सही दाम,सही काम और सही सेवा का संकल्प लें
राजनांदगांव। "उपभोक्ता अधिकारों का संरक्षण समय की बड़ी मांग है। आज उन्मुक्त व्यापार प्रणाली के दौर में उपभोक्ता कदम-कदम पर ठगा जा रहा है।कुछ स्वार्थी व्यवसायी,समय की बदलती धड़कनों के साथ उपभोक्ताओं की जेब काटने के रास्ते निकाल लेते हैं। वे खुलकर ऐलान कर देते हैं कि फैशन के दौर में गारंटी की उम्मीद न करें। इसके प्रति उपभोक्ताओं को जगाने के लिए उपभोक्ता शिक्षा और सतत जागरूकता अभियान चलाया जाना होगा।"
आरटीआई केस स्टडी पेनल के रिसोर्स पर्सन,प्रोफ़ेसर डॉ.चन्द्रकुमार जैन ने उक्त विचार उपभोक्ता जागरूकता मंच द्वारा रायगढ़ में आयोजित संगोष्ठी में व्यक्त किये। इस संगोष्ठी में डॉ.जैन ने मुख्य अतिथि वक्ता के रूप में प्रभावी सहभागिता की। डॉ.जैन ने कहा कि किसी भी वस्तु या सेवा के खरीददार को उपभोक्ता कहते हैं और संरक्षण का अर्थ है उपभोक्ता अधिकारों का संरक्षण। उपभोक्ता संरक्षण का मामला शुरूआती दौर में यूरोप में उठा था किन्तु अब वैश्वीकरण के प्रभाव से इसकी ज़रुरत भी विश्व्यापी हो गई है। यूरोपीय देशो में नागरिकों के त्रस्त और शोषित वर्ग को जैसी सुरक्षा प्राप्त है वैसी सुरक्षा की आवश्यकता भारत जैसे देशों में कहीं ज्यादा है।
डॉ.जैन ने कहा कि उपभोक्ताओं को समझना चाहिए कि उन्हें अपनी बात कहने, अपनी पसंद की वस्तु या सेवा चुनने, कीमत जानने, गुणवत्ता औए गारंटी या वारंटी की जानकारी हासिल करने, किसी सक्षम अधिकारी के सामने शिकायत दर्ज़ कराने और वस्तु या सेवा में किसी कमी या नुकसान की भरपाई का हक़ है। लेकिन,डॉ.जैन ने कहा कि अफ़सोस इस बात का है कि हमारे यहाँ उपभोक्ता इन अधिकारों के प्रति अक्सर उदासीन दीखते हैं। इस प्रवृत्ति पर लगाम जरूरी है। वहीं उत्पादकों और विक्रेताओं को भी सही दाम और सही काम की नीति पर चलना होगा अन्यथा उपभोक्ताओं के बहाने वे राष्ट्र की नींव कमजोर करते रहेंगे।
डॉ.जैन ने कहा कि शासकीय स्तर पर उपभोक्ता संरक्षण के लिए कई कारगर कदम उठाये जा रहे हैं.उपभोक्ता संरक्षण सेल से लेकर उपभोक्ता फोरम तक कई ऐसे ठिकाने हैं जहां जाकर उपभोक्ता अपनी शिकायतें और समस्याएं रख सकता है.इन सुविधाओं का लाभ उठाना स्वयं उपभोक्ता की जिम्मेदारी है.वहीं,संरक्षण के लिए बनांये गए कानूनों को अमल में लाने के लिए सुविधा दाता तंत्र को भी सक्रिय हस्तक्षेप के लिए ज्यादा चुस्त होना पड़ेगा।