हिंदी फिल्मों में निगेटिव किरदार निभाने वाले कलाकारों पर आधारित और अमेजॉन बेस्टसेलर ‘मैं हूं खलनायक’ जैसी किताब के बाद वरिष्ठ पत्रकार फजले गुफरान की दूसरी किताब ‘बॉलीवुड बायोपिक्स-आधी हकीकत बाकी फसाना’ बायोपिक फिल्मों की पूरी पड़ताल करती है। किताब का विमोचन विश्व पुस्तक मेले में किया जाएगा। किताब में तमाम रोचक तत्वों के साथ नई जानकारियां दी गई हैं। इसके साथ ही कई मुद्दों पर पैने अंदाज से आकलन भी किया गया है।
आजादी से पहले किस तरह की बायोपिक फिल्में बना करती थीं और फिर बीते सत्तर वर्षों में किस तरह से नायकों, नई शैलियों के साथ बायोपिक फिल्मों की बढ़ती जड़ें, दिव्य चरित्रों और प्रेरणादायी हस्तियों के चित्रण के साथ-साथ बाजार ने क्या करवट ली है, ये पढ़ना काफी रोमांचित करता है। खासतौर से किस तरह से नई सदी के आगमन के साथ हिंदी फिल्मों के प्रचार-प्रसार के तौर तरीकों में बदलाव आया और फिर किस ढंग से महज बीते कुछ वर्षों में बायोपिक फिल्में अन्य शैलियों पर हावी होती दिखी हैं, इस पर लेखक ने विस्तार से बात की है।
लेखक फजले गुफरान बताते हैं, ‘हिंदी फिल्मों के सौ वर्षों से अधिक के सफरनामे में जो कुछ देखा और महसूस किया, उसे इस पुस्तक में जगह दी गई है। साल दर साल बायोपिक फिल्मों के बदलते ट्रेंड और दशक दर दशक जानकारियों की एक रिपोर्ट, ये किताब पेश करती है। इस पुस्तक में अपराध की दुनिया की सच्ची कहानियों पर बनने वाली फिल्में, ऐतिहासिक किरदारों पर बनी फिल्में, खिलाड़ियों और खेल की दुनिया पर बनी फिल्में, साहित्य कला जगत पर बनी नई-पुरानी फिल्मों पर कटाक्ष भी समीक्षा के जरिये किया गया है। ये किताब फिल्मी दुनिया पर शोध करने वाले छात्रों के साथ-साथ सिने प्रेमियों के लिए भी निश्चित रूप से बहुत उपयोगी साबित होगी, ऐसी उम्मीद है।’
साभार- https://www.samachar4media.com/ से