नई दिल्ली ।
आम आदमी को भूल जाइए, कई बार इस देश के पीएम को ही कुछ सवालों के जवाब के लिए 6 महीने से ज्यादा का इंतजार करना पड़ता है । 11 अगस्त 2014 को पीएम नरेंद्र मोदी ने कानून और न्याय मंत्रालय से एक सवाल पूछा था, जिसका जवाब उन्हें अब तक नहीं मिला है।
लोकसभा में पूछे गए पीएम के इस सवाल को 6 महीने और 13 दिन हो गए हैं और उन्हें अभी तक इसका उत्तर नहीं मिला है। लोकसभा की वेबसाइट के मुताबिक सवाल नंबर- 4604, सरकारी कागजात में परिजनों का नाम लिखने को लेकर था। यह सवाल छह हिस्सों में पूछा गया था।
उस समय, रविशंकर प्रसाद के पास सूचना और संचार मंत्रालय के साथ ही कानून और न्याय मंत्रालय भी था। प्रसाद ने प्रोटोकॉल के तहत इसका जवाब दिया था, 'इस बारे में जानकारी एकत्रित की जा रही है और जल्द ही सदन के पटल पर रखी जाएगी।' इसके बाद से अब तक पीएम के सवाल का जवाब नहीं मिला है।
संयोग से पीएम नरेंद्र मोदी के अलावा यही प्रश्न टीएमसी के सांसद सौमित्र खान ने भी पूछा था।
पीएम मोदी का सवाल-
1- क्या सरकारी कागजात में पूरा नाम लिखने के दौरान किसी के लिए उसके पिता के नाम का उल्लेख जरूरी है? 2- अगर हां तो, इसकी जानकारी और संबंधित कानून के प्रावधान बताए जाएं। 3- क्या सरकारी कागजात में कोई पिता के नाम की जगह मां के नाम का उल्लेख कर सकता/सकती है? 4- अगर हां तो, इसकी जानकारी और अगर ऐसा नहीं है तो कानूनी प्रावधान के साथ इसका कारण बताया जाए। 5- क्या सरकार मौजूदा कानून में ऐसा कोई प्रावधान/संशोधन करने जा रही है, जिसके तहत सरकारी कागजात में कोई नागरिक अपनी मर्जी से अपने मां या बाप का नाम दे सके? 6- अगर हां तो, इसकी जानकारी और इसके होने की संभावित समयसीमा की जानकारी।
साभार-टाईम्स ऑफ इंडिया से