृतियाँ हैं।
१.युक्त्यनुशासन– ‘कीर्त्या महत्या भुवि वर्धमानं’—इस काव्य से आरम्भ वर्धमान-वीर जिनेन्द्र की स्तुति से युक्त यह एक उत्कृष्ट दार्शनिक कृति है। इस ग्रंथ का नाम वीर जिन स्तोत्र भी है, जो युक्ति प्रत्यक्ष और आगम के विरुद्ध नहीं है उसे वस्तु की व्यवस्था करने वाले शास्त्र का नाम युक्त्यानुशासन है। इस रचना का उद्देश्य यही है कि जो लोग न्याय-अन्याय को पहचानना चाहते हैं और प्रकृत पदार्थ के गुण दोष जानने की जिनकी इच्छा है, उनके लिए यह स्तोत्र हितकारी उपाय प्रस्तुत करता है ।
बीसवीं शताब्दी में महात्मा गाँधी जी एवं विनोबा भावे द्वारा प्रचलित सर्वोदय चिंतन का यह सर्व प्राचीन प्रथम उल्लेख माना जाता है।वह इस प्रकार है-
सर्वान्तवत्तद्गुणमुख्यकल्पं सर्वान्तशून्यं च मिथोऽनपेक्षम्। सर्वापदामन्तकरं निरन्तं सर्वोदयं तीर्थमिदं तवैव ॥ ६७।।
अर्थात् हे जिनेन्द्रदेव! आपका यह सभी धर्मों से युक्त, गौण और मुख्य की कल्पना से सहित, सभी धर्मों से शून्य, परस्पर अपेक्षा से रहित अर्थात् परिपूर्ण, सभी आपदाओं का अन्त करने वाला और अन्तहीन आपका यह सर्वोदय तीर्थ ही सभी कल्याण करने वाला है।
२. स्वयंभूस्तोत्र– यह 143 पद्यों और विभिन्न छंदों से युक्त तीर्थंकर ऋषभदेव से लेकर महावीर पर्यन्त चौबीस तीर्थंकरों के गुणानुवाद युक्त भावपूर्ण स्तवन है, इसीलिए इसे चतुर्विंशतिस्तोत्र भी कहते हैं, जो अनेक जैन सिद्धान्तों का दर्पण भी माना जाता है। दूसरों के उपदेश के बिना ही जिन्होंने स्वयं मोक्षमार्ग को जानकर और उसका अनुष्ठान कर अनंत चतुष्टय स्वरूप आत्म विकास को प्राप्त किया है, उन्हें स्वयंभू कहते हैं अतः यह स्वयंभू स्तोत्र सार्थक संज्ञा को प्राप्त है।
३.स्तुतिविद्या (जिनशतक)–
इस ग्रन्थ का मूल नाम स्तुतिविद्या है, जैसा कि प्रथम मंगल पद्म में प्रयुक्त हुए ‘स्तुतिविद्यां प्रसाधये’ प्रतिज्ञा वाक्य से ज्ञात होता है। इसके 116 पद्यों में स्वयंभूस्तोत्र की तरह प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव से लेकर महावीर पर्यन्त चौबीस तीर्थंकरों का आलंकारिक भाषा में स्तवन है।
५.देवागम-आप्तमीमांसा–
जैसे ‘भक्तामर,’एकीभाव’– ये स्तोत्र इन्ही आद्य पदों से आरम्भ होनेके कारण वे उन नामों से प्रसिद्ध हैं, उसी प्रकार यह भी ‘देवागम’ पदसे आरम्भ होनेसे ‘देवागमस्तव’ नामसे अधिक प्रसिद्ध रहा हो और इसीसे ग्रन्थकारों द्वारा वह इसी नामसे विशेषरूप से लिखित हुआ हो।इसलिए प्राचीन ग्रन्थकारों ने आचार्य समन्तभद्र की प्रस्तुत कृति का ‘देवागम’ नाम से ही इसका उल्लेख किया है। अकलङ्कदेको इसपर अपना विवरण (अष्टशती-भाष्य) लिखने की प्रतिज्ञा करते हुए उसके आरम्भ में इसका यही नाम दिया है और उसे’भगवत्स्तव’ (भगवान् का स्तोत्र) कहा है।’
विषय परिचय : यह ग्रंथ११४ कारिकाओं से युक्त दस परिच्छेदोंमें विभक्त है । विषय विभाजन की दृष्टि से यह दश-संख्यक परिच्छेदों की परिकल्पना हमें आचार्य उमास्वामी विरचित तत्वार्थसूत्र के दस अध्यायों का स्मरण दिलाती है। अन्तर इतना ही है कि तत्वार्थसूत्र गद्यात्मक तथा सिद्धान्तशैलीमें रचित है और देवागम पद्यात्मक एवं दार्शनिक शैली में रचा गया है। उस समय दार्शनिक रचनाएँ, प्रायः कारिकात्मक स्तुतिरूप में रची जाती थी। अतः आचार्य समन्तभद्र ने भी समय की मांगके अनुरूप अपने तीन (स्वयम्भू, युक्त्यानुशासन और देवागम) स्तोत्र दार्शनिक एवं कारिकात्मक शैलीमें रचे है।
आचार्य समन्तभद्र ने इन एकान्तवादियों को जो वस्तु को सर्वथा एकरूप मान्यता के आग्रह में अनुरक्त हैं, वे एकान्त के पक्षपाती होने के कारण स्व-पर बैरी हैं। क्योंकि उनके मत में शुभ, अशुभ, कर्म, लोक, परलोक आदि की व्यवस्था नहीं बन सकती। क्योंकि वस्तु अनन्त धमर्मात्मक है। उसमें अनन्त धर्मगुणस्वरूप मौजूद हैं।एकान्तवादी उनमें से एक ही धर्म को मानता है। उसी का उन्हें पक्ष है, इसलिए उन्हें स्व-पर बैरी कहा गया है।
इस प्रकार अनेक युक्तियों के बाद वह सामान्य आप्तत्व अर्हत् परमेष्ठी में पर्यवसित किया गया है और कहा गया है कि चूंकि उनका शासन (तत्त्वप्ररूपण) सभी प्रमाणों के अविरुद्ध है, अतः वही आप्त प्रमाणित है।
वन्दित्वा परमार्हतां समुदयं गां सप्तभंगीविधिं। स्याद्वादामृतगर्भिणीं प्रतिहतैकान्तान्धकारोदयाम्।।१।
२.अष्टसहस्री—आचार्य विद्यानन्द (आठवीं शती) द्वारा देवागम पर लिखित ‘‘देवागमालंकृति’’ नामक यह विशाल व्याख्या है।उनकी यह एक अपूर्व एवं महत्त्वपूर्ण रचना है।इसे आप्तमीमांसालंकृति, आप्तमीमांसालङ्कार,देवागमालङ्का
श्रोतव्याष्टसहस्रीश्रुतैःकिमन्
विज्ञायेतययैव स्वसमय-परसमयसद्भावः।।
अर्थात् ‘हजार शास्त्रोंका पढ़ना-सुनना एक तरफ है और एकमात्र इस कृतिका अध्ययन एक ओर है, क्योंकि इस एक के अभ्यास से ही स्वसमय और परसमय दोनोंका ज्ञान हो जाता है।’
इस पर लघुसमन्तभद्र (१३वीं शती) ने ‘अष्टसहस्त्री-विषमपदतात्पर्
नत्वाश्रीमज्जिनाधीशंभव्यानां स्वात्मलब्धये।
देवागमस्तवस्येदं स्तबकार्थं करोम्यहम्।।
इस प्रति में टब्बाकार लेखक का नाम निर्देश आदि नहीं मिला अथवा मिट गया लगता है।
इन चार व्याख्याओं के अतिरिक्त अष्टसहस्री पर लघुसमन्तभद्र ने ‘‘अष्टसहस्री विषमपद तात्पर्य टीका’’ का उल्लेख मिलता है।एक अन्य टीका श्वेताम्बर परम्परा के महान् विद्वान् उपाध्याय यशोविजय (17वीं शती) ने ‘‘अष्टसहस्री-तात्पर्य विवरण’’नामक ऐसी अच्छी व्याख्या लिखी है, जो अष्टसहस्री के विषमपदों, वाक्यों और स्थलों का स्पष्टीकरण करती है और जो नव्यन्याय शैली में लिखी गयी है।
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प्रोफेसर फूलचंद जैन प्रेमी, अनेकांत विद्या भवन B,23/45 शारदानगर कालोनी, खोजवाँ, वाराणसी, 221010, मोबा. 9670863335,/9450179254
email : anekantjf@gmail.com
jainphoolchand48@gmail.com
एकल अभियान की तीन दिवसीय राष्ट्रीय खेलकूद प्रतियोगिता संपन्न
भुवनेश्वर। एकल अभियान की तीन दिवसीय राष्ट्रीय खेलकूद प्रतियोगिताः2025 10 फरवरी को स्थानीय कलिंग स्टेडियम में सुबह संपन्न हो गई। समारोह के मुख्य अतिथि के रुप में ओड़िशा के माननीय मुख्यमंत्री श्री मोहन चरण माझी,सम्मानित अतिथि के रुप में ओड़िय़ा प्रदेश सरकार के खेलमंत्री सूर्यवंशी सूरज,एकल अभियान के अजय अग्रवाल,डॉ ललन कुमार शर्मा,मनसुखलाल सेठिया,विभूति भुषण जेना,दीप कुमार और अनिल बंसल आदि मंचासीन थे। आयोजन समिति के अध्यक्ष उद्योगपति व रोटेरियन अजय अग्रवाल ने सभी मंचस्थ मेहमानों का संक्षिप्त परिचय देते हुए स्वागत किया। उन्होंने ओड़िशा की परिपाटी के तहत सबसे पहले ओडिशा के मुख्यमंत्री तथा खेलमंत्री का अभिवादन पुष्पगुच्छ,शॉल तथा स्मृतिचिह्न भेंटकर किया। मुख्यमंत्री श्री मोहन चरण माझी ने प्रदेश करकार की ओर से पूरे भारत से आयो सभी खिलाड़ियों,कोचेज,अधिकारियों तथा सहयोगियों का स्वागत ओड़िशा सरकार की ओर से किया।
उन्होंने एकल अभियान की उपलब्धियों पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्हें ओड़िशा में हर संभव सहयोग का भी अपनी सरकार की ओर से भरोसा जताया।साथ ही साथ ओड़िशा में ग्रामीण खेलों को सबसे अधिक बढ़ावा देने की अपनी सरकार की वचनवद्धता तथा भावी योजनाओं को दी जानकारी दी। खेलमंत्री ने भी अपने संबोधन में एकल अभियान के शिक्षा,स्वास्थ्य,खेल और राममय भारत की परिकल्पना को साकार करने में संलग्न विभिन्न कार्यों की सराहना की।राई गईं जिनमें कुश्ती,कबड्डी,दौड़,योगाभ्यास आदि थीं। ओड़िशा के सुंदरगढ़ की कबड्डी टीम को मुख्यमंत्री ने चैंपियन ट्रॉफी प्रदान की।
भाजपा ने मिल्किपुर का चुनाव जीतकर बड़ा संदेश दिया
जून 2024 के लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद सबसे अधिक चर्चा फैजाबाद संसदीय क्षेत्र में भाजपा की पराजय की हुई, जहाँ श्री रामजन्मभूमि पर दिव्य, भव्य राम मंदिर का हिन्दू समाज का 500 वर्ष पुराना सपना पूरा होने के बाद भी भारतीय जनता पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा। फैजाबाद जीत से विपक्ष का आत्मविश्वास इतना बढ़ गया कि इसके बाद हुई अपनी गुजरात रैली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने, भाजपा के राजनीति से विश्राम ले चुके वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी जी के राम मंदिर आंदोलन को ही हरा देने का दंभ भरा। लोकसभा में सपा सांसद अवधेश प्रसाद की तो मानो प्रदर्शनी लगा दी गई बड़बोले नेताओं ने उनको अयोध्या का रजा तक कह दिया।
फैजाबाद संसदीय सीट की हार और अवधेश प्रसाद को अयोध्या का राजा कहे जाने से सनातन समाज में दुःख, निराशा और क्षोभ था। मिल्कीपुर को सनातनी हिन्दुओं ने अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया था क्योंकि सनातनधर्मी प्रभु राम को ही अयोध्या का एकमात्र राजा मानते हैं । यहां पर यह बात ध्यान देने योग्य है कि जब से सपा मुखिया और कांग्रेस ने अवधेश प्रसाद को अयोध्या का राजा कहना आरम्भ किया तभी से इनकी राजनीति गड़बड़ाने लगी।अब तक प्रदेश में 11 विधानसभा उपचुनाव हो चुके हैं जिसमें भाजपा को आठ सीटों पर सफलता मिली है और प्रदेश में सपा ओैर कांग्रेस गठबंधन भी बिखर रहा है।
राजनैतिक दल के रूप में भाजपा ने मिल्कीपुर चुनाव जीतने के लिए बेहद आक्रामक रणनीति तैयार की और स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कई बार मिल्कीपुर का दौरा किया। जब योगी जी मिल्कीपुर जाते थे तब सपा सांसद का बयान आता था कि योगी जी जितनी बार मिल्कीपुर आयेंगे भाजपा का वोट प्रतिशत उतना ही घटेगा और सपा का उतना ही वोट प्रतिशत बढ़ता जायेगा जबकि परिणाम उसके विपरीत आये हैं । मिल्कीपुर की जनता के बता दिया है कि अयोध्या के एकमात्र राजा प्रभु राम ही है।
मिल्कीपुर की जनता ने विपक्ष के नकारात्मक विचारों के एजेंडे को नकारते हुए विकास और सुशासन का साथ दिया। मिल्कीपर की जनता को अच्छी तरह से समझ में आ गया कि स्थानीय विकास के लिए सत्तारूढ़ भाजपा का विधायक ही आवश्यक है । मिल्कीपुर की जनता ने सपा के परिवारवाद और जातिवाद को नकार दिया है। परिणाम से यह भी साफ हो गया है कि योगी का बटेंगे तो कटेंगे का नारा जातिवाद के विरुद्व हिंदुत्व की राजनीति को ताकत दे रहा है। इस विजय से भाजपा के लिए एकजुट हिंदुत्व की राजनीति के पथ पर आगे बढ़ना आसान हो गया है।
मिल्कीपुर सीट पर भाजपा को तीसरी बार जीत मिली है ।इससे पहले 1991 और 2017 में जीत मिली और अब 2025 में चंद्रभानु पासवान ने सपा के गढ़ में भगवा परचम लहराने में सफलता हासिल की है।मिल्कीपुर सीट का गठन 1967 में हुआ था और 1969 में तत्कालीन जनसंघ हरिनाथ तिवारी विधायक चुने गये थे।इसके बाद 1974 से 1989 तक यह विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी का अभेद्य किला बन गया।1991 में राम लहर में मथुरा प्रसाद तिवारी ने भाजपा से जीत दर्ज की फिर 2012 तक यहां पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 2017 में मोदी लहर में भाजपा के बाबा गोरखनाथ विजयी रहे। यह अलग बात है कि इसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा के अवधेश प्रसाद ने बाबा को पराजित किया। 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा ने अवधेश प्रसाद को अपना उम्मीदवार बनाया था और वह जीत गये। तभी से भाजपा पर लगातार दबाव बनता जा रहा था कि किसी न सिकी प्रकार से यह सीट हर हाल में जीतकर दिखानी है और योगी जी की टीम ने यह काम कर दिखाया है।
मिल्कीपुर चुनाव से पूर्व प्रयागराज महाकुम्भ -2025 में योगी कैबिनेट ने एक साथ गंगा में पवित्र डुबकी लगाकर मीडिया जगत और जनमानस में इस बात का संदेह पूरी तरह से दूर कर दिया कि योगी कैबिनेट व भाजपा में आपस में कोई मतभेद व मनभेद है। मिल्कीपुर विधानसभा चुनाव में भाजपा भदरसा दुष्कर्म कांड के बहाने सपा पर हमलावर रही। चुनावों के बीच ही वहां पर एक बालिका के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या का एक मामला सामने आया उसके बाद विपक्षी दलों ने भाजपा को घेरने का असफल प्रयास किया। इस घटना को लेकर सभी दलों के नेताओं ने सोशल मीडिया पोस्ट करके राजनीतिक तापमान को गरमाने का असफल प्रयास किया था किंतु आरोपियों के पकड़े जाते ही यह मामला अपने आप गायब हो गया। इस प्रकरण में अवधेश प्रसाद के आंसू भी निकले और खूब निकले यहां तक की मीडिया में बार- बार दिखाया भी गया, मतदान के दिन अवधेश प्रसाद ने एक वीडियो बनवाकर चलवाया जिसमें वह हनुमान चालीसा पढ़ रहे थे, किन्तु ऐसी कोई भी ट्रिक इस चुनाव में नहीं चली। मिल्कीपुर की जनता ने इस बार लोकसभा की गलती को ठीक करने का मन बना लिया था ।
मिल्कीपुर में अबकी बार संघ ने भी काम संभाला और मजबूत किलेबंदी के साथ हर बूथ पर संघ के पदाधिकारी मोर्चा पर डटे रहे। इसका असर मतदान के दिन दिखा भी। संघ ने मतदाता को मतदान केंद्र तक पहुंचाने में पर्याप्त श्रम किया। मिल्कीपुर जीत से भाजपा का विश्वास बढ़ा है, योगी जी की प्रतिष्ठा बढ़ी है और उनके नारे की लोकप्रियता भी बढ़ रही है। महाकुंभ- 2025 के समापन के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री येगी आदित्यनाथ जी का एक नया अवतार देखने को मिल सकता है। हिंदुत्व की राजनीति में काशी, मथुरा के साथ संभल का अध्याय भी जुड़ चुका है।
प्रेषक – मृत्युंजय दीक्षित
फोन नं.- 9198571540
भारत ने विभिन्न क्षेत्रों में प्राप्त की हैं असाधारण उपलब्धियां
भारत गौरव
भारत ने विभिन्न क्षेत्रों में प्राप्त की हैं असाधारण उपलब्धियां
प्रहलाद सबनानी
दिनांक 31 जनवरी 2025 को देश की राष्ट्रपति आदरणीया श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने लोक सभा एवं राज्य सभा के संयुक्त अधिवेशन को अपने सम्बोधन में, हाल ही के समय में, भारत में विभिन्न क्षेत्रों में प्राप्त की गई उपलब्धियों के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा है कि “भारत की विकास यात्रा के इस अमृतकाल को आज मेरी (केंद्र) सरकार अभूतपूर्व उपलब्धियों के माध्यम से नई ऊर्जा दे रही है। तीसरे कार्यकाल में तीन गुना तेज गति से काम हो रहा है। आज देश बड़े निर्णयों और नीतियों को असाधारण गति से लागू होते देख रहा है। और, इन निर्णयों में देश के गरीब, मध्यम वर्ग, युवा, महिलाओं, किसानों को सर्वोच्च प्राथमिकता मिली है।” आदरणीया श्रीमती द्रौपदी मुर्मू द्वारा दिए गए उक्त भाषण में अंशों को जोड़कर इस लेख में यह बताने का प्रयास किया गया है कि किस प्रकार भारत में गरीब वर्ग, युवाओं, मातृशक्ति, किसानों, आदि के लिए विभिन्न योजनाएं सफलतापूर्वक चलाई जा रही हैं।
आज आम नागरिकों की मूलभूत आवश्यकताओं रोटी, कपड़ा और मकान के साथ साथ स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। समस्त परिवारों को आवास सुविधा उपलब्ध कराने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना का विस्तार करते हुए तीन करोड़ अतिरिक्त परिवारों को नए घर देने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए 5 लाख 36 हजार करोड़ रुपए की राशि का खर्च किए जाने की योजना है। इसी प्रकार, गांव में गरीबों को उनकी आवासीय भूमि का हक देने के उद्देश्य से स्वामित्व योजना के अंतर्गत अभी तक 2 करोड़ 25 लाख सम्पत्ति कार्ड जारी किए जा चुके हैं। साथ ही, पीएम किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत लगभग 11 करोड़ किसानों को पिछले कुछ महीनों में 41,000 करोड़ रुपए की राशि का भुगतान किया गया है। जनजातीय समाज के पांच करोड़ नागरिकों के लिए “धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष” अभियान प्रारंभ हुआ है। इसके लिए अस्सी हजार करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है। आज मध्यम वर्ग को मकान/फ्लैट खरीदने के लिए लोन पर सब्सिडी भी दी जा रही है एवं रेरा जैसा कानून बनाकर मध्यम वर्ग के स्वयं के मकान सम्बंधी सपने को सुरक्षा दी गई है।
देश के नागरिकों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराए जाने के उद्देश्य से आयुषमान भारत योजना चलाई जा रही है। अब इस योजना के अंतर्गत 70 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 6 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों को स्वास्थ्य बीमा देने का निर्णय लिया गया है। इन वरिष्ठ नागरिकों को प्रत्येक वर्ष में पांच लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराया जाएगा।
केंद्र सरकार द्वारा आज युवाओं की शिक्षा और उनके लिए रोजगार के नए अवसर तैयार करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मेधावी छात्रों को उच्च शिक्षा में वित्तीय सहायता देने के लिए पीएम विद्यालक्ष्मी योजना शुरू की गई है। एक करोड़ युवाओं को शीर्ष पांच सौ कंपनियों में इंटर्नशिप के अवसर भी दिये जाएंगे। पेपर लीक की घटनाओं को रोकने और भर्ती में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए नया कानून लागू किया गया है।सहकार से समृद्धि की भावना पर चलते हुए सरकार ने ‘त्रिभुवन’ सहकारी यूनिवर्सिटी की स्थापना का प्रस्ताव स्वीकृत किया है।
जब देश के विकास का लाभ अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को भी मिलने लगता है तभी विकास सार्थक होता है। गरीब को गरिमापूर्ण जीवन मिलने से उसमें जो सशक्तिकरण का भाव पैदा होता है, वो गरीबी से लड़ने में उसकी मदद करता है। स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत बने 12 करोड़ शौचालय, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत निशुल्क दिए गए 10 करोड़ गैस कनेक्शन, 80 करोड़ जरूरतमंदों को राशन, सौभाग्य योजना, जल जीवन मिशन जैसी अनेक योजनाओं ने गरीब को ये भरोसा दिया है कि वो सम्मान के साथ जी सकते हैं। ऐसे ही प्रयासों की वजह से देश के 25 करोड़ लोग गरीबी को परास्त करके आज अपने जीवन में आगे बढ़ रहे हैं। इन्होंने नियो मिडिल क्लास का एक ऐसा समूह तैयार किया है, जो भारत की ग्रोथ को नई ऊर्जा से भर रहा है।
उड़ान योजना ने लगभग डेढ़ करोड़ लोगों का हवाई जहाज में उड़ने का सपना पूरा किया है। जन औषधि केंद्र में 80 प्रतिशत रियायती दरों पर मिल रही दवाओं से, देशवासियों के 30 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा बचे हैं। हर विषय की पढ़ाई के लिए सीटों की संख्या में कई गुना बढ़ोतरी का बहुत लाभ मध्यम वर्ग को मिला है।
केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के चौथे चरण में पच्चीस हजार बस्तियों को जोड़ने के लिए 70,000 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की हैं। आज जब हमारा देश अटल जी की जन्म शताब्दी का वर्ष मना रहा है, तब प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना उनके विजन का पर्याय बनी हुई है। देश में अब 71 वंदे भारत, अमृत भारत और नमो भारत ट्रेन चल रही हैं, जिनमें पिछले छह माह में ही 17 नई वंदे भारत और एक नमो भारत ट्रेन को जोड़ा गया है।
आगे आने वाले समय में देश के आर्थिक विकास में देश की आधी आबादी अर्थात मातृशक्ति के योगदान को बढ़ाना ही होगा। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 91 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूहों को सशक्त किया जा रहा है। देश की दस करोड़ से भी अधिक महिलाओं को इसके साथ जोड़ा गया है। इन्हें कुल नौ लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि बैंक लिंकेज के माध्यम से वितरित की गई है। केंद्र सरकार ने देश में तीन करोड़ लखपति दीदी बनाने लक्ष्य निर्धारित किया है। आज एक करोड़ 15 लाख से भी अधिक लखपति दीदी एक गरिमामय जीवन जी रही हैं। इनमें से लगभग 50 लाख लखपति दीदी, बीते 6 महीने में बनी हैं। ये महिलाएं एक उद्यमी के रूप में अपने परिवार की आय में योगदान दे रही हैं। भारत में सभी के लिए बीमा की भावना के साथ कुछ महीने पूर्व ही बीमा सखी अभियान भी शुरू किया गया है। बैंकिंग और डिजी पेमेंट सखियां दूर दराज के इलाकों में लोगों को वित्तीय व्यवस्था से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। कृषि सखियां नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा दे रही हैं और पशु सखियों के माध्यम से देश का पशुधन मजबूत हो रहा है। आज भारत में बड़ी संख्या में महिलाएं लड़ाकू विमान उड़ा रही हैं, पुलिस में भर्ती हो रही हैं और कॉरपोरेट कंपनियों का नेतृत्व भी कर रही हैं। आज बालिकाओं की भर्ती राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूलों में भी प्रारंभ हो गई है। नेशनल डिफेंस अकैडमी में भी महिला कैडेट्स की भर्ती शुरू हो गई है।
पिछले एक दशक में मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत, स्टार्टअप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसी पहल ने युवाओं को रोजगार के अनेक अवसर प्रदान किए हैं। पिछले दो वर्षों में सरकार ने, रिकॉर्ड संख्या में दस लाख स्थायी सरकारी नौकरियां प्रदान की हैं। युवाओं के बेहतर कौशल और नए अवसरों के सृजन के लिए दो लाख करोड़ रुपए का पैकेज केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत किया गया है। एक करोड़ युवाओं के लिए इंटर्नशिप की व्यवस्था से युवाओं को ग्राउंड पर काम करने का अनुभव प्राप्त होगा। आज भारत में डेढ़ लाख से अधिक स्टार्टअप हैं जो इनोवेशन के स्तंभ के रूप में उभर रहे हैं। एक हजार करोड़ रुपए की लागत से स्पेस सेक्टर में वेंचर कैपिटल फंड की शुरुआत भी की गई है। आज भारत क्यूएस वर्ल्ड फ्यूचर स्किल इंडेक्स 2025 में पूरे विश्व में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। अर्थात, फ्यूचर ऑफ वर्क श्रेणी में AI और डिजिटल तकनीक अपनाने में भारत दुनिया को रास्ता दिखा रहा है। ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में भी भारत की रैंकिंग 76 से सुधर कर 39 हो गई है। यह सब भारतीय युवाओं के भरोसे ही सम्भव हो पा रहा है।
देश में आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से विद्यार्थियों के लिए आधुनिक शिक्षा व्यवस्था तैयार की जा रही है। कोई भी शिक्षा से वंचित ना रहे, इसीलिए मातृभाषा में शिक्षा के अवसर दिये जा रहे हैं। विभिन्न भर्ती परीक्षाएं तेरह भारतीय भाषाओं में आयोजित कर, भाषा संबंधी बाधाओं को भी दूर किया गया है। बच्चों में इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए दस हजार से अधिक स्कूलों में अटल टिंकरिंग लैब्स खोली गई हैं। “ईज ऑफ डूइंग रिसर्च” के लिए हाल ही में वन नेशन-वन सब्सक्रिप्शन स्कीम लायी गई है। इससे अंतरराष्ट्रीय शोध की सामग्री निशुल्क उपलब्ध हो सकेगी। पिछले एक दशक में भारत में उच्च शिक्षण संस्थाओं की संख्या बढ़ी है। इनकी गुणवत्ता में भी व्यापक सुधार हुआ है। क्यूएस विश्व यूनिवर्सिटी – एशिया रैंकिंग में भारत के 163 विश्वविद्यालय शामिल हुए हैं। नालंदा विश्वविद्यालय के नये कैंपस का शुभारंभ कर शिक्षा में, भारत का पुराना गौरव वापस लाया गया है।
विकसित भारत के निर्माण में किसान, जवान और विज्ञान के साथ ही अनुसंधान का बहुत बड़ा महत्व है। भारत को भारत को ग्लोबल इनोवेशन पावरहाउस बनाने के लक्ष्य निर्धारित किया गया है। देश के शिक्षण संस्थाओं में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए पचास हजार करोड़ रुपए की लागत से अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउन्डेशन स्थापित किया गया है। 10,000 करोड़ रुपए की लागत से “विज्ञानधारा योजना” के तहत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में इनोवेशन को बढ़ावा दिया जा रहा है। आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में भारत के योगदान को आगे बढ़ाते हुए “इंडिया ए आई मिशन” प्रारम्भ किया गया है। राष्ट्रीय क्वांटम मिशन से भारत, इस फ्रंटियर टेक्नॉलाजी में दुनिया के अग्रणी देशों की पंक्ति में स्थान बना सकेगा। देश में “बायो – मैन्यूफैक्चरिंग” को बढ़ावा देने के उद्देश्य से BioE3 Policy लायी गई है। यह पॉलिसी भविष्य की औद्योगिक क्रांति का सूत्रधार होगी। बायो इकॉनामी का उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों का कुशल उपयोग करना है जिससे पर्यावरण को संरक्षित करते हुए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
भारत के छोटे व्यापारी गांव से लेकर शहरों तक, हर जगह आर्थिक प्रगति को गति देते हैं। केंद्र सरकार छोटे उद्यमियों को अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानते हुए उन्हें स्वरोजगार के नए अवसर दे रही है। MSME के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम और ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट हब्स सभी प्रकार के उद्योगों को बढ़ावा दे रहे हैं। मुद्रा ऋण की सीमा को दस लाख रुपए से बढ़ाकर बीस लाख रुपए करने का लाभ करोड़ों छोटे उद्यमियों को हुआ है। केंद्र सरकार ने क्रेडिट एक्सेस को आसान बनाया है। इससे वित्तीय सेवाओं को लोकतांत्रिक बनाया जा सका है। आज लोन, क्रेडिट कार्ड, बीमा जैसे प्रोडक्ट, सबके लिए आसानी से सुलभ हो रहे हैं। दशकों तक भारत के रेहड़ी-पटरी पर दुकान लगाकर आजीविका चलाने वाले भाई-बहन बैंकिंग व्यवस्था से बाहर रहे। आज उन्हें पीएम स्वनिधि योजना का लाभ मिल रहा है। डिजिटल ट्रांजेक्शन रिकॉर्ड के आधार पर उनको बिजनेस बढ़ाने के लिए और लोन मिलता है। ओएनडीसी की व्यवस्था ने डिजिटल कॉमर्स यानी ऑनलाइन शॉपिंग की व्यवस्था को समावेशी बनाया है। आज देश में छोटे बिजनेस को भी आगे बढ़ने का समान अवसर मिल रहा है।