Saturday, November 23, 2024
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स्वातंत्र्योतर हिंदी कहानी : रचनात्मक सरोकारों की नयी पड़ताल परदिल्ली में संगोष्ठी

पी जी डी ए वी कॉलेज (सांध्य) और पी जी डी ए वी कॉलेज (प्रातः) दिल्ली विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सहयोग से 18-19 मार्च को दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। मैं अपने सभी से आग्रह करता हूँ कि इस संगोष्ठी के लिए अपने आलेख 8 मार्च 2016 तक अवश्य भेज दें।

इस संगोष्ठी के लिए लन्दन के सुप्रसिद्ध और वरिष्ठ साहित्यकार श्री तेजेन्द्र शर्मा ने उद्घाटन सत्र के लिए अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है।

कॉलेज कई वर्षों से नियमित रूप से सफल संगोष्ठियों का आयोजन करता रहा है। आपकी सहभागिता इस संगोष्ठी के लिए महत्वपूर्ण होगी। इसलिए व्यक्तिगत रूप से आपसे आलेखों के लिए आग्रह कर रहां हूँ। शेष जानकारी निम्नलिखित है

विषय : स्वातंत्र्योतर हिंदी कहानी : रचनात्मक सरोकारों की नयी पड़ताल

सत्र 1: स्वतंत्रता के बाद का परिवेश और हिंदी कहानी
मुख्य बिंदु : विभाजन की विभीषिका का प्रभाव
पुराने और नए मूल्यों की टकराहट

सत्र 2: विभिन्न कहानी आंदोलन बनाम नए सन्दर्भ
मुख्य बिंदु : आंदोलनों की अनिवार्यता
परम्परा से मुक्ति की छटपटाहट
विसंगति बोध का संस्पर्श

सत्र 3: समकालीन हिंदी कहानी : नए रचनात्मक हस्तक्षेप
मुख्य बिंदु : इतिहास निर्माण की प्रकिया में हस्तक्षेप
नए विमर्शों का हस्तक्षेप

सत्र 4: प्रवासी कहानी साहित्य और सांस्कृतिक द्वंद्व
मुख्य बिंदु : गिरमिटिया बनाम प्रवासी
सांस्कृतिक संघर्ष और भारतीयता
स्वातंत्र्योत्तर प्रवासी हिंदी कहानी

कुछ संभावित विषय
1 स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कहानी और दलित विमर्श
2 आदिवासी अस्मिता और स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कहानी
3 स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कहानी में राजनितिक विमर्श
4 प्रवासी हिंदी कहानी और स्वतंत्र भारत की चेतना
5 स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कहानी : पाठ और पुनर्प्रतिपाठ
6 स्त्री अस्मिता केंद्रित समकालीन हिंदी कहानी
7 समकालीन कहानी : नए विमर्श
8 वैश्विक हिंदी कहानी और भारतीय संस्कृति
9 स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कहानी : नए मूल्य
10 स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कहानी : विभाजन की विभीषिका
11 साठोत्तरी हिंदी कहानी : नयी संरचना
12 स्वातंत्र्योत्तर महिला कहानीकारों की कहानियों में स्त्री विमर्श
13 स्वातंत्र्योत्तर पुरुष कहानीकारों की कहानियों में स्त्री विमर्श
14 स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कहानी : नयी कथ्य भंगिमाएं
15. स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कहानी और समकालीन जीवन बोध

लेखक मुख्य विषय तथा सत्र के विषयों से सम्बंधित अन्य उपविषयों को केंद्र में रखकर किसी अन्य विषय पर भी अपना आलेख लिख सकते हैं।
आप अपने आलेख davseminar@gmail.com अथवा arora7300@ymail पर 8 मार्च 2016 तक कृतिदेव, वॉकमैन चाणक्य 901-905 अथवा यूनिकोड में वर्ड फ़ाइल में भेज सकते हैं। आलेख ISBN नंबर अंकित पुस्तक में प्रकाशित होंगे।8 तारीख तक प्राप्त होने वाले आलेखों का पुस्तक रूप में प्रकाशन किया जायेगा और उसका लोकार्पण संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में होगा। 8 तारीख के बाद प्राप्त आलेखों का प्रकाशन संगोष्ठी के उपरांत होगा।

***

संगोष्ठी में भाग लेने के लिए शुल्क
अध्यापक : ₹700/-
शोधार्थी : ₹500/-
विद्यार्थी : ₹300/-
विद्यार्थी यदि अपना आलेख देना चाहते हैं तो उन्हें ₹500/- शुल्क अदा करना होगा।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें
डॉ हरीश अरोड़ा
9968723222
9811687144

18 मार्च को प्रातः 9 बजे पंजीकरण

डॉ सुरेश शर्मा
संयोजक

डॉ मुकेश अग्रवाल
समन्वयक

डॉ हरीश अरोड़ा
संपादक

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

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