उज्जैन। उज्जैन से 20 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम अंबोदिया में स्थित सेवाधाम में आयोजित राष्ट्रीय सेवा मित्र सम्मेलन में 11 राज्यों से आए प्रतिनिधियों ने अपने-अपने विचार साझा किए और सेवा की भावी योजनाओं पर चिंतन-मनन किया
‘अंकित ग्राम’ सेवाधाम आश्रम में आयोजित त्रि दिवसीय राष्ट्रीय सेवा मित्र सम्मेलन में 11 राज्यों से आए सेवा प्रतिनिधियों ने सेवा की भावी योजनाओं पर चिंतन-मनन के साथ सम्मेलन में सेवा का मूल मंत्र प्राप्त किया। सेवाधाम में रहकर मानव सेवा देखी और महसूस किया कि हरेक के जीवन में विनोबा है, गांधी है, अंबेडकर है, विवेकानन्द है बस देर है उसे बाहर लाने की। हमें आने वाली पीढ़ियों को यह बताना और सिखाना होगा कि सेवा ही आपके जीवन में संतुष्टि का आधार है, इन्ही मूल तथ्यों पर चर्चा कर राष्ट्रीय सेवा मित्र सम्मेलन का संकल्पों के साथ समापन हुआ। इस अवसर पर सेवाधाम आश्रम के संस्थापक सुधीर भाई गोयल एवं सम्मेलन के संयोजक संस्थापक विनोबा सेवा आश्रम, शाहजहांपुर उत्तरप्रदेश रमेश भैया ने संयुक्त रूप से बताया कि सेवाधाम के सेवांगन में त्रि दिवसीय सम्मेलन में देश के विविध क्षैत्रों में कार्यरत सेवाभावियों ने अपने विचार व्यक्त कर आपस में अनुभवों को सांझा किया।
सम्मेलन के प्रथम दिवस का शुभारंभ माननीय श्री आरिफ मौहम्मद खान राज्यपाल केरल के वरद हस्तो हुई उसके पश्चात देश भर से आए प्रतिभागियों ने आपस में परिचय प्राप्त कर सम्मेलन के उद्देश्य एवं अवधारणा पर चर्चा की।
सम्मेलन के द्वितीय दिवस पर सेवाधाम आश्रम संस्थापक सुधीर भाई गोयल, डाॅ. पुष्पेन्द्र दूबे लोकेश शर्मा, परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश उत्तराखण्ड, विमला बहन, शाहजहांपुर, डाॅ. आर.के. पालीवाल पूर्व आयकर आयुक्त, टिल्लन रिझारिया, वरिष्ठ पत्रकार दिल्ली, नरेश यादव, उपाध्यक्ष हरिजन सेवक संघ, दिल्ली, मोहित कुमार, शाहजहांपुर एवं शंकर साहू, छत्तीसगढ़, अनुराग श्रीवास्तव, उत्तरप्रदेश आदि वक्ताओं ने मानव सेवा, गौ सेवा, जैविक कृषि सेवा और पर्यावरण प्रकृति सेवा आदि पर विचार प्रकट किए।
सम्मेलन के तृतीय दिवस एवं समापन अवसर पर विशेष अतिथि आर. के. पालीवाल पूर्व आयकर आयुक्त ने अपने सम्पूर्ण जीवन काल में किए गए जैविक खेती पर बाते बताई व उन्होंने कहा कि यह एक अनूठा प्रयास सफल हुआ। उन्हांेने कहा कि जीवन की मूलभूत आवश्यकताऐं रोटी, कपड़ा और मकान के साथ एक चीज और अति आवश्यक है और वह है ‘‘जलवायु’’ संरक्षण। इसके लिए उन्होंने केन्द्र एवं राज्य सरकार को भी रोटी, कपड़ा और मकान के साथ जलवायु को भी जोड़ने की अपील की है।
सम्मेलन में प्रथम वक्ता बैंगलोर कनार्टक की आबिदा बेगम ने कहा कि अभिभावको का सम्मान कैसे करना है यह हमें बच्चों को सिखाना है साथ ही समय का प्रबंधन, प्रार्थना का महत्व और खादी को अपनाना है। उन्होंने आगे कहा कि गांव गांव जाकर विनोबा एवं बापू के विचारों को कैम्प लगाकर बच्चों के बीच में ले जाती है। वह कन्नड़ भाषा में परिवर्तित कर पूरे कर्नाटक में बाबा के विचारों को फैला रही है।
द्वितीय वक्ता प्रो. सुरेश शुक्ला, प्रयागराज ने कहा कि सेवा के कार्यों में मुख्य रूप से तीन प्रकार की कठिनाईयां आती है – सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक। उन्होंने कहा कि व्यक्ति कितना भी विरोधी हो उन्हें भी अपने कार्य में साथ लगा लेना चाहिए, व्यक्ति को अपने को भुलाकर केवल अपने कार्य में सफलता का ध्यान रखे। उन्होंने सेवा की भावी योजनाओं में अपने जीवन के प्रत्येक वर्ष में एक माह सेवाधाम में सेवा करने का संकल्प लिया।
तृतीय वक्ता हरदोई से आए अनुराग भाई ने कहा कि जो व्यक्ति युग की समस्याओं का समाधान करता है वहीं युग ऋषि है। सुधीर भाई इस युग के ऋषि है जो पीड़ित जीव जन्तु, पशु-पक्षी के साथ मानवो की निःस्वार्थ भाव से सेवा कर रहे है। उन्होंने कहा कि मैं सीखने आया हूं और यह सीख रहा हूं कि मेरे जीवन का उद्देश दीन दुखी और दलितों की सेवा करना ही है। यहां मैं बाबा के विचारों को, विवेकानन्द के विचारों को मूर्त रूप से साक्षात घटते हुए देख रहा हूं।
चतुर्थ वक्ता बिहार की राजोदेवी ने कहा कि मैं एक ऐसे दलित और पिछडे समाज से आई हूं जहां महिलाओं का बाहर निकलना भी वर्जित था, मुझे याद है जब मैं शादी करके आई एवं उसके बाद सिलाई सीख रही थी तो मुझे निर्मला दीदी के चित्रकूट सम्मेलन की सूचना मिली, मैं पति और परिवार के विरोध के बावजूद जब सम्मेलन में पहुंची तो मुझे मानव सेवा का मर्म समझ में आया, और तब से लेकर आज तक मैं इस कंटिले सेवा पथ पर अग्रसर हूं। मैंने अनेक अपमान जब सहे तब मैंने मेरे गांव में पुरूष दलालो को रोका जो हमारी छोटी -छोटी बेटियों को बड़े परिवारों में विवाह का झांसा देकर शहरों में बेच देते थे। आज भू्रण हत्या और खरीद-फरोक्त के इन दलालो से मेरा गांव मेरी जैसी अनेक बहनों के द्वारा मुक्त हो चुका है। आज मेरा पति और परिवार भी मेरे इस कार्य में सहयोग कर रहा है।
पंचम वक्ता पश्चिमी चम्पारन बिहार से आए आशिफ इकबाल ने कहा कि मैं कट्टरवादी और मांसाहारी था लेकिन जब मैं पवनार गया और वहां जो मुझ बिन मां के बच्चे को 20-25 माताओं का लाड़-दुलार मिला तो मेरा जीवन ही बदल गया, तब से आज तक मैंने मांसाहार नही किया।
छटवें वक्ता धुलिया से आए प्रणव और प्राची जो अपने साथ ग्राम विद्यालय के 7 बच्चों कोे सेवा के संस्कार प्राप्त हो उन्हें सेवाधाम दिखाने आए, उन्होंने कहा कि बच्चे हमारी मशाल को आगे लेकर जांएगे इसलिए बचपन से ही सेवा के संस्कार को इनके बाल मन में रोपने के उद्देश्य से हम और यह बच्चे सेवाधाम आए है।
सातवें वक्ता के रूप में कथावाचक शारदा बहन बुलडाणा ने कहा कि महराष्ट्र मेरी कर्म भूमि है, मैं वहां पर गर्मियों में गांवों में बाल शिविर लगाती हूं और अपने गुरू आचार्य वेलुवर और तुकुडूजी महाराज और संत गाडगे के विचार बच्चों के साथ सांझा करती हूू। मैं सभी को हंसाने का प्रयास करती हूं।
आठवीं वक्ता खगड़िया बिहार की रूकमणी बहन ने कहा कि उन्होंने सिलाई का कार्य शुरू किया और उसी के माध्यम से गांव गांव में महिलाओं के बीच रहकर उन्हें आर्थिक रूप मजबूत कर रही हूं।
नवमें वक्ता प्रयागराज के अशोक भाई ने कहा कि हमें अपने गांवो को स्वच्छ और स्वावलम्बी बनाना होगा।
त्रि दिवसीय राष्ट्रीय सेवा मित्र सम्मेलन के समापन पर 11 राज्यों से आए सेवा प्रतिभागियों ने सुधीर भाई का धन्यवाद प्रकट करते हुए सेवाधाम के सेवा कार्यों को जन-जन तक पहुँचाने का संकल्प लिया और सेवाधाम के कार्यों में सहयोगी होने का आश्वासन दिया। सुधीर भाई ने आभार प्रकट करते हुए कहा कि सेवाधाम सभी के लिए खुला है उन्होंने पूरे देश के युवाओं से अपील की है कि उन्हें अपने क्षेत्र में कोई भी पीड़ित निराश्रित दिखे तो उसकी मदद अवश्य करें तभी आपका जीवन सार्थक होगा।