Monday, November 25, 2024
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यह वेबसाइट दिखाएगी धरती पर मानव प्रजाति का असर

ब्रह्मांड, पृथ्वी और सृष्टि को लेकर कई तरह के अनसुलझे सवाल हैं, जो अभी तक पहली बने हुए हैं। इस सवालों का हल ढूंढने की जिज्ञासा वैज्ञानिकों और बुद्धिजीवियों में सदियों से रही है। इसी कड़ी में अब अनुसंधानकर्ताओं ने एक नई वेबसाइट बनाई है जिसमें ग्राफिक साक्ष्यों के जरिए यह दिखाया गया है कि मानव जाति ने किस तरह पृथ्वी को तेजी से बदला है।

इस वेबसाइट ‘ अर्थटाईम डॉट ऑर्ग’ https://earthtime.org/# में पूरी दुनिया या उसके एक भाग को देखा जा सकता है। वायु प्रदूषण, व्यापार, वनोन्मूलन, आर्थिक असमानता व ऐसे ही अन्य प्रमुख कारकों के वहां पर असर को इसके जरिए जाना जा सकता है। अमेरिका की कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ता ने यह वेबसाइट तैयार की है। प्रोफेसर इलाह नूरबक्श ने कहा,‘अर्थटाइम का मतलब कहानियां बताना है।’ नूरबक्श की लैब ने ‘अर्थटाइम’ की प्रौद्योगिकी के विकास पर दस साल से अधिक का समय लगाया है।

उन्होंने कहा कि इस पोर्टल के जरिए वैश्विक पर मानवीयता के असर को देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि अब यह वेबसाइट सभी के लिए उपलब्ध है। इस पहल का उद्देश्य लोगों को अपने जीवन व पृथ्वी पर उसके असर के बारे में सोच समझकर फैसला करने में मदद करना है। यह वेबसाइट ‘ओपन स्रोत’ के सिद्धांत पर आधारित है। इसके लिए मुख्य स्रोतों में विश्व बैंक, संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी, नासा, स्टाकहाम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट व डब्ल्यूडब्ल्यूएफ शामिल है।

70 हजार साल पहले दक्षिण पूर्वी एशिया में आए थे आधुनिक मनुष्य: रिपोर्ट
वैज्ञानिकों का कहना है कि आधुनिक मनुष्य अफ्रीका से करीब 70,000 साल पहले दक्षिणपूर्व एशिया पहुंचे थे। पहले आकलन था कि वह बहुत बाद में अफ्रीका से बाहर निकले थे। ऑस्ट्रेलिया की ‘मैक्वेरी यूनिवर्सिटी’ के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए अध्ययन के अनुसार मानव करीब 60,000 से 65000 वर्ष पहले ऑस्ट्रेलिया से होकर गुजरे थे।

इंडोनेशिया के पश्चिम सुमात्रा में गुफा लिदा अजर की डेटिंग से आधुनिक मनुष्यों के वर्षावन का प्रयोग करने के प्रथम साक्ष्य मिलते हैं। ऑस्ट्रेलिया में ‘क्वींसलैंड विश्वविद्यालय’ के गिल्बर्ट प्राइस ने कहा, ‘वर्षावन जीवन-यापन के लिए आसान स्थान नहीं है, विशेषकर सवाना के माहौल में रहे नरवानरों के लिए, इसलिए ऐसा लगता है कि वे लोग बुद्धिमता, योजना और तकनीकी के अनुरूप खुद को ढालने के दिशा में औसत से बेहतर थे।’ परिणामस्वरूप गुफा के प्रलेखन, नमूनों के पुनर्विश्लेषण और एक नए डेटिंग प्रोग्राम से यह पुष्टि हो गई है कि वहां मिले दांत करीब 73,000 वर्ष पूर्व आधुनिक मनुष्यों, मानव-जाति के हैं। यह अध्ययन ‘नेचर’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ था।

साभार- http://samachar4media.com से

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