Tuesday, November 26, 2024
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फिल्मी दुनिया की पोल खोलने वाले स्टार डस्ट के संपादक नारी हीरा नहीं रहे

चर्चित फिल्म ‘स्कैंडल’ समेत कई फीचर फिल्मों के निर्माता और प्रसिद्ध फिल्म पत्रिका ‘स्टारडस्ट’ के प्रकाशक नारी हीरा का मुंबई में निधन हो गया। 26 जनवरी 1938 को जन्मे नारी हीरा ने 86 साल की उम्र में शुक्रवार को अंतिम सांस ली।

नारी हीरा को सीधे डीवीडी पर फिल्में रिलीज करने के चलन को प्रचलित करने के लिए भी फिल्म इंडस्ट्री में खास पहचान मिली थी। उन्होंने अपने बैनर ‘हिबा फिल्म्स’ के तहत एक दर्जन से अधिक फिल्मों का निर्माण किया, जिन्हें सीधे वीडियो पर रिलीज किया गया।

उनका अंतिम संस्कार शनिवार को दोपहर में वर्ली के बाणगंगा श्मशान घाट पर किया  गया।

1938 में कराची में जन्मे नारी हीरा का परिवार 1947 में विभाजन के बाद मुंबई आ गया। उन्होंने 1960 के दशक में पत्रकार के रूप में अपना करियर शुरू किया, लेकिन बाद में प्रकाशन में कदम रखा। उनकी पत्रिका ‘स्टारडस्ट’ बॉलीवुड के विवादों, सनसनीखेज कहानियों और गॉसिप के लिए जानी जाती थी, जिससे उन्हें बड़ी सफलता मिली।

‘स्टारडस्ट’ पत्रिका की विवादित सामग्री के कारण नारी हीरा को कानूनी मुश्किलों का भी सामना करना पड़ा। पत्रिका पर कई मशहूर हस्तियों जैसे अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान और सलमान खान ने मानहानि के मुकदमे दर्ज किए। पत्रिका पर मशहूर हस्तियों की निजता का उल्लंघन करने के आरोप भी लगे, जिसके चलते उसे कई बार आलोचना का सामना करना पड़ा।

बांग्लादेश की उथल-पुथल और सैंट मार्टिन द्वीप पर गिध्दों की निगाहें

बांग्लादेश में शेख़ हसीना सरकार के पतन के बाद सेंट मार्टिन द्वीप को लेकर नई चिंताएं उत्पन्न हुई हैं. कहा जा रहा है कि इस द्वीप पर अमेरिका की रुचि है. अमेरिका की संभावित भागीदारी की अटकलों ने नए क्षेत्रीय संघर्ष की आशंकाओं को जन्म दिया है .

बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना की सरकार के पतन के बाद आ रही ख़बरों में कहा गया कि उन्हें सत्ता से हटाने के पीछे विदेशी हाथ है. हालांकि शेख़ हसीना ने ये बात आधिकारिक तौर पर यानी ऑन रिकॉर्ड नहीं कही है, लेकिन माना जा रहा है कि ये उनका ही बयान है. हो सकता है शायद ये गलत हो. चूंकि शेख़ हसीना को 5 अगस्त को अपने देश से भागने पर मज़बूर होना पड़ा, इसलिए उनके इस कथित बयान की अहमियत और ज़्यादा बढ़ गई है. इसमें पूर्व प्रधानमंत्री को स्पष्ट रूप से ये स्वीकार करते हुए दिखाया गया है कि “वो सत्ता में बनी रह सकतीं थीं अगर उन्होंने बांग्लादेश के सेंट मार्टिन द्वीप पर नियंत्रण सौंपने की अमेरिका की मांगों को स्वीकार कर लिया होता”. हालांकि शेख़ हसीना के बेटे सजीब वाज़िद जॉय ने अपनी मां द्वारा दिए गए ऐसे किसी भी बयान की संभावना को खारिज़ किया है, लेकिन सजीब खुद पहले इशारों-इशारों में इस तरह के आरोप लगा चुके हैं.

शेख़ हसीना ने मई 2024 में दावा किया कि “एक श्वेत व्यक्ति ने उन्हें ये पेशकश दी थी कि अगर वो बांग्लादेश के क्षेत्र में सैनिक हवाई अड्डा बनाने की मंजूरी देती हैं तो 7 जनवरी हो होने वाले आम चुनाव में वो बिना किसी परेशानी को दोबारा उनकी सरकार बनवा देंगे”.

शेख़ हसीना ने मई 2024 में दावा किया कि “एक श्वेत व्यक्ति ने उन्हें ये पेशकश दी थी कि अगर वो बांग्लादेश के क्षेत्र में सैनिक हवाई अड्डा बनाने की मंजूरी देती हैं तो 7 जनवरी हो होने वाले आम चुनाव में वो बिना किसी परेशानी को दोबारा उनकी सरकार बनवा देंगे”. शेख़ हसीना ने आगे कहा कि “यहां कोई विवाद नहीं है, कोई संघर्ष नहीं है लेकिन मैं ऐसा नहीं होने दूंगी. ये भी शायद मेरा एक अपराध है”. हालांकि, शेख़ हसीना ने किसी का नाम नहीं लिया लेकिन ये स्पष्ट है कि सेंट मार्टिन द्वीप में अमेरिका की रुचि थी. 2023 में भी ये अफ़वाह सामने आई थी कि अमेरिका ने अवामी लीग सरकार का समर्थन करने के बदले इस द्वीप की मांग की थी.

सेंट मार्टिन द्वीप का सामरिक महत्व
सेंट मार्टिन द्वीप खाड़ी के उत्तरपूर्वी भाग में स्थित है. ये द्वीप बांग्लादेश में कॉक्स बाजार के टेकनाफ़ तट से करीब 9 किमी दक्षिण में और उत्तर-पश्चिमी म्यांमार से 8 किमी पश्चिम में है. (चित्र 1). ये द्वीप बंगाल की खाड़ी में निगरानी की दृष्टि से आदर्श जगह पर है. बंगाल की खाड़ी में निगरानी रखना अमेरिका के लिए इसलिए भी ज़रूरी हो गया है क्योंकि हाल के वर्षों में चीन ने हिंद महासागर क्षेत्र में आक्रामक नीति अपनाते हुए महत्वपूर्ण बढ़त हासिल की है.

चीन खाड़ी के तटीय देशों में अपना निवेश लगातार बढ़ा रहा है. चीन का मक़सद ये है कि बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के तहत वो खाड़ी के इन तटीय देशों में अपनी स्थिति मज़बूत करे. हाल ही में इसे लेकर एक अहम घटनाक्रम हुआ था. चीन ने बांग्लादेश में पहला पनडुब्बी बेस बनाने में मदद की थी. बीएनएस शेख़ हसीना नाम का ये पनडुब्बी बेस कॉक्स बाजार के तट पर बन रहा है. 2023 में इसका उद्घाटन हुआ और इसने बंगाल की खाड़ी में चीन की पनडुब्बियों के संचालन की संभावना को खोल दिया.
 2023 में ही इस तरह की रिपोर्ट्स सामने आईं थीं कि चीन ने म्यांमार के कोको द्वीप पर मलक्का जलसंधि के पास ख़ुफिया सुविधाएं बनाने की मंजूरी हासिल की है. चीन के लिए ये एक महत्वपूर्ण चोकपॉइंट है क्योंकि उसके ऊर्जा आयात का लगभग 80 प्रतिशत यहीं से होकर गुज़रता है. खाड़ी में चीन की बढ़ती उपस्थिति व्यापक हिंद महासागर क्षेत्र और भारत-प्रशांत में उसकी विस्तारित समुद्री भूमिका के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. एक तरह से ये आधार रेखा है. इस क्षेत्र में चीन का मज़बूत होना भारत-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी हितों के ख़िलाफ है. अमेरिका इस क्षेत्र में चीन के प्रभाव को सीमित करना चाहता है.

चीन जिस तरह हिंद महासागर क्षेत्र में अपना विस्तार कर रहे है, उसे देखते हुए लगता है कि अगले दशक में चीन इस क्षेत्र में महान शक्ति बन सकता है. संख्या के लिहाज़ से देखें तो समुद्री जहाज बनाने के मामले में चीन पहले ही अमेरिका से आगे निकल गया है. यानी समुद्री शक्ति के मामलों में अमेरिका और चीन में जो अंतर था, वो कम होता जा रहा है. अमेरिका और चीन के बीच प्रभुत्व की इस होड़ में जैसे-जैसे प्रशांत क्षेत्र में शक्ति केंद्रित हो रही है, वैसे-वैसे इसके हिंद महासागर क्षेत्र में फैलने की भी संभावना है. म्यांमार और बांग्लादेश में अपनी रणनीतिक उपस्थिति को मज़बूत करने के साथ ही चीन को मलक्का जलसंधि और बंगाल की खाड़ी के आसपास भी बढ़त मिली हुई है.

जापान के योकोसुका में अमेरिकी नौसेना के सेवेंथ फ्लीट की मौजूदगी की वजह से तुलनात्मक रूप से अमेरिका की स्थिति भी इस क्षेत्र में मज़बूत है लेकिन अमेरिका चाहता है कि बंगाल की खाड़ी के आसपास भी उसका एक सैनिक अड्डा हो, जहां वो आपातकालीन परिस्थिति उत्पन्न होने पर तुरंत प्रतिक्रिया दे सके और ख़ुफिया जानकारी इकट्ठा करने में भी सुविधा हो. हिंद महासागर से अमेरिका की भौगोलिक दूरी बहुत ज़्यादा है. यहां से अमेरिका का सबसे करीबी सैनिक अड्डा डिएगो गार्सिया में है, जो बहुत दूर है.
ऐसे में हिंद महासागर के पास एक मिलिट्री बेस अमेरिका के लिए रणनीतिक रूप से बहुत ज़रूरी है. इस हिसाब से देखें तो सेंट मार्टिन द्वीप इंडो-पैसेफिक क्षेत्र में अमेरिका की सामरिक स्थिति मज़बूत करने के लिए आदर्श जगह है. इसके अलावा अमेरिका की भारत-प्रशांत रणनीति, विशेष रूप से हिंद महासागर में, व्यापार-तकनीक-सुरक्षा दृष्टिकोण की प्रमुखता दी गई है. वरीयता के इस क्रम में अमेरिका ने प्रशांत क्षेत्र के लिए क्लासिक भू-राजनीति को छोड़ दिया है.
अगर अमेरिका वास्तव में बंगाल की खाड़ी में अपनी उपस्थिति मज़बूत करना चाहता है तो वो ऊपर बताए गए तीन घटकों में से सुरक्षा घटक को संतुलित कर सकता है. हालांकि, शीत युद्ध के बाद से हिंद महासागर क्षेत्र ने पारंपरिक रूप से एक अलग तरह से महान शक्ति की भूमिका निभाई है. 1970 के दशक में क्षेत्रीय धारणा के मंथन के बाद ‘शांति क्षेत्र’ का संकल्प सामने आने के बाद ऐसा संभव हुआ.

अमेरिका और चीन के बीच प्रभुत्व की इस होड़ में जैसे-जैसे प्रशांत क्षेत्र में शक्ति केंद्रित हो रही है, वैसे-वैसे इसके हिंद महासागर क्षेत्र में फैलने की भी संभावना है.

शीत युद्ध के बाद जैसे-जैसे बहुपक्षवाद का युग शुरू हुआ, अमेरिका ने हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा का बोझ साझा करने का दृष्टिकोण अपनाया. इससे सुरक्षा की जिम्मेदारी स्थानांतरित हो गई और क्षेत्रीय भागीदार इसका नेतृत्व करने लगे. भारत ने इस क्षेत्रीय रणनीति में एक नई भूमिका ग्रहण की, जो अमेरिका के साथ मज़बूत द्विपक्षीय संबंधों की वज़ह से और सशक्त हुई. हालांकि सार्क (साउथ एशियन एसोसिएशन ऑफ रीज़नल कोऑपपेशन) के नेतृत्व में क्षेत्रवाद की विफलता ने द्विपक्षीय और लघुपक्षीय तंत्र को मज़बूत करने के दरवाज़े खोल दिए. भारत-प्रशांत क्षेत्र में क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए क्वाड का दृष्टिकोण इस विकास का हिस्सा है.

इसका नतीजा ये हुआ कि अमेरिका समेत दूसरी बड़ी शक्तियों ने हिंद महासागर क्षेत्र में दादागीरी वाली भूमिका निभाने से परहेज किया क्योंकि इस क्षेत्र के देशों में अस्थिरता और आम सहमति की कमी है. ऐसे में सेंट मार्टिन द्वीप अमेरिका को एक रणनीतिक निरंतरता-पांचवें फ्लीट-डिएगो गार्सिया-सेंट बनाने के लिए एक आदर्श स्थान प्रदान करेगा. हालांकि इस बात की संभावना कम है कि अमेरिका बंगाल की खाड़ी में एक नई सुविधा स्थापित करने में निवेश करेगा. अगर नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी यानी डोनाल्ड ट्रंप जीतते हैं तो इसकी संभावना और भी कम हो जाएगी. ट्रंप पहले ही कह चुके हैं कि वो अमेरिकी सेना को बाहरी देशों में उलझाने और उस पर खर्च करने के इच्छुक नहीं हैं.

 राजनीतिक मंथन के बीच सुरक्षा सुनिश्चित करना
अगर सेंट मार्टिन द्वीप पर अमेरिकी की रूचि की कथित आरोपों से परे जाकर देखें तो ये द्वीप हमेशा विवाद का केंद्र रहा है. ऐतिहासिक रूप से बांग्लादेशी मछुआरों पर म्यांमार की नौसेना द्वारा अक्सर समुद्री सीमा के उल्लंघन का आरोप लगाया जाता था. ये एक ऐसा मुद्दा था जिसका समाधान 2012 में समुद्र के कानून के लिए अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकरण (आईटीएलओएस) द्वारा निकाला गया.

हाल ही में म्यांमार में एक विद्रोही समूह अराकान सेना ने इस द्वीप पर अपना दावा किया. अराकन सेना के लोग म्यांमार की जुंटा सरकार  द्वारा की गई कार्रवाई के बाद भागकर सेंट मार्टिन द्वीप में जाना चाहते थे. हालांकि बांग्लादेश ने आधिकारिक तौर पर उसके दावे को खारिज़ कर दिया, फिर भी उसने अपने युद्धपोतों को इस द्वीप के आसपास तैनात किया. एक रणनीतिक संपत्ति के रूप में सेंट मार्टिन द्वीप बांग्लादेश को मूल्यवान संसाधन, व्यापार के अवसर और महत्वपूर्ण पर्यटन क्षमता प्रदान करता है. इसलिये, सेंट मार्टिन क्षेत्र में उथल-पुथल की मौजूदा स्थिति, शक्ति संतुलन में बदलाव और जटिल भू-राजनीति परिस्थितियों को देखते हुए सेंट मार्टिन द्वीप की सुरक्षा करना बांग्लादेश सरकार के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा, फिर चाहे सरकार किसी की भी हो.

सेंट मार्टिन क्षेत्र में उथल-पुथल की मौजूदा स्थिति, शक्ति संतुलन में बदलाव और जटिल भू-राजनीति परिस्थितियों को देखते हुए सेंट मार्टिन द्वीप की सुरक्षा करना बांग्लादेश सरकार के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा, फिर चाहे सरकार किसी की भी हो.

घरेलू राजनीतिक समस्याओं के लिए ‘विदेशी हाथ’ को ज़िम्मेदार ठहराना राजनीतिक कूटनीति का पुराना तरीका है. खासकर शीत युद्ध के समय ‘विदेशी हाथ’ के बहाने का काफी इस्तेमाल किया जाता था. फिलहाल बांग्लादेश की अंतरिम सरकार देश में सामान्य स्थिति बहाल करने की कोशिश कर रही है. ऐसे में उसे आर्थिक और शासन के असली मुद्दों का समाधान करने की ज़रूरत है, जिन्होंने छात्रों के आंदोलन को एक जन आंदोलन में बदल दिया और जिसकी वजह से पंद्रह साल पुरानी शेख़ हसीना सरकार का पतन हुआ.

साभार- https://www.orfonline.org/hindi/ से

सोहिनी बोस और विवेक मिश्रा

गणित का 161 साल पुराना रहस्य जिसे सुलझाने का दावा किया है एक भारतीय डॉ कुमार ईश्वरन ने

डॉ कुमार ईश्वरन ने पहली बार 2016 में रीमन हाइपोथिसिस के बारे में अपना समाधान प्रकाशित किया था. लेकिन उन्हें इस लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं ही मिली. दूसरी ओर इस गणितीय पहेली का अंतिम समाधान निकालने वाले व्यक्ति को एक मिलियन अमेरीकी डॉलर का इनाम मिलेगा.

हैदराबाद: प्रसिद्ध अमेरिकी गणितज्ञ जॉन नैश के जीवन पर आधारित एक बायोपिक ‘ए ब्यूटीफुल माइंड ‘ में नायक यह कहता दिखता है कि वह गणित के सबसे बड़े रहस्य: द रीमन हाइपोथिसिस को सुलझाने की दिशा में वो आगे बढ़ रहा है.

इस अमेरिकी दिग्गज गणितज्ञ की तरह, कई अन्य महान गणितीय दिमागों ने भी इस ‘बड़ी पहेली’ को हल करने के लिए एक शताब्दी से भी अधिक समय तक अनेकों प्रयास किये हैं और हाल के वर्षों में इसका अंतिम समाधान निकालने वाले के लिए एक मिलियन अमेरिकी डॉलर के पुरस्कार की घोषणा के बाद इन प्रयासों को और बल मिला है.

अब, हाइपोथिसिस को पेश किये जाने के 161 साल बाद, हैदराबाद के सैद्धांतिक (थ्योरीटिकल फिजिसिस्ट) भौतिक विज्ञानी डॉ कुमार ईश्वरन का कहना है कि उनके पास इस अनसुलझी समस्या को हल करने का महत्वपूर्ण सबूत है और इस दावे ने दुनिया भर के गणितज्ञों और भौतिकविदों को चकित कर दिया है.

यह हाइपोथिसिस इस बारे में भविष्यवाणी करती है कि एक संख्यात्मक स्पेक्ट्रम के साथ अभाज्य संख्याओं (प्राइम नंबर्स) को कैसे खोजा जाये. लेकिन अभी तक यह सिर्फ एक कयास ही बना हुआ है.

साल 2000 में इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड स्थित क्ले मैथमैटिक्स इंस्टीट्यूट (सीएमआई) ने इसे एक ‘मिलेनियम प्रॉब्लम‘ (सहस्त्राब्दी की समस्या) के रूप में नामित किया और इस हाइपोथिसिस को साबित करने वाले किसी भी व्यक्ति को $1 मिलियन का इनाम देने की घोषणा की.

हैदराबाद के श्रीनिधि इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के 74 वर्षीय प्रोफेसर ईश्वरन कहते हैं कि उन्होंने इस समस्या पर कड़ी मेहनत की है जो अक्सर दिन में 18 घंटे से भी अधिक हो जाती थी. इस भौतिक विज्ञानी ने दिप्रिंट को बताया, ‘मैंने पिछले 50 वर्षों में इस क्षेत्र में जो बहुत सी चीजें सीखी हैं वो भी काम में आयी.’

ईश्वरन कहते हैं कि उन्होंने इसे पहली बार 2016 में ही हल कर लिया था और अपना काम ऑनलाइन प्रकाशित भी किया. उनके काम का अंतिम संस्करण तीन साल बाद पोस्ट किया गया था.

हालांकि, प्रोफेसर के ‘समाधान’ के बारे में पीर रिव्यू कुछ अस्पष्ट रही है- कुछ ने इसे ‘ह्युरिस्टिक’ (अनुमान आधारित) कहा है, जबकि अन्य ने कहा कि यह ‘काफी विस्तृत’ था.

आखिर क्यों सुर्खियों में हैं डॉ ईश्वरन?
डॉ ईश्वरन के निर्णायक अथवा अंतिम कार्य को 2019 में रिसर्चगेट पर प्रकाशित हुए दो साल बीत चुके हैं.

सीएमआई के नियमों के अनुसार, ‘प्रस्तावित समाधान’ एक ‘क्वालिफाइंग आउटलेट’ (यहां इसका अर्थ मान्यता प्राप्त प्रकाशन से है) में प्रकाशित होना चाहिए और इसके ‘प्रकाशन के बाद से कम से कम दो साल का समय बीत जाना चाहिए..’

नियम यह भी कहते हैं कि प्रस्तावित समाधान को वैश्विक गणित समुदाय में सामान्य रूप से स्वीकृति प्राप्त होनी चाहिए.

ईश्वरन के फॉर्मूले को मान्यता दिलवाने के प्रयासों के एक हिस्से के रूप में एक विशेषज्ञ समिति ने लगभग 1,200 वैश्विक गणितज्ञों को ईश्वरन के काम की ‘खुली समीक्षा’ करने के लिए आमंत्रित किया. भौतिक विज्ञानी ईश्वरन ने दिप्रिंट को बताया कि उनमें से सिर्फ चार के जवाब मिले.

उनमें से 85 वर्षीय पोलिश गणितज्ञ व्लादिस्लाव नारकिविज़ भी थे, जिन्होंने ईश्वरन के साथ मेल पर एक संक्षिप्त चर्चा के बाद कहा कि उनके तर्क की प्रकृति ‘अनुमान आधारित’ (‘ह्युरिस्टिक’) थी, ईश्वरन ने बताया कि नारकिविज़ उनके काम से न तो पूरी तरह सहमत थे और न ही पूरी तरह असहमत.

उन्होंने आगे कहा, ‘फिर भी, मैं वास्तव में उनका इस बात के लिए आभारी हूं कि उन्होंने मेरे काम की समीक्षा करने की जहमत उठाई. यह गणित के प्रति उनके अपार प्रेम को प्रदर्शित करता है.’

हालांकि मद्रास विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर एम. सीतारमन, ईश्वरन के काम की काफी प्रशंसा करते हैं. उन्होंने कहा कि अब इस समाधान को सिद्ध माना जाना चाहिए क्योंकि यह ‘विस्तृत, स्पष्ट और विश्लेषणात्मक रूप से समझाया गया’ है.

ईश्वरन इस बात से भी खुश हैं कि जुलाई के पहले सप्ताह में उनके काम के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है और यह लेख रिसर्चगेट पर 22,000 बार पढ़ा गया है.

हालांकि, सीएमआई ने दावा किया है कि यह हाइपोथिसिस ‘अभी भी अप्रमाणित है और यह अभी भी सबके लिए खुली हुई है’.

सीएमआई के अध्यक्ष मार्टिन ब्रिडसन ने दिप्रिंट को बताया कि भौतिक विज्ञानी ईश्वरन का पेपर कई गंभीर जर्नल्स (पत्रिकाओं) द्वारा खारिज कर दिया गया था.

इस पर ईश्वरन ने जवाब दिया, ‘मैं चर्चा के लिए बिल्कुल तैयार हूं और मैं आपको बता सकता हूं कि मुझे वास्तव में पूरा विश्वास है कि मेरा काम रीमन हाइपोथिसिस को साबित करता है.’

ईश्वरन अपने प्रमाण को ‘सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी का प्रमाण’ मानते हैं. वे कहते हैं, ‘यह विशुद्ध रूप से संख्या सिद्धांत (नंबर थ्योरी) पर ही आधारित नहीं है. इसमें सांख्यिकी, यादृच्छिक चाल (रैंडम वाक), संभाव्यता (प्रोबेबिलिटी) और जटिल चर (काम्प्लेक्स वेरिएबल्स) भी शामिल हैं.’

उन्होंने कहा, ‘वास्तव में, नंबर थ्योरी मेरे प्रमाण में केवल एक छोटी सी भूमिका- 20 प्रतिशत निभाता है और वह भी केवल प्राथमिक स्तर पर ही. अन्य विषय, जो प्रमाण का शेष 80 प्रतिशत बनाते हैं, पूरी तरह से एक सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी के ज्ञान के दायरे में आते हैं.’

रीमन हाइपोथिसिस- होली ग्रेल या दोधारी तलवार?
यह हाइपोथिसिस प्रसिद्ध जर्मन गणितज्ञ जॉर्ज फ्रेडरिक बर्नहार्ड रीमन द्वारा 1859 में एक पेपर में पेश किया गया एक अनुमान है. यह अभाज्य संख्याओं (प्राइम नंबर्स) के ड्रिस्टिब्यूशन से संबंधित है, जो ऐसे पूर्णांक होते हैं जो केवल अपने आप से और 1 से विभाज्य होते हैं.

रीमन हाइपोथिसिस एक अन्य प्रसिद्ध गणितज्ञ (जो रीमन के शिक्षक भी थे) कार्ल फ्रेडरिक गॉस के काम को आगे बढ़ाती है. गॉस ने शून्य और किसी दी गई संख्या के बीच की अभाज्य संख्याओं का अनुमान लगाने पर काम किया था.

उन्होंने अभाज्य संख्याओं की संख्या का अनुमान लगाने का एक तरीका खोजा और उनकी गणना 30,00,000 तक की. लेकिन कोई नहीं जानता था कि अगला अभाज्य अंक कहां आएगा. यह माना जाता है कि अभाज्य संख्याओं की गिनती अनंत (इनफिनाइट) हैं.

प्राइम नंबर थ्योरम के सिद्धांत पर आगे काम करते हुए रीमन हाइपोथिसिस अभाज्य संख्याओं के वितरण के स्वरूप (पैटर्न) पर सटीक भविष्यवाणियां करती है. लेकिन अभी के लिए यह केवल एक अटकल मात्र है.

यह हाइपोथिसिस ‘जेटा फंक्शन’ और शून्य से संबंधित है. एक जेटा फंक्शन काम्प्लेक्स वेरिएबल्स (वास्तविक और काल्पनिक (इमेजनरी) वेरिएबल्स का संयोजन) का एक फंक्शन होता है.

यह फंक्शन सभी ऋणात्मक सम पूर्णांकों (निगेटिव इवन इंटीजर्स), जिन्हें ट्रीवीअल जीरो कहा जाता है- पर शून्य अथवा जीरो हो जाता है लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह अन्य बिंदुओं पर भी शून्य हो जाता है (जिन्हें नॉन- ट्रीवीअल जीरो कहा जाता है).

इस अनुमान में कहा गया है कि जेटा फ़ंक्शन के सभी नॉन-ट्रीवीअल जीरो, काम्प्लेक्स प्लेन की एक सीधी रेखा- क्रिटिकल लाइन पर होते हैं.

इस समस्या की जटिलता इतनी अधिक है कि इसे ‘गणित की होली ग्रेल’ माना जाता है.

हालांकि, अगर रीमन हाइपोथिसिस साबित हो जाती है तो यह आधुनिक बैंकिंग प्रणाली के लिए गंभीर खतरा हो सकती है.

बड़ी अभाज्य संख्याएं, जिन्हें अंकगणित का एटम माना जाता है, आधुनिक क्रिप्टोग्राफी और ई-कॉमर्स में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.

ई-बैंकिंग और क्रेडिट कार्ड के लेन-देन में कोड बड़ी अभाज्य संख्याओं (प्राइम नंबर्स) को गुणा करने की यांत्रिक प्रक्रिया पर आधारित होते हैं.

यदि रीमन हाइपोथिसिस सिद्ध हो जाती है, तो अभाज्य संख्याओं (प्राइम नंबर्स) का पता लगाने के लिए और भी तेज़ तरीके खोजे जा सकते हैं. यह क्रिप्टोग्राफिक सिस्टम और उनके कोड के लिए एक संकट के जैसा होगा जिससे वे असुरक्षित हो जाएंगे.

साभार- https://hindi.theprint.in/ से 

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व का मुहुर्त

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि, मध्य रात्रि, रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। 26 अगस्त 2024 सोमवार को सप्तमी तिथि दिन में प्रातः 8 बजकर 20 मिनट पर समाप्त हो रही है, अर्थात् इसके बाद अष्टमी तिथि प्रारम्भ हो जायेगी। इसके साथ ही सोमवार की रात्रि 9 बजकर 10 मिनट पर कृतिका नक्षत्र समाप्त होकर रोहिणी नक्षत्र प्रारम्भ हो जायेगा। इस प्रकार अष्टमी तिथि- रोहिणी नक्षत्र मिलकर *जयंती योग* बना रहे हैं, जोकि बहुत ही शुभ है। मुहूर्त चिंतामणि ग्रन्थ के अनुसार आज *सर्वार्थसिद्धियोग* भी रहेगा। शास्त्रों में बुधवार तथा सोमवार को भी पुण्यफलकारक माना गया है>

कि पुनर्बुधवारेण सोमे नापि विशेषत: इसलिए  इस जन्माष्टमी पर्व पर पूर्ण श्रद्धा व उल्लास के साथ भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाकर पुण्यफल प्राप्त करें।
इसके अलावा जो स्वयं को वैष्णव मानते हैं वो औदायिक अष्टमी एवं रोहिणी नक्षत्र में 27 अगस्त मंगलवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व मनाएंगे। पंचांगों में स्मार्तों और वैष्णवों के लिए अलग अलग तिथियों में व्रत त्योहार दर्शाया रहता है। कुछ लोगों को संदेह होने लगता है कि हम किसी दिन व्रत या त्योहार मनायें। आइए स्मार्त व वैष्णव का संक्षिप्त अन्तर समझने की कोशिश करते हैं। जिन लोगों को स्वयं का सम्प्रदाय नहीं मालूम वे अपने को स्मार्त मानते हैं।‌सामान्य रूप से स्मार्त शिव के उपासक होते हैं। वे श्रुति स्मृति को मानते हैं और वेद पुराण, धर्म शास्त्र, गायत्री, पंचदेव के उपासक होते हैं।
ठीक इसी प्रकार सामान्य रूप से वैष्णव भगवान विष्णु के उपासक होते हैं और उनके अवतारों को मानते हैं। वैष्णव सम्प्रदाय वाले मस्तक पर तिलक धारण करते हैं और विधि पूर्वक दीक्षा लेकर कण्ठी, तुलसी की माला धारण करते हैं। लक्ष्मी नारायण मंदिर, कृष्ण मंदिर, श्रीनाथ मन्दिर या भगवान विष्णु के अवतारों वाले जो भी मन्दिर हैं, वे सभी वैष्णव सम्प्रदाय के अन्तर्गत ही आते हैं।

सौरभ दुबे( Astrological Consultant)*
काशी/बनारस/वाराणसी*
*Watsaap-9198818164*

कोटा के जितेंद्र निर्मोही को बैजनाथ पंवार कथा साहित्य पुरस्कार

कोटा / स्थानीय चुरू प्रयास संस्थान की ओर से प्रतिवर्ष राजस्थानी भाषा के ख्यातनाम कथाकार बैजनाथ पंवार की स्मृति में दिया जा रहा बैजनाथ पंवार कथा साहित्य पुरस्कार वर्ष 2024 के लिए झालावाड़ में जन्मे एवं कोटा निवासी प्रख्यात लेखक जितेंद्र निर्मोही को दिया जाएगा। निर्मोही के राजस्थानी उपन्यास ‘रामजस की आतमकथा’ के लिए यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
प्रयास संस्थान के सचिव कमल शर्मा ने बताया कि चूरू में पंद्रह सितंबर को प्रस्तावित समारोह में जितेंद्र निर्मोही को पुरस्कार स्वरूप ग्यारह हजार रुपए, शाॅल व सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व यह पुरस्कार रामस्वरूप किसान, नंद भारद्वाज, मेहरचंद धामू, अतुल कनक, अरविंद आशिया जैसे नामचीन लेखकों के नाम हो चुका है।
7 अप्रेल 1953 को झालावाड़ में मां कमला देवी एवं पिता रमेशचंद्र शर्मा के यहां जन्मे जितेंद्र निर्मोही राजस्थानी एवं हिंदी के उल्लेखनीय हस्ताक्षर हैं। राजस्थानी में काव्यकृति ‘ईं बगत को मिजाज’,  ‘गाधि-सुत’, संस्मरण कृति ‘या बणजारी जूण’, निबंध संग्रह ‘बांदरवाळ की लङ्यां’, ‘हाड़ौती अंचल को राजस्थानी काव्य’, कथाकृति ‘कफन को पजामो अर दूजी कथावां’ तथा उपन्यास ‘नुगरी’ एवं ‘रामजस की आतमकथा’ चर्चित-प्रशंसित कृतियां हैं।
हिंदी में भी आपकी अनेक कृतियां हैं। निर्मोही को इससे पूर्व राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर का ‘कन्हैयालाल सहल पुरस्कार’, सृजन सेवा संस्थान श्रीगंगानगर का ‘सूरजाराम जालीवाल राजस्थानी भाषा पुरस्कार’, राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर का ‘आगीवाण सम्मान’, नेम प्रकाशन डेह का ‘अमरादेवी पहाड़िया राजस्थानी गद्य पुरस्कार’, लायन्स क्लब बीकानेर का ‘खींवराज मुन्नीलाल सोनी राजस्थानी गद्य पुरस्कार’ सहित कई पुरस्कार मिल चुके हैं। अनेक संस्थाओं से जुड़ाव रखने वाले निर्मोही राजस्थानी भाषा मान्यता आंदोलन के एक सजग प्रहरी हैं।

पश्चिम रेलवे गोरेगांव और कांदिवली के बीच शुरू करेगी छठी लाइन का कार्य

मुंबई। पश्चिम रेलवे गोरेगांव-कांदिवली सेक्शन के बीच छठी लाइन का कार्य शुरू करने की तैयारी कर रही है। लगभग 4.5 किलोमीटर लंबे इस सेक्‍शन पर कार्य 27/28 अगस्त, 2024 की रात से शुरू होगा और 05/06 अक्टूबर, 2024 तक चलेगा। उल्लेखनीय है कि यात्रियों को कम से कम असुविधा हो, इसलिए पांच प्रमुख ब्लॉक केवल सप्ताहांत के दौरान ही लिए जा रहे हैं।

पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी श्री विनीत अभिषेक द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, गोरेगांव और कांदिवली स्टेशनों के बीच लगभग 4.5 किलोमीटर लंबी छठी लाइन का कार्य शुरू होने वाला है। सप्ताहांत यानी शनिवार/रविवार को रात में 10 घंटे का ब्लॉक लेकर कार्य शुरू किया जाएगा। यह कार्य 35 दिनों में पूरा करने का लक्ष्य है। उल्लेखनीय है कि गणपति महोत्सव के दौरान 11 से 17 सितंबर, 2024 तक कोई कार्य नहीं किया जाएगा।

श्री विनीत ने बताया कि चूंकि मालाड स्टेशन के पूर्व की ओर 6वीं लाइन बिछाने के लिए जगह नहीं है, इसलिए पश्चिम की ओर एक नई लाइन बिछाई जाएगी और सभी मौजूदा 5 लाइनों को कट और कनेक्शन के माध्यम से पश्चिम की ओर स्थानांतरित किया जाएगा। इस  कार्य के प्रगति पर होने के कारण लंबी दूरी की कुछ ट्रेनों को 15 से 20 मिनट रेगुलेट किया जाएगा, जबकि उपनगरीय सेवाएं भी प्रभावित होंगी, जिसमें औसतन लगभग 100-140 सेवाएं निरस्‍त की जाएंगी और सप्ताहांत में लगभग 40 सेवाओं को शॉर्ट टर्मिनेट किया जाएगा। उल्‍लेखनीय है कि पश्चिम रेलवे द्वारा रात में कार्य करने का कार्यक्रम बनाया है ताकि सप्ताह के दिनों में कम से कम व्यवधान हो। 28/29 सितंबर और 05/06 अक्टूबर, 2024 को गोरेगांव और कांदिवली के बीच 5वीं लाइन पर नॉन-इंटरलॉकिंग कार्य किया जाएगा। इसके कारण बांद्रा टर्मिनस से चलने वाली ट्रेनों को 40 से 45 मिनट रेगुलेट किया जाएगा।

श्री विनीत ने आगे बताया कि गोरेगांव-कांदिवली सेक्‍शन बांद्रा टर्मिनस और बोरीवली के बीच 5वीं / छठी लाइन का हिस्सा है। 5वीं लाइन बांद्रा टर्मिनस और बोरीवली के बीच पहले ही शुरू हो चुकी है, जबकि छठी लाइन खार रोड और गोरेगांव के बीच शुरू हो चुकी है। गोरेगांव-कांदिवली सेक्‍शन का कार्य पूर्ण होने के बाद कांदिवली-बोरीवली खंड पर छठी लाइन का कार्य शुरू होगा। इस परियोजना के पूर्ण होने से यातायात की आवाजाही को निम्नलिखित तरीकों से लाभ मिलेगा:

लाभ:

•        मुंबई उपनगरीय खंड की लाइन क्षमता में वृद्धि होगी।

•        व्यस्त उपनगरीय और मेन लाइन की पटरियों पर यातायात सघनता कम होगी।

•        ट्रेनों की समयपालनता में सुधार होगा।

•        बांद्रा टर्मिनस से आने- जाने वाली ट्रेनों के लिए इस खंड पर दो समर्पित लाइनें होंगी।

•        मेन लाइन की ट्रेनों और उपनगरीय ट्रेनों का पृथक्करण होगा।

•        अधिक ट्रेनें चलाने के लिए अतिरिक्त मार्ग उपलब्ध हो सकेगा।

•        अंधेरी – बोरीवली – विरार सेक्‍शन के यात्रियों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा।

भोपाल के पत्रकारिता विवि में पाँच नए विषयों में पीएचडी की उपाधि दी जाएगी

भोपाल। भोपाल के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (एमसीयू) ने आठ साल के लंबे इंतजार के बाद पीएचडी की सीटों की घोषणा करने का फैसला किया है। यह घोषणा अगले सप्ताह की जाएगी।

एमसीयू के कुलगुरु, प्रोफेसर (डॉ.) के.जी. सुरेश ने बताया कि पहले विश्वविद्यालय केवल दो विषयों- मीडिया अध्ययन और कंप्यूटर अनुप्रयोग में पीएचडी उपाधि प्रदान करता था, लेकिन इस बार, विश्वविद्यालय ने पांच विषयों में पीएचडी की उपाधि देने का निर्णय लिया है। ये नए विषय जनसंचार, नवीन मीडिया प्रौद्योगिकी, मीडिया प्रबंधन, कंप्यूटर अनुप्रयोग और पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान हैं।

पीएचडी में प्रवेश के लिए पात्रता के तहत राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत चार वर्षीय शोध स्नातक पाठ्यक्रम भी शामिल किया जाएगा। इसके अलावा, जो उम्मीदवार नेट परीक्षा में उत्तीर्ण होंगे, वे भी पीएचडी के लिए पात्र होंगे। पीएचडी को पूरा करने की समय सीमा न्यूनतम तीन वर्ष और अधिकतम छह वर्ष निर्धारित की गई है।

आवेदकों को प्रवेश परीक्षा और साक्षात्कार दोनों से गुजरना होगा, जबकि नेट की योग्यता वाले उम्मीदवारों को केवल साक्षात्कार देना होगा। प्रो. सुरेश ने यह भी बताया कि पिछले चार वर्षों में विश्वविद्यालय ने लगभग 3 दर्जन पीएचडी उपाधियां प्रदान की हैं।

भारतीय तटरक्षक दल ने बीच समुद्र में फँसे11 लोगों की जान बचाई

भारतीय तट रक्षक (आईसीजी) ने 26 अगस्त, 2024 को रात के समय एक चुनौतीपूर्ण खोज एवं बचाव अभियान के दौरान संकट में फंसे एमवी आईटीटी प्यूमा के चालक दल के 11 सदस्यों को बचाया। मुंबई में पंजीकृत यह सामान्य मालवाहक जहाज कोलकाता से पोर्ट ब्लेयर जाने के रास्ते में था, जब वह कथित तौर पर सागर द्वीप (पश्चिम बंगाल) से लगभग 90 समुद्री मील दक्षिण में डूब गया।

शुरुआत में, समुद्री खोज एवं बचाव समन्वय केंद्र (एमआरसीसी) चेन्नई को 25 अगस्त, 2024 को देर शाम एक संकट संबंधी संकेत प्राप्त हुआ। कोलकाता स्थित आईसीजी के क्षेत्रीय मुख्यालय (उत्तर पूर्व) ने तुरंत आईसीजी के दो जहाजों और एक डोर्नियर विमान को उक्त स्थल पर भेजा। रात के समय उपयोग योग्य उन्नत सेंसरों से सुसज्जित डोर्नियर विमान ने भटकते हुए जीवनरक्षक नौकाओं को ढूढ़ लिया और उसे संकट में फंसे चालक दल की ओर से जीवित रहने संबंधी सूचक लाल रोशनी दिखाई दी।

विमान द्वारा निर्देशित, आईसीजी के जहाज उन निर्देशांकों पर पहुंचे जहां जीवित बचे लोगों के साथ दो जीवनरक्षक नौका एकसाथ बंधे हुए पाए गए। चुनौतीपूर्ण मौसम के बावजूद, आईसीजी के जहाज सारंग और अमोघ ने, डोर्नियर विमान के साथ, 25 अगस्त की देर रात और 26 अगस्त की सुबह चालक दल की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए, एक समन्वित समुद्री-हवाई बचाव कार्य को पूरा किया।

‘पुरुषार्थ का महत्व’

हिंदू धर्म शास्त्रों से जो सीख हमें मिलती है वह परिश्रम करते रहने की है, निरंतर चलते रहने की है, अभ्यास करते रहने की है क्योंकि बिना अभ्यास के विद्या भूल जाती है या विस्मृत हो जाती है-‘बिनाभ्याषे विषम् विद्या’!
 मनुष्य को लगातार कार्य करते रहना चाहिए और वर्तमान का सदुपयोग भी करते रहना चाहिए ! कहा भी गया है- अपने लक्ष्यों के प्राप्ति के लिए हमेशा सजग रहना चाहिए! समय प्रतिकूल हो तब भी  काम करना बंद नहीं करना चाहिए !किसी भी कार्य को कल के लिए टालना असफल जीवन की आधारशिला है !दुनिया के महान व्यक्ति केवल इसलिए सफल हो पाए क्योंकि वह प्रति क्षण अपने उद्देश्यों में संलग्न रहे! कर्म करने पर तो हार या जीत कुछ भी मिल सकती है परंतु कार्य न करने पर तो केवल हार ही मिलती है! पुरुषार्थ के आगे तो भाग्य भी विवश होकर फल देने के लिए बाध्य हो जाता है ! प्रत्येक भव्य इमारत सफेद पेपर पर मात्र एक कल्पना  ही होती है! उसे वास्तविक रूप देने के लिए धरातल पर उतरना होता है और कार्य करना होता है ! इसलिए अपने संकल्प पूर्ति में सदैव संलग्न रहना चाहिए!कभी भी समय  को व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए! अपने प्रयत्न जारी रखने  चाहिए! सफलता बाहें फैलाकर स्वागत करने के लिए खड़ी है! वर्तमान का सदुपयोग एक स्वर्णिम भविष्य को जन्म देती है!
हम यदि ठान लें कि अपने पौरुष से सफलता हासिल करनी है तो लक्ष्य में विजय निश्चित ही मिलेगी लेकिन इसके लिए हमें परिश्रम करनी होगी। इंग्लिश में कहते हैं कि ‘There is no short cut to Success’ नहीं कभी होगा था और नहीं कभी होगा इसलिए लगातार परिश्रम करते रहना चाहिए। हितोपदेश में कहा गया है–
“उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः!
न हि सुप्तस्य सिंहस्य मुखे प्रविशन्ति मृगाः! “
अर्थात्- परिश्रम करने से ही कार्य सफल होते हैं न कि मन में इच्छा करने से ! जैसे कि सोए हुए शेर की मुंह में हिरण अपने आप नहीं आता बल्कि शेर को परिश्रम करनी पड़ती है उसी प्रकार हम मनुष्यों को भी सफलता पाने के लिए लगातार परिश्रम करना चाहिए! उपरोक्त पंक्तियाँ भले ही पुरानी है लेकिन इसका महत्व आज भी उतनी ही है जितनी कि हजारों साल पहले थी! हम में से बहुत से लोग ऐसे हैं जो भाग्य का रोना रोते रहते हैं और कठिन परिश्रम करने से चूक जाते हैं! किसी भी काम में सफल होने के लिए आवश्यक परिश्रम नहीं करने  और भाग्य के भरोसे बेठे रहने वालों के लिए इन चींटियों से प्रेरणा अवश्य लेनी चाहिए।
 ‘योजनानां सहस्रं तु शनैर्गच्छेत पिपीलिका!
आगच्छन् वैनतेयोपि पदमेकं न गच्छति!! ‘
अर्थात् अगर चींटी चल पड़ती है तो वह धीरे-धीरे चलकर भी हजारों कोस चली जाती हैं लेकिन यदि गरुड़ भी अपनी जगह से नहीं हिला तो वह एक पग भी आगे नहीं बढ़ सकता ! इस प्रकार हम लोगों को भी अपने जीवन में ‘चरैवेति ‘का अनुपालन करते हुए आगे बढ़ते और परिश्रम करते रहना चाहिए!
मारकंडेय पुराण में बताया गया है कि-
“प्रयाति वांछितम् वान्य दृढं ये व्यसायिन:!
नाविज्ञातम् न चागम्यं नाप्राप्यम्  दिक्चेह वा! “
अर्थात् दृढ़ संकल्प वाले कर्मनिष्ठ व्यक्ति ही सफलता को प्राप्त करते हैं! मनस्वी व्यक्ति के लिए इस संसार में कोई वस्तु अप्राप्य नहीं है और कोई भी स्थान अगम्य नहीं है! उदाहरण के तौर पर यदि हम देखें तो उत्तानपाद राजा के पुत्र थे ध्रुव लेकिन उन्होंने अपने पुरुषार्थ से ही अद्भुत स्थान प्राप्त कर लिया !तभी तो उन्हें आकाश का ध्रुव स्थान प्राप्त हुआ! कहां पृथ्वी और कहां आकाश ? युगों- युगों में भी जो अमरत्व उन्हें मिला है वह पुरुषार्थ  से ही सम्भव हुआ है!
डॉ सुनीता त्रिपाठी ‘जागृति’ अखिल भारतीय राष्ट्रवादी लेखक संघ (नई दिल्ली)

कैसे कैसे बिखर गये हम, जाने दो।

मित्रों की सेवा में एक गीत समर्पित-
आँखें बरबस हो आयीं नम,
जाने दो
कैसे कैसे बिखर गये हम ,
जाने दो
घर की हर दीवार और  छत, कोना – कोना
चित्र-कथा क्रम, भाव-भंगिमा,
रंग सलोना
रँगा हुआ सब ऊपर शान्त
औ भीतर हलचल
तारतम्य है उचट- उचट  जाता है पल- पल
मलय-गन्ध जग,नभ, दिगन्त तक डूब गये थे
यह  प्रकाश औ’ अन्धकार  क्रम ,  जाने दो।
बदले  अर्थ  शब्द के, घर के,
तेरे  मेरे
बदल चुके हैं अर्थ रात- दिन
 साँझ सवेरे
विस्तृत जीवन जीकर सिमटी आस अकेली
रही नित्य उलझन जीवन बन
एक पहेली
बदले अर्थ समय, यात्रा के
चलना ही है
रस्ता  लम्बा समय बहुत कम, जाने   दो।
संचित ऋण का बोझ बहुत
भारी है मन पर
है उतारना घर, परिजन,समाज जीवन भर
धुँधली  हुईं  दिशाएँ   पथ संकेत  खो  रहे
पेड़, शाख  औ  पंछी चुप हैं
स्यार  रो रहे
यात्रा के सुविचारित शुभकर सुखकर प्रियकर
मोहक  सपनों का   टूटा भ्रम,   जाने   दो।
यमुना, गोकुल,मधुवन मथुरा,
कहाँ  द्वारका
गोपी राधा  पंथ  जोहना  जीवन भर   का
सूने पथ  पानी भर खोयीं
 प्यासी  आँखें
समय-चक्र ने कुचलीं कलियाँ,
कुसुमित शाखें
है स्मृति में  नन्दन वन  रस राग गन्ध मय
था लौकिक पर दिव्य औ’अनुपम,
जाने दो
आँखें  बरबस  हो आयीं नम ,  जाने दो
कैसे  कैसे  बिखर गये    हम,  जाने दो।
  मंगला प्रसाद सिंह
 ( निवर्तमान रीडर, उदित नारायण स्नातकोत्तर महाविद्यालय पडरौना, कुशीनगर)