कोटा शहर में चंबल नदी पर बने कोटा बैराज के निचले बहाव क्षेत्र ( डाउन स्ट्रीम) में चंबल नदी पर करीब एक हजार करोड़ रुपए की लागत से विकसित किया जा रहा “चंबल रिवर फ्रंट” इस मानसून की बरसात में बैराज से 18 गेट खोल कर छोड़े गए लाखो क्यूसेक पानी में न केवल अपनी सुरक्षा पर सोने की तरह खरा उतरा वरन उन क्षेत्रों के लिए सुरक्षा कवच भी बन कर उभरा जिनमें जल प्लावन से बाढ़ के हालात उत्पन्न हो जाते थे और रहवासियों को जबर्दस्त नुकसान और मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। रिवर फ्रंट ने नदी के आसपास की करीब दो दर्जन बस्तियों को जल प्लावन और बाढ़ के हालातों से हजारों लोगों को बचा कर उन्हें महफूज रखते हुए मजबूत सुरक्षा कवच की भूमिका निभाई।
चंबल रिवर फ्रंट के रूप में विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल विकसित करने का सपना संजो कर का नगरीय विकास मंत्री शांति कुमार धारीवाल का ड्रीम प्रोजेक्ट सुरक्षा के मानकों पर खरा उतरा और उन लोगों की जुबान पर ताला लगा दिया जो दबे स्वर से ही ही सही कहते थे देखना इतनी बड़ी धनराशि व्यर्थ चली जायेगी, बैराज से पानी का तेज बहाव एक पल में रिवर फ्रंट को डुबो देगा। आज ऐसे लोगों के मुंह बंद है और मुराद पूरी नहीं होने पर मन मसोस कर रह गए हैं।
इसके लिए प्रोजेक्ट के निर्माण से जुड़े इंजीनियरों, डिजाइनरों, वास्तुकारों, कामगारों और विभिन्न एजेंसियों को साधुवाद नहीं दें तो हम उनके प्रति न्याय नहीं करेंगे। निश्चित ही ये सब लोग रिवर फ्रंट निर्माण के नीव के वो पत्थर हैं जिनकी अथक मेहनत और कौशल से प्रोजेक्ट साकार रूप ले रहा है और अपनी गुणवत्ता को स्वयं सिद्ध किया है। इन सभी कर्मकारों की वजह से इस साल बैराज से 5 लाख क्यूसेक से अधिक पानी की निकासी किए जाने के बाद भी निर्माणाधीन रिवरफट से सटा इलाका पूरी तरह सुरक्षित रहा रिवर फ्रंट की रिटेनिंग वॉल और नदी किनारे बन रहे रिवर फ्रंट ने जलप्रलय का बखूबी सामना किया।
चंबल रिवर फ्रंट की इस अति महत्वपूर्ण भूमिका से गदगद धारीवाल ने कहा कि प्रोजेक्ट के दूसरे चरण के कार्य के बाद नदी किनारे का पूरा आबादी क्षेत्र सुरक्षित हो जाएगा। इसमें दोराय नहीं की प्रोजेक्ट पूरा होने पर जिस स्वरूप में अनेक विशेषताओं और आकर्षणों के साथ रिवर फ्रंट बन कर सामने आएगा, कोटा में पर्यटन को नए पंख लगेंगे और कोटा को विश्व पर्यटन मानचित्र पर उभारने में मील का पत्थर साबित होगा।