नई शिक्षा नीति के लिए मोदी सरकार ने समाज के विभिन्न तबके से सुझाव मांगे हैं। बहुत सारे संगठनों ने मानव संसाधन मंत्रालय को अपने प्रस्ताव भी भेजे हैं। इसी क्रम में राष्ट्रीय स्वयं स्वयंसेवक संघ के सहायक संगठन ने सुझाव दिया है कि मेट्रो शहरों में स्कूल की टाइमिंग बढ़ाकर 12 घंटे कर देना चाहिए ताकि बच्चों को ज्यादा से ज्यादा भाषाएं सीखने का मौका मिल सके। आरएसएस की शैक्षणिक शाखा विद्या भारती ने कहा है कि स्कूली शिक्षा में बच्चों को संस्कृत भी पढ़ाई जानी चाहिए ताकि भारतीय भाषाओं में विदेशी शब्दों की घुसपैठ रोकी जा सके।
विद्या भारती की ओर से मानव संसाधन मंत्रालय में दाखिल ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा गया है, ”अगर बच्चे मिड स्कूल से ही संस्कृत पढ़ना शुरू करेंगे तो वे अपनी मातृभाषा को बेहतर ढंग से बोल और लिख पाएंगे। उन्हें विदेशी शब्दों की मदद लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। मसलन अरबी शब्द किताब की जगह संस्कृत शब्द पुस्तक, अरबी शब्द मकान की जगह संस्कृत शब्द गृह, तुर्की शब्द मालूम की जगह संस्कृत शब्द ज्ञात, पारसी शब्द तारीख की जगह संस्कृत शब्द दिनांक, बिस्कुट की जगह संस्कृत शब्द सुपिष्टक और उर्दू शब्द शादी की जगह विवाह का इस्तेमाल करेंगे।” यह भी कहा गया है कि संस्कृत पढ़ने से उच्चारण और वर्तनी ठीक होगी। इस बात का भी प्रस्ताव दिया गया है कि भाषा में मास्टर्स करने वालों के लिए एक यूनिवर्सिटी खोली जाए।
आरएसएस और इसके सहयोगी संगठनों का इस बात पर जोर है कि नई एजुकेशन पॉलिसी में शिक्षा का भारतीयकरण हो। और क्या है प्रस्ताव में विद्या भारती की ओर से कहा गया है कि बचपन में भाषाएं सीखना आसान है। इसलिए बच्चों को विभिन्न भाषाएं-मातृभाषा, संस्कृत, हिंदी, इंग्लिश और क्षेत्रीय भाषाएं अपने बचपन में ही सीखनी चाहिए। हालांकि, ऐसा करना स्कूलों के छह घंटे के समयावधि में मुमकिन नहीं है। ऐसा करने के लिए स्कूलों को कम से कम आठ घंटे चलाया जाना चाहिए। उतना ही वक्त जितना कि एक कर्मचारी अपने दफ्तर या कामकाज में बिताता है।
विद्या भारती के मुताबिक, मेट्रो शहरों में जहां माता और पिता दोनों कामकाजी हों, वहां अच्छा हो कि स्कूल सुबह साढ़े सात बजे से शाम साढ़े सात बजे तक 12 घंटे चलाए जाएं। इससे अभिभावक बच्चों को घर पर होमवर्क कराने के प्रेशर से आजाद होंगे और उन्हें बच्चों को ट्यूशन क्लासेज भी नहीं करवानी होंगी। 12 घंटे के वक्त में स्टूडेंट्स खेलकूद, कला, संगीत और नृत्य के लिए पूरा वक्त दे पाएंगे। अगर सारे स्कूल 12 घंटे का शिड्यूल फॉलो नहीं कर सकते तो कम से कम ऐसे स्कूलों की संख्या बढ़ाई जाए जहां इतनी देर पढ़ाई हो। विद्या भारती के ड्राफ्ट में यह भी कहा गया है कि 12 घंटे की स्कूल टाइमिंग करने पर को-एजुकेशन (लड़के और लड़कियों की एक साथ पढ़ाई) संभव नहीं होगा। इसके मुताबिक, को एजुकेशन वाले स्कूल पहले से ही कई समस्याएं झेल रहे हैं।
साभार- इंडियन एक्सप्रेस से