Sunday, November 24, 2024
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हुनर से शिखर की ओर बढ़ने की शानदार पहल है युवा नीति – डॉ.जैन

राजनांदगांव। दिग्विजय कालेज के राष्ट्रपति सम्मानित प्रोफ़ेसर डॉ.चन्द्रकुमार जैन ने राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के अंतर्गत छत्तीसगढ़ की युवा नीति से सन्दर्भ में आयोजित कार्यशाला में अत्यंत उपयोगी और प्रभावी व्याख्यान दिया। यह प्रेरणास्पद कार्यशाला शासकीय नेहरू स्नातकोत्तर महाविद्यालय सफलतापूर्वक संपन्न हुई। प्राचार्य डॉ.श्रीमती अलका मेश्राम ने आयोजन के महत्व की चर्चा करते हुए विद्यार्थियों से कहा कि वे ऐसे प्रभावशाली और जीवन निर्माणकारी मार्गरक्षण पर अमल करें। प्रारम्भ में रूसा प्रभारी और आयोजन के संयोजक डॉ.एच.एस.भाटिया ने प्रास्ताविक उद्बोधन दिया। अतिथि परिचय देते हुए कार्यक्रम का संचालन कर रहीँ हिन्दी विभाग की डॉ.नीता ठाकुर ने किया। कार्यशाला में दिग्विजय कालेज के श्री विजय मानिकपुरी ने युवा नीति के वेब पोर्टल पर पंजीयन की प्रक्रिया की आावश्यक जानकारी देते हुए युवाओं को भागीदारी की आवश्यकता प्रतिपादित की।

मुख्य वक्ता डॉ.चन्द्रकुमार जैन ने कार्यशाला में युवा नीति के प्रादेशिक मसौद्रे के लिए तैयारी के साथ-साथ राष्ट्रीय युवा नीति की भी प्रासंगिक चर्चा की और दोनों के ध्येय की बुनियादी एकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि युवाओं की नैसर्गिक प्रतिभा और उनकी क्षमता के समग्र विकास के साथ प्रदेश की तरक्की और राष्ट्र निर्माण में उनकी सहभागिता सुनिश्चित करना ही युवा वर्ग सम्बन्धी तमाम नीतिगत प्रयासों का सार है। इसके अंतर्गत शिक्षण, प्रशिक्षण, रोजगार, उद्यमिता, सेवा और स्वैच्छिकता के वास्तविक मौके मिल सकें ऎसी पहल की जानी है। युवा नीति प्रतिबद्ध युवा शक्ति के लिए एक शानदार अवसर और जानदार आह्वान भी है कि वह अपने दायित्व बोध की ताकत से भविष्य निर्माण की दिशा में कदम आगे बढ़ाये।

कार्यशाला में डॉ.जैन ने युवा नीति के निर्माण में छात्र-छत्राओं की सजग, सृजनात्मक व सक्रिय भागीदारी की जरूरत को भलीभाँति समझाया और कहा कि युवा नीति के वेब पोर्टल के अलावा शासन द्वारा दी गई व्यवस्था के अनुरूप सोशल मीडिया या माबाईल ऐप के जरिए भी वे अपने सुझाव और विचार व्यक्त कर सकते हैं। नीति निर्माण में युवाओं की भूमिका सुनिश्चित होने से स्वाभाविक है कि उस नीति से उनका सरोकार भी अधिक होगा। उन्होंने स्मरण दिलाया कि छत्तीसगढ़ की युवा नीति का ध्येय वाक्य है – हुनर से शिखर की ओर। जाहिर है कि इसमें कौशल से जीवन के कायाकल्प और प्रगति का भाव निहित है।

डॉ.जैन के सम्बोधन से पहले विद्यार्थियों की जिज्ञासा और उमंग सहज स्पष्ट हो रही थी, वहीं विद्यार्थियों का उत्साह भी सराहनीय रहा। डॉ.जैन ने इस अवसर पर सम्प्रेषण कौशल, व्यक्तित्व निर्माण और परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन के कारगर टिप्स भी दिए जिनसे बड़ी संख्या में उपस्थित विद्यार्थियों की करतल ध्वनि से सभागृह लगातार गूंजता रहा। इस अवसर पर डॉ.श्रीमती ई.व्ही रेवती, डॉ.श्रीमती आशा चौधरी, डॉ. कविता और डॉ.राठौर तथा श्री हितेश कोसरे विशेष रूप से उपस्थित थे।

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