बचपन से जिनके गीतों को गुनगुनाता रहा और जबरदस्त फैन रहा ऐसी कलज्यी गीतों की गायिका लता मंगेशकर जी का यूं हमें छोड़ कर चले जाने पर यकायक विश्वास नहीं हुआ। स्तब्ध रह गया जब सुना कि वे हमारे बीच नहीं रही। समझ नहीं पा रहा हू कैसे उन्हें श्रद्धांजलि दूं। स्वर कोकिला, स्वर साम्राज्ञी को श्रद्धांजलि का हर शब्द बोना लग रहा है। गीत- संगीत की दुनिया के सात सुरों ने उन्हें सात समंदर पार पहुंचा दिया। सुरीले गीतों से वे करोड़ों दिलों की धड़कन बन गई। आने वाली कई सदियों की पीढ़ी को स्पंदित करते रहेंगे उनके गीत और दिलों पर उनका ही राज रहेगा। दुनिया आज उनके गीतों की दीवानी और नतमस्तक है। उनकी आवाज को लेकर अमेरिका के वैज्ञानिकों ने भी कह दिया कि इतनी सुरीली आवाज न कभी थी और न कभी होगी।
भक्ति का बोध, देश भक्ति का ज्जबा, युगल प्रेमियों का परवान चड़ता प्रेम, विरह,वेदना और प्रकृति का श्रंगार, समाज और संस्कृति की बानगी, ब्रह्मांड का कोई पक्ष ऐसा नहीं जो उनके गीतों में न झलाकता हो। सूर्य की तजोंमयी ऊर्जा, चंद्रमा की चांदनी की शीतलता, नदी की धारा, समुंदर की लहरें, पवन के झोंके, पहाड़ों और जंगलों की वादियां, रेगिस्तान का सूनापन सभी कुछ तो उनके गीतों के इर्द – गिर्द नजर आते हैं।
लता जी के गीत ही हैं जिन्होंने फिल्मी दुनिया को समृद्ध बनाने के साथ – साथ कई हीरोइनों को पहचान दी। लोग इनके गीतों की वजह से फिल्में देखने जाते थे और आज तक यह क्रेज बना हुआ हैं। जब भी एकांत में सकून के पल बिताने होते हैं तो इनके गीत ही मन को शांति और सकून देते हैं।
सुरीले और यादगार गीतों से वे भारतीय संस्कृति की सांस्कृतिक दूत बन गई। तीस से ज्यादा भाषाओं पर एकाधिकार होने से उनके गीतों की धूम पूरी दुनिया में गूंजी। किसी भी लोकप्रिय राजनेता से कहीं अधिक चर्चित रही वे और उनके गीत। उनके एक से बढ़ कर एक गीतों की फेरि स्त इतनी लम्बी है कि यह चयन करना ही सम्भव नहीं की कोनसा गीत सिरमोर कहे। किसी को हंसा दें, प्रेम में डूबो दें, विरह से व्यथित करदे और तो और आंखों में आसूं लादें यह है उनके गीतों की रवानी। देश के प्रधान मंत्री स्व. पंडित जवाहर लाल नेहरू ने जब उनका देश भक्ति गीत ‘ ए मेरे वतन के लोगों ‘ सुना तो उनकी आंखें नम हो गई और बोले तुमने तो मुझे रुला दिया।
कौन जनता था मध्यप्रदेश में इंदौर के एक मराठी परिवार में पंडित दीनदयाल मंगेशकर के घर 28 सितंबर 1929 को जन्म लेने वाली बालिका हेमा से लता बन कर संगीत जगत में दुनिया की अनमोल धरोहर बन जाएगी। रंगमंच केे कलाकार और गायक पिता से संगीत की शिक्षा बचपन से विरासत में मिली। जन्म के कुछ समय बाद पिता महाराष्ट्र जा कर बस गए। पांच भाई बहनों में ये सबसे बड़ी थी। मीना, आशा, उषा तथा हृदयनाथ उनसे छोटे हैं। जब ये 13 वर्ष की थी तो पिता का स्वर्गवास होगया और घर कि मली हालत से इन्हें फिल्मों में छोटे छोटे रोल करने पड़े। पिता के मित्र नवयुग चित्रपट फिल्म कंपनी के मालिक मास्टर विनायक (विनायक दामोदर कर्नाटकी) ने इनके परिवार को संभाला और लता मंगेशकर को एक गायिका और अभिनेत्री बनाने में मदद की।
लता जी ने हिन्दी भाषा में पहला गाना ‘माता एक सपूत की ‘दुनिया बदल दे तू’ मराठी फिल्म ‘गाजाभाऊ’ (1943) के लिए गाया। इसके बाद लता मंगेशकर मुंबई चली गईं। यहां उन्होंने हिन्दुस्तान क्लासिकल म्यूजिक के उस्ताद अमानत अली खान से क्लासिकल संगीत सीखना शुरू कर दिया। लता मंगेशकर ने अपने संगीत करियर की शुरुआत मराठी फिल्मों से की। इसके बाद इन्होंने विनायक की हिन्दी फिल्मों में छोटे रोल के साथ-साथ हिन्दी गाने तथा भजन गाए। इसी दौरान उनकी मुलाकात वसंत देसाई से हुई।
भारत बंटवारे के बाद उस्ताद अमानत अली पाकिस्तान चले गए। लता ने उस्ताद बड़े गुलाम अली खान, पंडित तुलसीदास शर्मा तथा अमानत खान देवसल्ले से संगीत सीखा। 1948 में विनायक की मौत के बाद गुलाम हैदर लता के संगीत मेंटर बने। हैदर ने लता की मुलाकात शशधर मुखर्जी से कराई, जो ‘शहीद’ फिल्म बना रहे थे। उन्होंने लता की ज्यादा पतली आवाज होने के कारण उन्हें अपने फिल्म में गाने का मौका नहीं दिया। हैदर ने लता को ‘मजबूर’ (1948) फिल्म में पहला ब्रेक दिया। लता पहले नूरजहां की स्टाइल में गाने गाती थीं, मगर बाद में खुद की आवाज बना ली। उस समय के ज्यादा हिन्दी सिनेमा के संगीतकार हिन्दी के अलावा उर्दू शब्द का प्रयोग ज्यादा करते थे। दिलीप कुमार ने भी लता को हिन्दी-उर्दू गाने में मराठी टोन प्रयोग करते सुना था जिसके बाद लता ने उर्दू शिक्षक से उर्दू भाषा की शिक्षा प्राप्त की।
वर्ष में आई फिल्म ‘महल’ में मधुबाला के लिए ‘आएगा आने वाला…’ गया जो बहुत लोकप्रिय हुआ। इन्होंने 1955 में कई संगीतकारों अनिल बिश्वास, शंकर-जयकिशन, नौशाद अली, एसडी बर्मन, मदन-मोहन सहित कई दिग्गज संगीतकारों के साथ गाने गाए। वर्ष 1955 में लता ने तमिल फिल्मों के लिए गाने गाए। लता मंगेशकर ने पहली बार 1958 में बनी ‘मधुमती’ के लिए सलिल चौधरी द्वारा लिखे गए गीत ‘आजा रे परदेशी’ के लिए ‘फिल्म फेयर अवार्ड फॉर बेस्ट फिमेल सिंगर’ का अवॉर्ड जीता। 1950 से पहले लता ने सी. रामचंद्र के लिए कई गाने गाए। वर्ष1960 में लता मंगेशकर ने कई लोकप्रिय फिल्मों के लिए गाने गाए, जो काफी हिट हुए और आज भी गाए जाते हैं। जिसमें ‘मुगल-ए-आजम’ (1960) के लिए ‘प्यार किया तो डरना क्या’, ‘दिल अपना और प्रीत पराई’ (1960) के लिए ‘अजीब दास्तां है ये’, एसडी बर्मन के लिए भूत बंगला (1965), पति-पत्नी (1966), बहारों के सपने (1967) तथा अभिलाषा (1969) जैसी फिल्मों के लिए गाए। इसी दौरान उन्होंने ‘आज फिर जीने की तमन्ना है’, ‘गाता रहे मेरा दिल’ (किशोर कुमार के साथ), ‘पिता तो’ और ‘होंठों पर ऐसी बात जो छुपाती चली आई’ जैसी लोकप्रिय गाने गाए। लता ने 1960 के बाद से कई गायकों के साथ गाने गाए जिसमें मुकेश, मोहम्मद रफी, मन्नाडे, महेन्द्र कपूर और किशोर कुमार शामिल हैं।
लता ने 1972 में मधुबाला के लिए ‘पाकीज़ा’ में ‘चलते-चलते’ और ‘इन्हीं लोगों ने’, प्रेम पुजारी के लिए ‘रंगीला रे’, शर्मीली के लिए ‘खिलते हैं गुल यहां’, अभिमान के लिए ‘पिया बिना’, परिचय के लिए ‘बीती ना बिताई’, नीलू के लिए ‘कादली चेनकादली’, कोरा कागज के लिए ‘रूठे-रूठे पिया’, सत्यम शिवम सुंदरम के लिए ‘सत्यम शिवम सुंदरम’, रुदाली के लिए ‘दिल हूम-हूम करे’ तथा फिल्म दस्तक, हीर-रांझा, दिल की राहें, हिन्दुस्तान की कसम, हंसते जख्म, मौसम, लैला-मजनूं, अमर प्रेम, कारवां, कटी पतंग, आंधी सहित कई फिल्मों के लिए लोकप्रिय गाने गाए और कई तरह के अवॉर्ड जीते। वहीं 1950 में लता ने सिलसिला, फैसला, विजय, चांदनी, रामलखन और मैंने प्यार किया जैसी हिट फिल्मों के लिए अपनी आवाज दी। 1990 में उन्होंने आनंद-मिलिंद, नदीम-श्रवण, जतिन-ललित, दिलीप-समीर सेन, उत्तम सिंह, अनु मलिक, आदेश श्रीवास्तव तथा एआर रहमान जैसे संगीतकारों के साथ काम किया और जगजीत सिंह, एसपी बालसुब्रमण्यम, उदित नारायण, हरिहरन, कुमार शानू, सुरेश वाडकर, मो. अजीज, अभिजीत भट्टाचार्य, रूपकुमार राठौड़, विनोद राठौड़, गुरदास मान तथा सोनू निगम के साथ कई गाने गाए। उन्होंने ने यशराज फिल्म्स की लगभग सभी फिल्मों के लिए गाने गाए जिसमें चांदनी, लम्हें, डर, ये दिल्लगी, दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, दिल तो पागल है, मोहब्बतें, मुझसे दोस्ती करोगे और वीर-जारा फिल्म शामिल हैं। लता ने एआर रहमान के साथ ‘जिया जले’, ‘खामोशियां गुनगनाने लगी’, ‘एक तू ही भरोसा’, ‘प्यारा सा गांव’, ‘सो गया है’, ‘लुक्का-छिपी’ और ‘ओ पालनहार’ जैसे गाने गाए।
लता मंगेशकर द्वारा भारतीय संगीत दिए गए योगदान को समाज ने भी सिर आंखों पर लिया और अनेक बार उन्हें महत्वपूर्ण पुरस्कारों से नवाजा गया। देश ने सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाजा भी उन्हें 1969 में पद्मभूषण, 1999 में पद्मविभूषण, 1989 में दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड, 1999 में महाराष्ट्र भूषण अवॉर्ड, 3 राष्ट्रीय फिल्म अवॉर्ड, 12 बंगाल फिल्म पत्रकार संगठन अवॉर्ड तथा 1993 में फिल्म फेयर लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार सहित कई अवॉर्ड प्राप्त हुए।
संगीत के क्षेत्र में भारत का दुनिया में गौरव बढ़ाने वाली लता जी 6 फ़रवरी 2022 को हमें छोड़ गई पर उनके अनमोल अमर गीत सदियों तक गुदगुदाते रहेंगे।
लेखक कोटा में रहते हैं व वरिष्ठ पत्रकार एवँ स्तंभ लेखक हैं।
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