यदि आप साहित्यकारों को पढ़ने में रुचि रखते हैं और भाषाएं आपके बीच रोड़ा बनती हैं, तो बता दें कि अब ऐसा नहीं होगा। दरअसल आगरा के केंद्रीय हिंदी संस्थान (केएचएस) के कंप्यूटर प्रोग्रामर हिमांशु अग्रवाल ने सॉफ्टवेयर तैयार किया है, जिससे भाषाई दूरियां मिट जाएंगी और चंद सेकेंड में ही किसी भी साहित्य, लेख का अपनी मनचाही भाषा में अनुवाद कर सकेंगे।
बता दें कि हिमांशु ने इस साफ्टवेयर को ‘लिपि अंतरण’ नाम दिया है और इसके जरिए 12 भाषाओं का अनुवाद कर सकते हैं। इस सॉफ्टवेयर की खूबी यह भी है कि यह ऑफलाइन भी काम करेगा।
हिमांशु ने दावा किया है कि इस सॉफ्टवेयर के जरिए अनुवाद के वक्त भाषाई त्रुटियां भी नहीं मिलेंगी और न ही इसके भावार्थ में होगा। इस सॉफ्टवेयर से शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी सुविधा मिलेगी, किसी भी भाषा को समझना आसान हो जाएगा।
हिमांशु फिलहाल इस सॉफ्टवेयर को पेटेंट कराने की तैयारी में है। वे बताते हैं कि इसके बाद बाजार में इस सॉफ्टवेयर की सीडी उपलब्ध हो जाएंगी, जिसके जरिए कंप्यूटर पर सॉफ्टवेयर अपलोड किया जा सकेगा।
दरअसल हिमांशु का इस सॉफ्टवेयर के बनाने के पीछे का मकसद उनके सामने आने वाली भाषाई समस्या थी। वे बताते हैं कि उन्हें नामचीन लेखक और उनकी पुस्तकें पढ़ने का शौक है। भाषा बार-बार संकट बनती थी। ऐसे में उन्होंने ठान लिया कि इसका समाधान निकाला जाए। आठ महीने के अथक प्रयास के बाद सफलता मिली।
यह सॉफ्टवेयर हिंदी, असमिया, बांग्ला, गुजराती, पंजाबी, कन्नड़, मलयालम, उड़िया, तमिल, तेलुगू, मराठी और उर्दू भाषाओं का अनुवाद करेगी।
साभार- samachar4media.com/ से