राजस्थान नदी बेसिन एवं जल संसाधन योजना प्राधिकरण के अध्यक्ष रहे श्रीराम वेदिरे की कहानी बड़ी रोचक है। तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे राजस्थान के सभी सांसद, विधायक और नौकरशाहों के साथ एक अहम बैठक ले रही थीं। बैठक का एजेंडा था श्रम दान और जल संरक्षण, साथ ही वेदिरे का सभी से परिचय भी कराना था। मुख्यमंत्री ने देखा कि जल संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषय पर आधे सांसद, विधायक और नौकरशाह सो रहे हैं, सीएम ने बैठक का सन्नाटा तोड़ने के लिए एक घोषणा कर दी कि यहां मौजूद सभी जनप्रतिनिधि और नौकरशाह अपना एक माह का वेतन जनहित कार्यों के लिए देंगे। फिर क्या था, नींद गायब हो गई और सभी अपनी फाइलें खोलकर बैठ गए। श्रीराम वेदिरे ने इसी बैठक में ठान लिया कि अब राजस्थान में जल संचय पर ऐसा काम होगा कि दूसरे राज्य इसे देखने आएंगे।
जन शब्द जुड़ने से आंदोलन की सफलता तय वेदिरे की जिद रंग लाई और पांच साल में राजस्थान को जल संचय के मामले में नीति आयोग ने देशभर में नंबर एक घोषित कर दिया। गुरुवार को केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने यह बात श्रीराम वेदिरे की लिखी एक किताब ‘ए डिस्टिंक्टिव वाटर मैनेजमेंट स्टोरी-द राजस्थान वे’ के विमोचन अवसर पर बताई। उन्होंने कहा, चाहे जल संरक्षण की बात हो या श्रमदान की, किसी भी आंदोलन के साथ यदि जन शब्द जुड़ जाता है, तो उसकी सफलता निश्चित हो जाती है।
आज समय की मांग है कि जल संरक्षण जैसे क्षेत्र में तकनीक के साथ मिलकर काम करना होगा। कृषि क्षेत्र में 89 प्रतिशत पानी व्यय होता है। किसानों से प्रार्थना है कि वे भी जल संरक्षण को लेकर सोचें। ज्यादा नहीं तो कम से कम 10 प्रतिशत पानी उन्हें भी बचाना होगा। जब यह पानी बचेगा तो ही हम 2050 तक पानी सुरक्षा का तय लक्ष्य पूरा कर पाएंगे।
अमेरिका में जॉब करते थे श्रीराम वेदिरे पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में मौजूद रहे केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने बताया, साल 2011-12 में श्रीराम वेदिरे पहली बार वसुंधरा राजे से मिले थे। उस वक्त वे सीएम नहीं थीं। वेदिरे ने राजस्थान में जल संचय पर काम करने की इच्छा जताई। वेदिरे पेशे से इंजीनियर रहे हैं और उनकी पत्नी डॉक्टर हैं। ये दोनों करीब डेढ़ दशक तक अमेरिका में जॉब करते रहे हैं। वेदिरे की बात पर वसुंधरा ने तुरंत संज्ञान लिया और उन्होंने माही और चंबल नदी के जल संरक्षण की प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने का काम वेदिरे को सौंप दिया।
खास बात है कि तब सीएम न होते हुए भी वसुंधरा राजे ने इस प्रोजेक्ट का सारा खर्च खुद उठाया। वेदिरे ने राजस्थान की सूखी धरती को हराभरा बनाने और जल संचय योजना पर काम शुरु कर दिया। पूर्व सीएम वेदिरे के जुनून से बहुत प्रभावित हुईं और जब 2013 में वे राजस्थान की सीएम बनीं, तो उन्होंने वेदिरे को राजस्थान नदी बेसिन एवं जल संसाधन योजना प्राधिकरण का अध्यक्ष बना दिया।
राजस्थान में 245 ब्लॉक डार्क जोन
राजस्थान में देश की कुल जनसंख्या का 5.66 प्रतिशत भाग निवास करता है। अगर भूभाग की बात करें, तो यह 10.4 प्रतिशत है, लेकिन जल स्रोतों के मामले में राजस्थान का हिस्सा केवल एक फीसदी है। सेलीनिटी और फ्लोराइड की समस्या अलग से है। 245 ब्लॉक डार्क जोन घोषित किए जा चुके थे। वेदिरे ने एनजीओ, सीएसआर और सरकारी एजेंसियों के साथ मिलकर प्रोजेक्ट आगे बढ़ाया। मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान के अंतर्गत प्रदेश के शहरी क्षेत्र की सभी बावड़ियों का जीर्णोद्धार शुरु कर दिया गया। मानसून के दौरान हर साल 60 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य आसानी से पूरा हो गया। जल स्वावलंबन अभियान के दूसरे चरण में शामिल सभी गांवों को फव्वारा एवं बूंद-बूंद सिंचाई से जोड़कर राजस्थान को हराभरा बनाने की पहल शुरु हो गई।
22 हजार से ज्यादा गांवों में जल सरंक्षण अभियान बारिश के पानी को सहेजने के लिए प्रदेश के 22 हजार से ज्यादा गांवों में साढ़े छह लाख से अधिक जल संरक्षण के काम किए गए। नतीजा, राजस्थान के गांवों में टैंकरों से होने वाली पेजयल आपूर्ति आधी रह गई। भूजल स्तर में बढ़ोतरी दर्ज की गई। परंपरागत जलाशयों का जीर्णोंद्वार, बोरवेल रिचार्ज स्ट्रक्चर्स का दोबारा इस्तेमाल, जलग्रहण क्षेत्र विकास और सघन वृक्षारोपण से राजस्थान की तस्वीर बदलते देर नहीं लगी। नीति आयोग ने राजस्थान को जल संचय के मामले में नंबर एक घोषित कर दिया। वेदिरे ने अपने अभियान के दौरान साफतौर से कह दिया था कि गुणवत्तापूर्ण कार्य नहीं होने पर, संबंधित अफसर की जेब से वह खर्च वसूला जाएगा। अभियान के तहत हर कार्य का थर्ड पार्टी ऑडिट कराया गया।
राजस्थान में भूजल स्तर पांच फुट ऊपर वेदिरे एवं उनकी टीम ने राजस्थान में चार लाख वाटर हार्वेस्टिंग ढांचे खड़े कर दिए। 33 जिलों में एक करोड़ से ज्यादा पौधे लगा दिए। नतीजा, 21 जिलों में भूजल का स्तर पांच फुट तक ऊपर आ गया। सिंचाई का क्षेत्र बढ़ता चला गया। प्रदेश की वॉटर बॉडी से सिंचाई करने का लक्ष्य भी 81 प्रतिशत पूरा कर लिया गया। नदियों को जोड़ने की योजना पर भी सराहनीय काम हुआ। यमुना राजस्थान लिंक कैनाल प्रोजेक्ट और राजस्थान साबरमती लिंक प्रोजेक्ट पर भी तेजी से काम शुरु हो गया। बावड़ियों के जीर्णोद्धार के अलावा 191 शहरों में स्थित 2934 सरकारी कार्यालय, जिनका रुफटॉप एरिया तीन सौ वर्ग गज से ज्यादा था, वहां रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा दिया गया।
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