देश और विदेश के चुनिन्दा 251 श्रेष्ठ व्यंग्यकारों की रचनाओं के प्रथम संकलन का आज नोएडा में लोकार्पण हुआ। इस अवसर पर एक आत्मीय गोष्ठी का हुआ। इस मौके पर उपस्थित सभी वरिष्ठ साहित्यकारों ने एक राय से यह बात कही कि 21वीं सदी के 251 अंतरराष्ट्रीय श्रेष्ठ व्यंग्य संकलन ऐतिहासिक मील का पत्थर है।
“21वीं सदी के 251 अंतरराष्ट्रीय श्रेष्ठ व्यंग्य” संकलन के अनावरण के इस अवसर पर संकलन के संपादक डॉ. राजेशकुमार ने बताया कि यह एक ऐतिहासिक संचयन है, क्योंकि इसमें 9 देशों के श्रेष्ठ व्यंग्यकार शामिल हैं। इस संकलन को तैयार करते समय 60 से अधिक व्यंग्य रचनाओं को अस्वीकृत किया गया है, जो यह साबित करता है कि संकलन की गुणवत्ता को सर्वोपरि रखा गया है। इस संकलन में हमारे समाज, हमारी व्यवस्था और हमारी जीवन शैली से संबंधित सभी विषयों को शामिल किया गया है। ये व्यंग्य न केवल हमारा मनोरंजन करते हैं, बल्कि हमें खुद को, समाज को और व्यवस्था को नए ढंग से देखने का पैना नजरिया भी देते हैं। संकलन की एक विशेषता साहित्यकारों को साहित्य के उद्देश्य के अनुसार और भाषा की शक्ति के मद्देनजर नवीन ढंग से साहित्य रचना करने का संदेश देना भी है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुपरिचित नाटककार डॉ प्रताप सहगल ने कहा कि 251 श्रेष्ठ विचार नाम से जो पुस्तक संचयित की गई है, इसका संपादन लालित्य ललित और राजेश कुमार ने किया है। सबसे पहले औपचारिक रूप से बधाई और मुझे खुशी हुई यह देखकर कि जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी में व्यंग्य लेखन हो रहा है उन सबको इसमें समेटने की भरपूर कोशिश की गई है। उस कोशिश में यह एक बड़ी कामयाबी है और अच्छी बात यह है कि इनके साथ प्रकाशक संजीव कुमार जुड़े हुए हैं जिन्होंने इस किताब को प्रकाशित करने का बीड़ा उठाया। मुझे खुशी इस बात की भी हो रही है कि व्यंग्य अब तक इधर-उधर प्रकाशित हो रहा था। अब संपूर्ण रूप से अगर व्यंग्य का कोई खाका देखना चाहे, कोई उसका चित्र बनाना चाहे तो वह व्यक्ति कहां जाएगा ? तो उसके लिए मुझे लगता है यह किताब सबसे अधिक उपयोगी साबित होगी। आज-कल-परसों और उसके बाद भी अगर कोई भी व्यंग्य पर काम करना चाहता है, व्यक्ति को समझना चाहता है या व्यंग्य पर कोई शोध करना चाहता है – वह बिना इस किताब को पढ़े हुए आगे बढ़ नहीं सकता। यह एक संदर्भ ग्रंथ तो है ही, उसके साथ-साथ व्यंग्य को समझने और व्यंग्य को पूरी तरह से अपने अंदर समाहित कर लेने के लिए भी यह पुस्तक बहुत उपयोगी सिद्ध होगी। मेरी पुनः बहुत-बहुत बधाई ललित को भी और राजेश कुमार को भी और कामना करता हूं कि वह ऐसे ही जुटे रहें और बिना किसी के विरोध के बड़े काम संपन्न नहीं होते। उनकी बहुत चिंता नहीं करनी चाहिए। आप अपने काम में लगे हुए हैं और कर रहे हैं, इससे भी बड़ी बात मुझे यह लगता है कि यह ग्रंथ हमारे सामने अभियान को लेकर आएंगे। आपको बहुत-बहुत साधुवाद बहुत-बहुत बधाई।
सुपरिचित व्यंग्यकार डॉ लालित्य ललित ने कहा कि 251 श्रेष्ठ व्यंग्य का संचयन करते हुए कई बार तो लगा कि यह योजना कर पाएंगे या नहीं कर पाएंगे, लेकिन मन में जब भी, जो भी बात हम ठान लेते हैं उसको पूरा अवश्य करते हैं। निस्संदेह अपने आपमें यह बड़ा मिशन था लेकिन मिशनरी की भावना से यह कार्य किया गया है। इसमें देश और विदेश के साहित्यकारों का रचनात्मक सहयोग हमें मिला। निश्चित ही इस अभूतपूर्व कार्य के बाद इससे भी वृहद संकलन हम लोग तैयार करेंगे जिसमें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त साहित्यकारों को शामिल किया जाएगा जो इससे भी वृहद होगा। इसकी सूचना बहुत जल्दी आप सबसे साझा की जाएगी।
इस मौके पर डॉ संजीव कुमार,निदेशक इंडियानेटबुक्स ने कहा कि 251 व्यंग्यकारों का जो सृजन है वह बहुमूल्य सर्जन है और शायद अंतरराष्ट्रीय साहित्य के इतिहास में यह पहली बार ऐसा प्रयास राजेश जी और ललित जी जैसे दोनों संपादकों द्वारा किया गया है। मेरा सोचना है कि यह एक बहुत ही विशद कार्य था जिसको संपूर्ण करना और मूर्त रूप देना आसान नहीं था। मुझे बहुत ही गौरव महसूस हो रहा है और इस प्रकार के प्रोजेक्ट दोनों संपादक करते रहें और ऐसी किसी भी प्रोजेक्ट के प्रकाशन के लिए मैं तत्पर रहूंगा।
युवा साहित्यकार रणविजय राव ने कहा कि विश्व के 251 श्रेष्ठ व्यंग्यकारों के आलेखों का संचयन सच में एक वृहद कार्य था जिसे सम्पादकद्वय ने कर दिखाया है। बहुत ही कम समय में इसे प्रकाशित करने का श्रेय इंडिया नेटबुक्स को जाता है। उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए भी गर्व की बात है कि इस वृहद संकलन में मेरा भी आलेख संकलित है।
इस विशेष अवसर पर डॉ संजीव कुमार के सद्यः प्रकाशित पुस्तक “शहर शहर सैलाब” का लोकार्पण भी हुआ। कार्यक्रम में डॉ शशि सहगल,कामिनी मिश्र,,राजेश्वरी मंडोरा, सोनीलक्ष्मी राव,सूर्योदय मंडोरा भी मौजूद थे।