बचपन से कहना तो बेमानी होगा लेकिन जबसे सक्रिय पत्रकारिता के क्रम में देश-विदेश भ्रमण का सिलसिला शुरू हुआ और खासतौर से रूस, अमेरिका और चीन की यात्रा कर लेने के बाद से ही विश्व की पांच महाशक्तियों में शुमार युनाइटेड किंगडम के इंग्लैंड और इसके राजधानी शहर लंदन आने की इच्छा हिलोरें मार रही थीं। लंदन आने और हमारे भारत पर दो सदियों (तकरीबन 190 साल) तक राज करनेवाले अंग्रेजों के साम्राज्य और राजधानी शहर में घूमने और इसके इतिहास, भूगोल, संस्कृति और समाज को देखने समझने की ललक भी थी। मन में हूक तो फ्रांस की राजधानी पेरिस और वहां विश्व प्रसिद्ध एफिल टॉवर को भी देखने की उठती रहती है। देखें मन की यह मुराद कब पूरी होती है।
अन्य प्रसिद्ध स्थलों में बकिंघम पैलेस, लंदन आई, पिकैडिली सर्कस, सेंट पॉल कैथेड्रल, टावर ब्रिज, ट्राफलगर स्क्वायर, और द शर्ड आदि शामिल हैं। लंदन में ब्रिटिश संग्रहालय, नेशनल गैलरी, प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय, टेट मॉडर्न, ब्रिटिश पुस्तकालय और वेस्ट एंड थिएटर सहित कई संग्रहालयों, दीर्घाओं, पुस्तकालयों, खेल आयोजनों और अन्य सांस्कृतिक संस्थानों का घर है।
गीता जी और सुमेधा के साथ लंदन यात्रा का संयोग इस जून महीने की 11 तारीख को बड़े सुपुत्र प्रतीक के सौजन्य से संभव हो सका। वह यहां सेंसबरी में स्टाफ इंजीनियर के रूप में कार्यरत हैं। हम विस्तारा की उड़ान से स्थानीय (लंदन) समय के अनुसार शाम के 8.30 बजे लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे पर पहुंचे। इमिग्रेशन के लिए लंबी कतारों को पार करने में तकरीबन डेढ़ घंटे का समय लग गया। हालांकि इमिग्रेशन प्रक्रिया बहुत सुमता से दो मिनट में ही संपन्न हो गई।