जाने माने फिल्म निर्माता-निर्देशक सुभाष घई ने जागरण फिल्म समारोह में दिल खोलकर अपने मन की बातें साझा की। सुभाष घई ने कहा कि हर कलाकार को तकनीक व हर तकनीशियन को अदाकारी की जानकारी होनी चाहिए। जुनून हो तो राहें अपने आप बनने लगती हैं। मिसाल के तौर मेरे पिता मुझे सीए बनवाना चाहते थे। उन्होंने एक सीए के पास काम पर लगा भा दिया, मगर उन्हीं सीए के मार्गदर्शन की वजह से मैं पहले एफटीआईआई आया। फिर मुंबई में संघर्ष के बावजूद हिम्मत न हारते हुए 18 हिट फिल्मों का निर्देशन किया।
हाल के बरसों में मेरी कुछ फिल्में नहीं चलीं हैं, क्योंकि मैंने प्रयोग किए। एक्शन हीरो सलमान खान के हाथों में वायलिन थमा दी तो किसना को आधी हिंदी, आधी अंग्रेजी में बना दी। वह न हिंदी दर्शकों तक पहुंच सकी और न ही अंग्रेजी मुल्कों के दर्शकों को अपील कर सकी। कांची को हम सही तरीके से प्रोजेक्ट नहीं कर सके। बहरहाल आगे भी प्रयोग जारी रहेंगे। नए लोगों से यही कहूंगा कि जिस मिजाज की स्क्रिप्ट हो, फाइनेंसर भी उसी मिजाज का ढूंढें। वार को लोगों से अपना अनुभव साझा किया। उन्होंने फिल्मों में करियर बनाने वालों से कहा कि ईमानदारी और प्रतिभा का कोई तोड़ नहीं है। सुभाष घई फेस्टिवल के प्रारंभिक संस्करणों से जुड़े हुए हैं।
इस बार तो उन्होंने अपने संस्थान व्हिस्लिंग वुड्स इंटरनेशनल के साथ मिलकर सभी 16 शहरों में मास्टर क्लास आयोजित कराया। फेस्टिवल के छठे दिन की खास बात फिल्म पत्रकारिता का सत्र रहा। उसमें देश के शीर्ष फिल्म पत्रकारों, जनसंपर्क अधिकारियों व समीक्षकों विकी लालवानी, राजीव मसंद, अजय ब्रह्मात्मज, इंदू मिरानी, पास्ल गोसाई, तुषार जोशी और इंद्रमोहन पन्नू ने हिस्सा लिया। ट्रेड पंडित कोमल नाहटा भी उस परिचर्चा में रहे। उस सेशन को मयंक शेखर ने मॉडरेट किया। सबने फिल्म पत्रकारिता की चुनौतियों पर बहस की।
Hello sir/Mem
I’m theatre artist &
Assistant director
I’m from Gwalior M.P.
Sir mene graduate hu
Ab acting me aage kya kar sakta hu
Please bataiye
Please tell me